5 अगस्त पर क्या जम्मू-कश्मीर को फिर राज्य का दर्जा मिलेगा या सरकार लाएगी समान नागरिक संहिता?

5 अगस्त पर क्या जम्मू-कश्मीर को फिर राज्य का दर्जा मिलेगा या सरकार लाएगी समान नागरिक संहिता?

जम्मू-कश्मीर के भविष्य पर फिर गर्माई चर्चा

5 अगस्त आते ही जम्मू-कश्मीर एक बार फिर देश की राजनीति का हॉटस्पॉट बन गया है। इस साल, माहौल और ज्यादा गरम है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने 3-4 अगस्त को अलग-अलग राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। जैसे ही मीटिंग्स की खबर आई, अटकलों का बाजार तेजी से गर्म हो गया—क्या सरकार जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करेगी या फिर बहुप्रतीक्षित समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की तैयारी में है?

याद दिला दूँ, अगस्त 2019 में संसद से जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पास हुआ और इसके साथ ही अनुच्छेद 370 हट गया। जम्मू-कश्मीर का नक्शा बदल गया, और राज्य दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट गया—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। तभी से बीजेपी ये कहती आई है कि वक्त आने पर राज्य का दर्जा वापस मिल जाएगा। लेकिन कब, इस पर लगातार सवाल उठते रहे हैं।

घाटी के नेता और नई राजनीतिक हलचल

घाटी के नेता और नई राजनीतिक हलचल

इन दिनों नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली विपक्षी पार्टियां अपने स्तर पर राज्य का दर्जा लौटाने की मांग को आवाज दे रही हैं। फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला जैसे नेताओं ने कई बार सरकार से इस पर वादा निभाने को कहा है। उधर, अमित शाह की विभिन्न कश्मीरी नेताओं से हुई मुलाकातें—जैसे बीजेपी के सत शर्मा या लद्दाख के गवर्नर कविंदर गुप्ता से बातचीत—यह दिखाती हैं कि सरकार क्षेत्रीय स्तर पर फीडबैक ले रही है। साथ ही ऑल जम्मू-कश्मीर शिया एसोसिएशन के अध्यक्ष इमरान रजा अंसारी के साथ चर्चा भी चर्चा का हिस्सा रही। ये मुलाकातें और 5 अगस्त की तारीख, दोनों ने कई नेता और जनता में बदलाव की उम्मीद को जगा दिया है।

बीते छह सालों में जम्मू-कश्मीर का माहौल काफी बदला है—जहां एक तरफ स्थानीय प्रशासन केंद्र के निर्देशों के हिसाब से चलता रहा, वहीं लोगों में राजनीतिक हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग भी तेज रही। अगला सवाल यही है: क्या केंद्र सरकार संसद के मानसून सत्र में कोई बड़ा बिल लाएगी? 21 अगस्त को सत्र खत्म हो रहा है, ऐसे में इस महीने का राजनीतिक मौसम और भी तेज हो सकता है।

फिलहाल सरकार की तरफ से न तो राज्य का दर्जा लौटाने पर और न ही UCC पर कोई आधिकारिक शब्द आया है। लेकिन 5 अगस्त—जिस दिन 2019 में अमित शाह ने संसद में बदलाव की घोषणा की थी—बीजेपी की राजनीति में हमेशा खास रहेगा। इस तारीख को केंद्र सरकार अगर कोई भी बड़ा फैसला लेती है, तो उसका असर पूरे देश में दिखेगा। लोग असमंजस में हैं और राजनीतिक गलियारों में चर्चाएँ थमी नहीं हैं कि अगला दांव क्या होगा—जम्मू-कश्मीर को राज्य बनाएंगे या फिर देश में एक कानून, एक समाज लागू करने की शुरुआत करेंगे?

टिप्पणि (17)

ashish das

ashish das

अगस्त 6 2025

जंबू‑कश्मीर की स्थिति पर विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद। सरकार की रणनीति और विपक्ष की मांगों के बीच संतुलन बिंदु ढूँढना आवश्यक है। यह मुद्दा न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक भावना को भी प्रभावित करता है। आशा है कि आगामी सत्र में स्पष्ट दिशा‑निर्देश आएँगे।

vishal jaiswal

vishal jaiswal

अगस्त 14 2025

स्थिति‑परिस्थितियों के संदर्भ में नीति‑निर्माण प्रक्रियाओं की जटिलता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह देखना दिलचस्प होगा कि किस हद तक डेटा‑ड्रिवन मॉडल कार्य को गति देगा।

