बॉलिवुड की पहली महिला सुपरहीरो: इतिहास और अनकही कहानी

बॉलिवुड की पहली महिला सुपरहीरो: इतिहास और अनकही कहानी

जब बॉलीवुड में सुपरहीरो ट्रेंड ने दो‑तीन साल पहले तेज़ी पकड़ी, तो कई लोगों ने सोचा कि इस दिशा में महिला किरदारों की बात ही नहीं हुई। असल में, यह कहानी कुछ साल पहले से ही शुरू हो चुकी थी, लेकिन आज‑कल की खबरों में अक्सर इस पहलू को अनदेखा किया जाता है।

पहली महिला सुपरहीरो का उदय

1999 की फिल्म शक्ति: द रेस्क्यू ने भारतीय सिनेमा में महिला अंतहीरो को अपनाने का पहला कदम रखा। इस फिल्म में पहली महिला सुपरहीरो का किरदार अभयानी मुखर्जी ने ‘सितारा’ नाम से निभाया। सितारा को एक वैज्ञानिक-खोजकर्ता के रूप में दिखाया गया, जो एक प्रयोग के बाद सुपर शक्ति हासिल करती है – उड़ान, अतिमात्रा शक्ति और टेलीपैथिक क्षमताएँ। फिल्म ने बॉक्स‑ऑफ़ में औसत प्रदर्शन किया, लेकिन इंटरनेट पर फैंस ने सितारा की क्षमताओं और स्टाइल को काफी सराहा।

भले ही इस फ़िल्म को बड़े पैमाने पर मार्केटिंग नहीं मिली, लेकिन वह विशेष वर्ग के दर्शकों में एक किल्ट क्लासिक बन गई। कई फ़िल्म‑निर्माताओं ने इस प्रयोग को नोट किया और महिलाओं के लिए एक्शन‑फ़्रंट को अधिक खुला करने की सम्भावना देखी।

बॉलीवूड में सुपरहीरो बूम और प्रभाव

बॉलीवूड में सुपरहीरो बूम और प्रभाव

अगले दशकों में, जब 2013 में हैरी पॉटर जैसी विदेशियों के सुपरफ्रंट को स्थानीय रूप में डुबोने की कोशिशें हुईं, तो सिटारा की छाप अब तक नहीं मिटी थी। 2015 में आयुर्वेदिक संस्थान ‘गुरुश्री प्रोडक्शंस’ ने शक्ति – पुनरुत्थान नाम की फ़िल्म बनाई, जिसमें नयी पीढ़ी की सुपरहीरो ‘निया’ (दीपिका पादुकोण) का परिचय हुआ। यह फ़िल्म लाइटनिंग की तेज़़ गति जैसी क्षमताओं को दर्शाती थी, जो दर्शकों को एक नया रोमांच प्रदान करती थी।

  • पहले चरण में: सितारा (अभयानी मुखर्जी) – 1999, प्रयोग-आधारित सुपरपावर।
  • दूसरे चरण में: नियी (दीपिका पादुकोण) – 2015, पारंपरिक शक्ति और सामाजिक संदेश।
  • तीसरा चरण: मलिंगी (कारिश्मा कपूर) – 2021, साइबर‑प्रोटेक्टिव थीम आधारित।

इन फिल्मों ने न केवल महिलाओं को एक्शन‑रोड पर लाया, बल्कि बहुत सारे युवा फ़ैन्स को प्रेरित किया कि वो भी तकनीक और विज्ञान के साथ प्रयोग करके नई कहानियों को जन सकें। आज जब हम लोकह – चॅप्टर १: चंद्रा की बात सुनते हैं, तो यह याद रखना जरूरी है कि इस स्टुडियो ने भी क़दम बटोरते हुए पहले से ही महिलाओं को सुपर पावर के मंच पर लाया था।

भले ही कई मीडिया रिपोर्ट्स अभी भी केवल काव्यात्मक तौर पर बॉलिवुड की “पहली महिला सुपरहीरो” को कालीनी प्रियार्धन (कर्नाटक) के साथ जोड़ती हैं, परन्तु सितारा जैसा किरदार हमारी स्मृति में मौजूद है। इसका महत्व इसलिए भी बड़ा है क्योंकि यह बताता है कि कैसे इंडस्ट्री में छोटे‑छोटे प्रयोग बड़े बदलावों की बुनियाद बनते हैं।

