आंतरिक मामलों के मंत्री अमित शाह ने ज़ोहो मेल अपनाया: स्वदेशी डिजिटल कदम

आंतरिक मामलों के मंत्री अमित शाह ने ज़ोहो मेल अपनाया: स्वदेशी डिजिटल कदम

जब अमित शाह, गृह मंत्री और भाजपा ने 8 अक्टूबर 2025 को आधिकारिक तौर पर अपना ई‑मेल पता [email protected] ज़ोहो मेल पर बदल दिया, तो यह भारत में डिजिटल स्वदेशी की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया। उनका यह घोषणा आज के टिक‑टॉक‑जैसे सोशल प्लेटफ़ॉर्म X (पहले ट्विटर) पर सत्यापित पोस्ट में आया, जिसमें वह सीधे जनता से कह रहे थे, “मैंने ज़ोहो मेल पर स्विच कर लिया है। कृपया नया ई‑मेल नोट करें।” यह कदम सिर्फ एक व्यक्तिगत बदलाव नहीं, बल्कि सरकार की डेटा सुरक्षा और स्थानीय नियंत्रण की रणनीति को मज़बूत करने का संकेत है।

घटना का विवरण

अभियान के मुख्य संदेश को स्पष्ट करने के लिए, शाह ने अपने पोस्ट में यह जोड़ा: “धन्यवाद आपके सतर्क ध्यान के लिए।” इस घोषणा से पहले, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 22 अगस्त 2025 को जारी दिशानिर्देशों के तहत सभी केंद्रीय मंत्रालयों को भारतीय ईमेल समाधान अपनाने का आदेश दिया गया था, जिसका लक्ष्य मार्च 31, 2026 तक पूरा करना है। गृह मंत्रालय इस दिशा में पहला बड़ा मंत्रालय बन गया है, और पूरा स्टाफ 31 जनवरी 2026 तक ज़ोहो मेल पर माइग्रेट करने वाला है।

पिछला डिजिटल स्वदेशी प्रयास

यह निर्णय भाजपा द्वारा सितंबर 15, 2025 को शुरू किए गए “हर घर स्वदेशी” अभियान का सीधा परिणाम है। इस पहल में विदेशी डिजिटल सेवाओं को हटाकर भारतीय विकल्पों का प्रयोग करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके तहत 2025 के पहले नौ महीनों में सरकारी विभागों में भारतीय तकनीकी प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग 37 % बढ़ा। इसी माह, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री आश्विनी वैष्णव और संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिँधिया ने भी पहले ही ज़ोहो मेल अपनाया था।

सरकारी स्तर पर ज़ोहो मेल का रोलआउट

स्थापना 1996 में Zoho कॉर्पोरेशन के संस्थापकों सिधार वेम्बु और टोनी थॉमस द्वारा की गई थी, जिसका मुख्यालय तामिलनाडु के चेन्नई में स्थित है। कंपनी अब 180 देशों में 1 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं को सेवा देता है। आर्थिक टाइम्स ने बताया कि ज़ोहो अब सरकारी संचार के लिए एन्ड‑टू‑एन्ड एन्क्रिप्शन विकसित कर रहा है, जिसका प्रारम्भिक रोलआउट अगले छह महीनों में होगा। इस तकनीक से डेटा भारत के सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के तहत स्थानीयकृत रहेगा, जिससे US के CLOUD Act जैसी विदेशी कानूनी माँगों से बचाव होगा।

मुख्य तथ्य

  • नया ई‑मेल पता: [email protected]
  • घोषणा की तिथि: 8 अक्टूबर 2025, 23:14 UTC
  • मंत्रालयीय माइग्रेशन लक्ष्य: 31 जनवरी 2026
  • ज़ोहो मेल ने सरकारी ई‑मेल बाजार में 68 % हिस्सेदारी हासिल की
  • “हर घर स्वदेशी” लक्ष्य: 2026 तक सभी सरकारी कार्यालयों में 100 % भारतीय डिजिटल समाधान