Amit Bamzai

Amit Bamzai

अगस्त 21 2025

जंबू‑कश्मीर के भविष्य को लेकर चल रही बहस में कई परतें निहित हैं।
पहले तो 2019 के अनुच्छेद‑370 निरस्तीकरण के बाद से सामाजिक‑राजनीतिक परिदृश्य में गहरी बदलावा देखा गया।
विधायी बदलाव ने केंद्र को नियंत्रण में रखते हुए राज्य‑स्तर पर स्वायत्तता को कम किया, जिससे स्थानीय भावना पर असर पड़ा।
फिर भी विरोधी दलों ने लगातार राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की, जिसे कई बार संसद के सत्र में उठाया गया।
5 अगस्त का दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि वही दिन 2019 में बड़े परिवर्तन का ऐलान हुआ था।
इसीलिए इस तारीख को लेकर प्रत्याशा का माहौल गहरा हो जाता है।
सरकार की ओर से अब तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है, जिससे जनता में अटकलें तेज़ हो रही हैं।
एक ओर समान नागरिक संहिता (UCC) के परिचय की चर्चा है, तो दूसरी ओर राज्य‑स्तर की पुनर्संरचना का सवाल है।
इन दोनों में से कौन सा विकल्प प्राथमिकता पाएगा, यह राजनीतिक रणनीति और सामाजिक सहनशीलता पर निर्भर करेगा।
यदि UCC को लागू किया गया, तो यह विभिन्न धर्म‑समुदायों के बीच कानूनी समानता स्थापित कर सकता है, लेकिन इससे धार्मिक पहचान की चिंता भी बढ़ेगी।
दूसरी ओर, राज्य‑स्टेटस की पुनर्स्थापना से स्थानीय प्रशासन को अधिक स्वायत्तता मिल सकती है, जिससे विकास के मुद्दे तेज़ी से हल हो सकते हैं।
हालांकि, इस परिवर्तन को सामाजिक संतुलन के साथ संतुलित करना एक जटिल प्रक्रिया होगी।
ऐसे में यह देखना जरूरी है कि केंद्र के निर्णय में स्थानीय नेताओं की भागीदारी कितनी सक्रिय है।
उदाहरण के तौर पर, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने कई बार सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्ट वादा माँगा है।
जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को देखते हुए, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी इस विषय पर वार्ता कर रहे हैं।
समग्र रूप से, इस प्रश्न का उत्तर संसद के मानसून सत्र में आएगा या नहीं, यह समय ही बताएगा, पर जनता की आशा और चिंता दोनों ही समान रूप से बनी रहेंगी।

ria hari

ria hari

अगस्त 29 2025

जंबू‑कश्मीर के लोगों की आवाज़ को सुना जाना बहुत ज़रूरी है। राज्य‑दर्जे की वापसी से उनके मौलिक अधिकारों की पुनर्स्थापना होगी। इसी आशा से हम सभी को मिलकर सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। सरकार को भी इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।

Alok Kumar

Alok Kumar

सितंबर 5 2025

सिर्फ राजनीतिक बड़ाई नहीं, जमीन‑स्तर की समस्याएँ अब भी अनदेखी हैं। यदि केवल नाम बदलेंगे, पर बुनियादी सेवाएँ नहीं सुधरेगी तो सब बेकार।

Nitin Agarwal

Nitin Agarwal

सितंबर 12 2025

राज्य‑दर्जा लौटाना ही जमीनी मुद्दा है।

Ayan Sarkar

Ayan Sarkar

सितंबर 20 2025

उन्हीं कारणों से सरकार को नई नीति अपनानी चाहिए; यह अस्थायी नहीं, दीर्घकालिक समाधान होना चाहिए।

Amit Samant

Amit Samant

सितंबर 27 2025

सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें तो यह समय बदलाव का सवेरा है। अगर सभी मिलकर अभियान चलाएँ, तो राज्य‑दर्जा लौटाना संभव है। हमें वैकल्पिक रास्ते भी तलाशने चाहिए।

Jubin Kizhakkayil Kumaran

Jubin Kizhakkayil Kumaran

अक्तूबर 5 2025

देश की एकता ही सबसे बड़ी प्राथमिकता है। चाहे राज्य‑दर्जा हो या UCC, अंत में राष्ट्रीय अखंडता बनाये रखनी होगी। हमारी मातृभूमि को किसी भी तरह से कमजोर नहीं किया जा सकता।

tej pratap singh

tej pratap singh

अक्तूबर 12 2025

ऐसे अधूरे आशावाद से कुछ नहीं बदलता; ठोस कार्रवाई चाहिए।

Chandra Deep

Chandra Deep

अक्तूबर 19 2025

भारी राजनीतिक निर्णय के पीछे आर्थिक पहलू भी रहता है, क्या इससे स्थानीय उद्योगों को फायदा होगा
क्या रोजगार की दर सुधरेगी

Mihir Choudhary

Mihir Choudhary

अक्तूबर 27 2025

जैसे ही सरकारी फैसला आएगा 🎉 सारे युवा उत्साहित हो जाएंगे! उम्मीद है जल्द ही साफ़‑सफ़ाई होगी 🚀

Tusar Nath Mohapatra

Tusar Nath Mohapatra

नवंबर 3 2025

हँसी आती है सोचकर कि अगर अभी से UCC लागू हो जाए तो सब कुछ आसान हो जाएगा, लेकिन असली मुद्दे अभी भी वहीं हैं।

Ramalingam Sadasivam Pillai

Ramalingam Sadasivam Pillai

नवंबर 11 2025

समय का पहिया घूमता रहता है, कभी राज‑स्वर, कभी लोकतंत्र की ध्वनि। जंबू‑कश्मीर की कहानी भी उसी पहिये में चलती है। बदलाव अनिवार्य है, लेकिन प्रक्रिया सही हो तो ही स्थायी होगा।

Ujala Sharma

Ujala Sharma

नवंबर 18 2025

वाह, फिर से वही गोल‑गोल बातें, कुछ नया नहीं।

Vishnu Vijay

Vishnu Vijay

नवंबर 26 2025

हम सबको मिलकर इस मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना चाहिए 🤝 सभी की आवाज़ बराबर हो, तभी समाधान टिकाऊ रहेगा 🌟

Aishwarya Raikar

Aishwarya Raikar

दिसंबर 3 2025

भूलिए मत, हर बड़ी नीति के पीछे छिपा है कोई अंतरराष्ट्रीय एजेंडा। UCC केवल दिखावे के लिए नहीं, बल्कि कुछ बड़े लक्ष्य को छिपाने के लिए है। इसे अपनाने से हमारे सामाजिक ताने‑बाने में गड़बड़ी आएगी। जनता को सतर्क रहना चाहिए।

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