टिप्पणि (12)

Arun Sai

Arun Sai

सितंबर 28 2025

पहले ही दशक में 'सितारा' जैसी महिला सुपरहीरो को पेश करना एक अल्पकालिक मार्केटिंग ट्रिक जैसा था, असल में इसका दीर्घकालिक अंतर नहीं रहा। इस पहल को अक्सर अतियथार्थवादी रूप में देखा जाता है, जबकि वास्तविक प्रभाव सीमित रहा।

Manish kumar

Manish kumar

सितंबर 28 2025

चलो इसको एक प्रेरणा की तरह देखें! हमने देखे कि छोटे प्रयोग बड़े बदलावों की बुनियाद बनते हैं, इसलिए नई महिला सुपरहीरो प्रोजेक्ट्स को सपोर्ट करना चाहिए। ऊर्जा और जुनून से ही इंडस्ट्री आगे बढ़ेगी।

Divya Modi

Divya Modi

सितंबर 29 2025

बिल्कुल, सितारा ने भारतीय सिनेमा में नई संभावनाएं खोल दीं 😊 सुपरपावर वाले किरदार अब केवल पुरुष ही नहीं, महिलाओं में भी लोकप्रिय हो रहे हैं।

ashish das

ashish das

सितंबर 29 2025

अवश्य, इस विषय का विश्लेषण करते हुए हमें ऐतिहासिक संदर्भ एवं सामाजिक प्रभावों को व्यापक रूप में समझना आवश्यक है, यह न केवल कलात्मक अभिव्यक्ति बल्कि लैंगिक समानता के प्रति एक महत्त्वपूर्ण कदम भी दर्शाता है।

vishal jaiswal

vishal jaiswal

सितंबर 30 2025

निश्चित ही, ‘शक्ति: द रेस्क्यू’ ने विज्ञान‑कथा एवं मसालादार भारतीय तत्वों को मिश्रित किया, जिससे दर्शकों को नयी दृष्टिकोण मिली।