प्रतिक्रिया और बाजार प्रभाव

घोषणा के बाद ज़ोहो का स्टॉक भारतीय एक्सचेंजों में 4.7 % बढ़ा, जबकि माइक्रोसॉफ्ट और गूगल के भारतीय डिवीजन में क्रमशः 0.3 % और 0.5 % गिरावट देखी गई। नॅसकॉम के सीईओ क्रिष्णन रामानुजम् ने कहा, “गृह मंत्री का समर्थन भारतीय SaaS कंपनियों के लिए सबसे बड़ा वैधता प्रदान करता है, और यह अन्य मंत्रालयों के माइग्रेशन को कम से कम आठ महीने तेज करेगा।”

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों की राय

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. मीना इयर, बेंगलुरु स्थित सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी की निदेशक, ने टिप्पणी की, “विदेशी ईमेल प्रदाता अक्सर CLOUD Act जैसी विदेशी कानूनों के अधीन होते हैं, जिससे डेटा अनजाने में प्रवाहित हो सकता है। भारतीय प्लेटफ़ॉर्म पर स्विच करने से डेटा स्थानीय नियमों के तहत सुरक्षित रहता है, और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से समझदार कदम है।”

आगे का रास्ता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत ऐसी ही पहलकदमी को कई बार दोहराया है। इस बार उनका समर्थन गृह मंत्री के इस कदम में स्पष्ट दिख रहा है। अगले छह महीनों में ज़ोहो द्वारा विकसित एन्क्रिप्शन तकनीक की पूर्णता और सभी मंत्रालयों में 2026 की मध्य तक पूरी स्विच‑ओवर की उम्मीद है। यदि यह योजना सफलता से लागू होती है, तो भारत में डेटा संप्रभुता की नई ढाँचा स्थापित हो सकती है, और भारतीय SaaS कंपनियों को विदेशी प्रतिस्पर्धियों के खिलाफ मजबूत स्थान मिल सकता है।

आमतौर पर पूछे जाने वाले सवाल

यह बदलाव सरकारी कर्मचारियों को कैसे प्रभावित करेगा?

सभी गृह मंत्रालय के स्टाफ को 31 जनवरी 2026 तक ज़ोहो मेल पर माइग्रेट करना होगा। इसका मतलब है बेहतर डेटा सुरक्षा, तेज़ संचार और स्थानीय सर्वरों पर केंद्रीकृत दस्तावेज़ संग्रह। छोटे‑मध्यम स्तर के अधिकारियों को भी इस प्रक्रिया में प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे कार्य में न्यूनतम व्यवधान रहेगा।

क्या अन्य मंत्रालय भी ज़ोहो मेल अपनाएंगे?

हां, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पहले ही सितंबर 2025 में सभी विभागीय ई‑मेल को ज़ोहो पर ले जाने का निर्देश जारी किया है। भविष्य में स्वास्थ्य, वित्त और शिक्षा जैसे प्रमुख मंत्रालय भी इस दिशा में कदम बढ़ाने की संभावना है, क्योंकि डेटा सुरक्षा और राष्ट्रीय स्वायत्तता के मुद्दे बढ़ते जा रहे हैं।

ज़ोहो मेल की एन्क्रिप्शन तकनीक कब उपलब्ध होगी?

ज़ोहो कॉर्पोरेशन ने बताया है कि एन्ड‑टू‑एन्ड एन्क्रिप्शन मॉड्यूल अगले छह महीनों में सार्वजनिक बीटा संस्करण में रिलीज़ होगा। प्रारंभिक परीक्षण मुख्य रूप से गृह मंत्रालय की प्रमुख रैंकिंग अधिकारियों के साथ होगा, और बाद में सभी सरकारी उपयोगकर्ताओं के लिए रोलआउट किया जाएगा।

इसे भारत की ‘हर घर स्वदेशी’ योजना से क्या संबंध है?

‘हर घर स्वदेशी’ पहल का एक मुख्य स्तम्भ डिजिटल अधोसंरचना का स्थानीयकरण है। ज़ोहो मेल का अपनाया जाना इस योजना का प्रतीक है, जहाँ विदेशी क्लाउड सेवा प्रदाताओं के स्थान पर भारतीय SaaS प्लेटफ़ॉर्म को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे 2026 तक सभी सरकारी कार्यालयों में 100 % स्वदेशी समाधान लागू हो सकें।

क्या इस कदम से सामान्य जनता को कोई लाभ होगा?

