अमेरिकी राजनीतिज्ञ और कार्यकर्ता क्षमा सावंत, जो सिएटल में स्थित हैं, को फिर से भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा आपातकालीन वीजा देने से मना कर दिया गया है। यह घटना उन्हें अपनी गंभीर रूप से बीमारी से जूझ रही माँ से मिलने के लिए कर्नाटक के बेंगलुरु जाने से रोक रही है। इस वर्ष में यह दूसरी बार है जब उनका वीजा आवेदन अस्वीकार कर दिया गया है। दूसरी ओर, उनके पति कैल्विन प्रीस्ट को यात्रा के लिए वीजा मिल गया है।
राजनीतिक विवाद और विरोध
सिएटल की पूर्व सिटी काउंसिल सदस्य सावंत भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन की कड़ी आलोचक रही हैं। उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) जैसी नीतियों का जमकर विरोध किया है। 2020 में, उन्होंने सिएटल सिटी काउंसिल में एक प्रस्ताव का नेतृत्व किया जो CAA की निंदा करता था। इसमें मजदूर संघटनों और नागरिक अधिकार संगठनों का समर्थन भी शामिल था।
उनकी 82 वर्षीय माँ, वसुंधरा रामानुजम, कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त हैं, जिनमें एट्रियल फिब्रिलेशन, सीओपीडी, पुरानी किडनी की बीमारी, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और इस्केमिक हृदय रोग शामिल हैं। सावंत को संदेह है कि उनके वीजा अस्वीकृति के पीछे सत्ता का राजनीतिक बदला हो सकता है, खासकर जब उन्होंने 2019 के बाद से बिना किसी मुद्दे के भारत की यात्राएं की हैं।
कानूनी रास्ते पर विचार
सावंत ने कानूनी चुनौती देने पर विचार किया है, हालांकि अभी तक किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है। वाणिज्य दूतावास ने सीमित जानकारी देते हुए केवल यह बताया कि उनका नाम 'अस्वीकृति सूची' में मौजूद था। इस स्थिति पर सावंत ने भारत की राजनीतिक विपक्ष से अपील की है कि वे ऐसी नीतियों का मुकाबला करें।
यह मामला केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि एक व्यापक मुद्दा है, जो नागरिक अधिकारों और राजनीति के बीच के संघर्ष को उजागर करता है। इससे यह प्रश्न उठता है कि क्या राजनीतिक विचारधारा व्यक्ति के व्यक्तिगत अधिकारों और जरूरतों पर भारी पड़ सकती है?
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