Amit Bamzai

Amit Bamzai

सितंबर 30 2025

जब हम 1999 की फिल्म ‘शक्ति: द रेस्क्यू’ को देखते हैं, तो स्पष्ट है कि इसके निर्माताओं ने वैज्ञानिक खोज, सुपरपावर क्षमता, और सामाजिक संदेश को एक साथ बुनने का प्रयत्न किया था,
उसी समय उद्योग में मुख्यधारा की कहानी कहने की पारंपरिक विधाएँ अभी भी हावी थीं, इसलिए एक महिला नायक को प्रमुख भूमिका में लाना एक रणनीतिक जोखिम प्रतीत हुआ,
फिर भी अभयानी मुखर्जी ने सितारा के रूप में दिखाया कि शक्ति के साथ जिम्मेदारी, पहचान की खोज, और तकनीकी नवाचार को कैसे जोड़ा जा सकता है,
फिल्म की बॉक्स‑ऑफ़ प्रदर्शन मध्यम थी, परन्तु इंटरनेट फोरम, सामाजिक मीडिया, तथा फैन क्लब में इसकी चर्चा ने एक किल्ट क्लासिक की उत्पत्ति को प्रेरित किया,
यह दर्शाता है कि सांस्कृतिक प्रतिध्वनि, दर्शक सहभागिता, तथा शब्द‑संस्कृति का मिश्रण ही अक्सर दीर्घकालिक प्रभाव डालता है,
बाद में 2015 में दी गई ‘शक्ति – पुनरुत्थान’ ने नई पीढ़ी को लक्ष्य बनाते हुए, न केवल शक्ति, बल्कि सामाजिक चेतना को भी प्रमोट किया,
दीपिका पादुकोण ने नियी के किरदार में तेज़ गति, लाइटनिंग जैसी क्षमताओं को जोड़कर, दर्शकों को अद्वितीय रोमांच प्रदान किया,
ऐसे प्रयोग दर्शाते हैं कि जब तकनीकी विज्ञान, मिथक, एवं सामाजिक ढाँचा एक साथ काम करते हैं, तो नया आयाम उत्पन्न होता है,
फिर भी, कई मीडिया आउटलेट्स ने इस विकास को अति‑सतही रूप में प्रस्तुत किया, जिससे मूल संदेश के महत्व को कम आँका गया,
इससे यह स्पष्ट होता है कि कथा‑निर्माण में गहरी विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण, सांस्कृतिक संवेदनशीलता, तथा तकनीकी ज्ञान का संतुलन आवश्यक है,
बॉलिवुड की महिला सुपरहीरो यात्रा को समझते समय हमें इस बात को भी याद रखना चाहिए कि यह केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का भी एक रूप है,
जैसे ही हम ‘लोकह – चॅप्टर १: चंद्रा’ जैसी नई परियोजनाओं की ओर देखते हैं, हमें यह पहचानना चाहिए कि ये सब पहले के प्रयोगों की विकसित हुई शाखाएँ हैं,
इसलिए फिल्म निर्माताओं को चाहिए कि वे लेंस‑मैगर पर सिर्फ बॉक्स‑ऑफ़ न देख कर, दर्शकों के मनोवैज्ञानिक जुड़ाव, सामाजिक प्रभाव, तथा लंबी अवधि की सांस्कृतिक विरासत को भी महत्व दें,
वास्तविकता में, विज्ञान‑फिक्शन, पारम्परिक कथा, तथा नारी शक्ति के समन्वय से ही हम ऐसी कहानियाँ बना सकते हैं जो दोनों ही प्रजित होते हैं,
अंत में, यह तथ्य अनिवार्य है कि छोटे‑छोटे प्रयोग, जैसे सितारा का किरदार, बड़े बदलावों की नींव रखता है, और ऐसे प्रयोगों को मान्यता और समर्थन मिलना चाहिए।

ria hari

ria hari

अक्तूबर 1 2025

बहुत बढ़िया विश्लेषण, इस ऊर्जा को आगे भी बनाए रखें, नई सुपरहीरो कहानियों के लिए आपका उत्साह प्रेरणादायक है।

Alok Kumar

Alok Kumar

अक्तूबर 2 2025

साफ़ शब्दों में कहूँ तो यह सब सिर्फ बौक्से पर फटकार है, असली बॉक्स‑ऑफ़ और मार्केटिंग रणनीति के बिना ये सब व्यर्थ है, फिल्में केवल मुनाफ़े के लिए बनती हैं।

Nitin Agarwal

Nitin Agarwal

अक्तूबर 2 2025

इतिहास में यह एक माइलस्टोन है।

Ayan Sarkar

Ayan Sarkar

अक्तूबर 3 2025

क्या आपको नहीं लगता कि इस पूरी कहानी के पीछे बड़े कॉरपोरेट खिलाड़ी हैं, जो महिलाओं को सुपरहीरो बनाकर नई आयुर्वेदिक ब्रांड्स को मार्केट करने का बहाना ले रहे हैं? यह सब एक बड़े प्लान का हिस्सा हो सकता है।

Amit Samant

Amit Samant

अक्तूबर 3 2025

हम सबको मिलकर ऐसी कहानियों को सशक्त बनाना चाहिए, ताकि नई पीढ़ी में आत्मविश्वास और साहस का संचार हो। आपका सकारात्मक दृष्टिकोण इस दिशा में एक प्रकाशस्तम्भ है।

Jubin Kizhakkayil Kumaran

Jubin Kizhakkayil Kumaran

अक्तूबर 4 2025

देश की सांस्कृतिक धरोहर को अपनाते हुए, हमारी फिल्में ही असली सुपरहीरो की पराक्रम को दर्शा सकती हैं, इसलिए हमें विदेशी ट्रेंड्स की बजाय अपनी मूल शक्ति पर भरोसा करना चाहिए। इस विचारधारा को समझना ही राष्ट्रीय गौरव का मूल है।

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