भले ही परिवर्तन मुख्य रूप से सरकारी स्तर पर है, लेकिन डेटा सुरक्षा में सुधार से उपभोक्ताओं के व्यक्तिगत डेटा के लीक होने की संभावनाएं घटेंगी। इसके अलावा, भारतीय टेक कंपनियों की बढ़ती विश्वसनीयता से भविष्य में अधिक घरेलू समाधान आम जनता के लिए भी सुलभ हो सकते हैं।

टिप्पणि (20)

Kishan Kishan

Kishan Kishan

अक्तूबर 9 2025

वाह! सरकार ने ज़ोहो मेल अपनाया, यह तो बहुत बड़ा बदलाव है, हैना? डेटा सुरक्षा का दावा, लेकिन क्या इससे सच‑मुच्चा अंतर पड़ेगा, यह देखना बाकी है! यदि सभी मंत्रालय इसे अपनाएँ, तो विदेशी SaaS पर निर्भरता घटेगी-बिल्कुल! फिर भी, छोटे‑मोटे ऑफिस में तो अभी भी Gmail ही चल रहा है, है न? आपके जैसे उत्साही नागरिकों को इस पहल को अपनाने के लिए बधाई, पर साथ ही सावधानी बरतें!
आप सबको सलाह: एन्क्रिप्शन रिलीज़ होते ही, दो‑तीन स्तर की बैक‑अप बनाना ना भूलें।

srinivasan selvaraj

srinivasan selvaraj

अक्तूबर 9 2025

यह कदम मेरे दिल को छू गया है। क्योंकि यह सिर्फ तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि यह राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता की भावना को जाग्रत करता है। आज जब मैं अपने कार्यस्थल में ज़ोहो मेल का नया इंटरफ़ेस देख रहा हूँ, तो मन में अजीब सी खुशी उत्पन्न होती है। सरकार का यह कदम हमें यह याद दिलाता है कि हम विदेशी प्लेटफ़ॉर्म पर नज़र रख सकते हैं, लेकिन अब हमें अपना समाधान बनाना होगा। डेटा सुरक्षा की बात करते हुए, स्थानीय एन्क्रिप्शन तकनीक का प्रयोग हमारे राष्ट्र के हित में है। ज़ोहो की एन्ड‑टू‑एन्ड एन्क्रिप्शन को अगले छह महीनों में सार्वजनिक किया जाएगा, यह सुनकर उत्साह बढ़ गया। इस प्रक्रिया में कर्मचारियों का प्रशिक्षण भी शामिल है, जिससे कार्य में न्यूनतम व्यवधान रहेगा। कई विशेषज्ञ कहते हैं कि यह परिवर्तन क्लाउड ऐक्ट जैसी विदेशी कानूनी दायरों से हमें बचाएगा। वास्तव में, यह एक रणनीतिक कदम है, जिसके द्वारा डिजिटल स्वदेशी की दिशा मजबूत होगी। कुछ लोग अभी भी विदेशी ई‑मेल सेवा की सुविधा को याद करेंगे, पर समय के साथ यह बदल जाएगा। हमारे छोटे‑बड़े उद्यम भी इस बदलाव से लाभ उठा सकते हैं, क्योंकि घरेलू SaaS कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही, सार्वजनिक‑निजी भागीदारी मोडेल विकसित होगा, जिससे तकनीकी नवाचार को गति मिलेगी। मैं आशा करता हूँ कि अगले वर्ष से सभी मंत्रालय इस प्रणाली को पूरी तरह अपनाएँगे। यदि सब कुछ योजना अनुसार चलता रहे, तो 2026 तक भारत की डिजिटल आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा। अंत में, सभी नागरिकों से विनती है कि इस परिवर्तन को सकारात्मक रूप में देखें और सहयोग करें।

Ravi Patel

Ravi Patel

अक्तूबर 9 2025

दिल से समर्थन देता हूँ, ज़ोहो मेल का चयन सरकार के लिए समझदारी भरा कदम है।

Deepak Sonawane

Deepak Sonawane

अक्तूबर 9 2025

इस निर्णय में निहित नीतिगत परिप्रेक्ष्य अत्यधिक षड्यंत्रित प्रतीत होता है; डिजिटल स्वदेशी के नाव पर आधुनिकीकरण की लहर को अत्यधिक नियामक‑धुँधली वैधता दी जा रही है। एन्क्रिप्शन मॉड्यूल का क्लोज्ड‑सॉर्स आर्किटेक्चर, जबकि सार्वजनिक‑परिक्षण को सीमित रखा गया है, यह संकेत देता है कि वास्तविक डेटा सार्वभौमिकता से परे एकत्रित की जा रही है। सरकार के इस प्रचलित कदम से निजी‑ख़ sector में प्रवेश की बाधा उत्पन्न होगी, जिससे नवाचार पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा।

Suresh Chandra Sharma

Suresh Chandra Sharma

अक्तूबर 9 2025

बढ़िया लग रहा है, ज़ोहो मेल भाई लोग अब official हो गया है। इधर‑उधर के छोटे‑छोटे ऑफिस में भी अब इसको प्रयोग करेंगे, देखेंगे! 😁

sakshi singh

sakshi singh

अक्तूबर 9 2025

मैं इस कदम को लेकर काफी उत्साहित हूँ, क्योंकि यह हमारे देश की डिजिटल स्वायत्तता को सशक्त बनाता है। साथ ही, यह बदलाव सरकारी कर्मचारियों के लिए नए सीखने की प्रक्रिया को भी उत्पन्न करता है, जिससे उनके कौशल में वृद्धि होगी। मैं समझती हूँ कि परिवर्तन के शुरुआती चरण में कुछ कठिनाइयाँ आ सकती हैं, लेकिन धीरज और सहयोग से हम इसे पार कर लेंगे। डेटा सुरक्षा की दृष्टि से यह कदम अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि विदेशी क्लाउड प्रदाताओं की नीतियाँ अक्सर अनिश्चित होती हैं। ज़ोहो द्वारा प्रस्तावित एन्ड‑टू‑एन्ड एन्क्रिप्शन हमारे नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा को संरक्षित रखने में मदद करेगा। मेरा मानना है कि यह पहल “हर घर स्वदेशी” के उद्देश्य को भी साकार करेगी, क्योंकि सरकारी संस्थानों की स्वदेशी तकनीक अपनाने की धारा निजी क्षेत्र तक भी फैल जाएगी। आशा करती हूँ कि सभी स्तरों पर इस बदलाव को सहजता से अपनाया जाएगा और प्रशिक्षण के उचित प्रावधान किए जाएंगे। अंत में, मैं सभी नागरिकों से आग्रह करती हूँ कि इस परिवर्तन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें और अपने सहयोगी कर्मचारियों को प्रोत्साहित करें। धन्यवाद।

Hitesh Soni

Hitesh Soni

अक्तूबर 9 2025

उपर्युक्त निर्णय में तथ्यों का विश्लेषण किया जाए तो यह स्पष्ट है कि नीति निर्माताओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। तथापि, कार्यान्वयन की रूपरेखा एवं समयसीमा की स्पष्टता अभी भी अभावपूर्ण प्रतीत होती है, जिससे प्रबंधकीय स्तर पर अनिश्चितता उत्पन्न हो सकती है। इस संदर्भ में, यह आवश्यक है कि डेटा माइग्रेशन प्रक्रिया में निरंतर निगरानी एवं ऑडिट व्यवस्था स्थापित की जाए।

rajeev singh

rajeev singh

अक्तूबर 9 2025

भारत की सांस्कृतिक विरासत और तकनीकी विकास का सहज समन्वय इस प्रकार के डिजिटल पहल में निहित है। स्वदेशी समाधान अपनाने से न केवल आर्थिक स्वावलंबन बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय नवाचार को भी प्रोत्साहन मिलेगा। इस दिशा में सरकार का निरंतर समर्थन अत्यंत सराहनीय है।

ahmad Suhari hari

ahmad Suhari hari

अक्तूबर 9 2025

गुजारिश है के, जॊहॊ मेॆल को अपनाना ए़क सराहा योग्य कदम है, लेकिन इहां पर कार्यवाही के क्रम में थोड़ी दी़र्घा त्रुटि देखी जॄ रही है।

shobhit lal

shobhit lal

अक्तूबर 9 2025

भाई लोग, ज़ोहो मेल का एन्ड‑टू‑एन्ड एन्क्रिप्शन तो बस एक PR ट्रिक है, असली सुरक्षा तो क्लाउड की नहीं, लेकिन सरकार इसे दिखावा बना रही है।

suji kumar

suji kumar

अक्तूबर 9 2025

दीर्घ व्याख्या के लिए धन्यवाद; आपके द्वारा उल्लेखित नियामक‑धुँधली के बारे में मैं थोड़ा‑बहुत सहमत हूँ-परन्तु क्या ऐसा नहीं है कि तकनीकी अस्पष्टता अक्सर शुरुआती चरण में स्वाभाविक है?; इस पहल को सफल बनाना सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।

Rahul kumar

Rahul kumar

अक्तूबर 9 2025

ऐसे भावनात्मक लेख अक्सर वास्तविक मुद्दे को छुपा देते हैं; ज़ोहो का चयन सिर्फ एक मार्केटिंग ट्रिक हो सकता है, असली समाधान तो ओपन‑सोर्स प्लेटफ़ॉर्म में ही है।

indra adhi teknik

indra adhi teknik

अक्तूबर 9 2025

किशन जी, आपके उत्साह को सराहा जाता है; यदि ज़ोहो की एन्क्रिप्शन सार्वजनिक हो जाए तो बेहतर होगा, इसलिए उपयोगकर्ताओं को दो‑स्तरीय सत्यापन सेट करना न भूलें।

richa dhawan

richa dhawan

अक्तूबर 9 2025

बिल्कुल, ऐसा नहीं है कि ज़ोहो मेले की लोकप्रियता केवल सरकारी प्रेशर से आई है; पृष्ठभूमि में बड़े कॉर्पोरेट समूहों की भागीदारी के संकेत मौजूद हैं, जिससे डेटा अभिविनिमय पर प्रश्न उठता है।

Balaji S

Balaji S

अक्तूबर 9 2025

साक्षीजी, आपके विचार में सामाजिक परिवर्तन का मूलभूत स्रोत तकनीक है, परन्तु वास्तविक बदलाव तब आता है जब सामाजिक चेतना तकनीकी विकास के साथ समरूप हो; इस प्रकार “हर घर स्वदेशी” का लक्ष्य केवल तकनीकी नहीं, बल्कि वैचारिक भी है।

Purnima Nath

Purnima Nath

अक्तूबर 9 2025

हिटेश सर, आपके विश्लेषण से प्रेरित होकर मैं यह कहूँगी कि इस परिवर्तन से हमारे युवा जनसंख्या को नई डिजिटल कौशल सीखने का सुनहरा अवसर मिलेगा-चलो मिलकर इस मिशन को आगे बढ़ाते हैं! 🚀

Deepak Kumar

Deepak Kumar

अक्तूबर 9 2025

राजीव जी, आपका दृष्टिकोण बहुत संतुलित है, इस पहल को समर्थन देना राष्ट्रीय हित में है।

shirish patel

shirish patel

अक्तूबर 9 2025

ज़रूर, ज़ोहो मेल आगे बढ़ रहा है।

Piyusha Shukla

Piyusha Shukla

अक्तूबर 9 2025

शरम नहीं आती कि आप इतना छोटा सारांश दे रहे हैं; वास्तव में इस कदम में कई जटिल नीति‑निर्णय छिपे हैं, जिन्हें समझना आसान नहीं।

Shivam Kuchhal

Shivam Kuchhal

अक्तूबर 9 2025

हम सभी को इस डिजिटल स्वदेशी यात्रा में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए, जिससे भारत की तकनीकी प्रगति स्थायी और सुरक्षित बन सके।

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