डबल आईस्मार्ट मूवी रिव्यू: डबल सिम, आधा स्मार्ट - पूरी जानकारी

डबल आईस्मार्ट मूवी रिव्यू: डबल सिम, आधा स्मार्ट - पूरी जानकारी

फिल्म 'डबल आईस्मार्ट' की समीक्षा

पुरी जगन्नाध द्वारा निर्देशित और पुरी जगन्नाध, चार्मे कौर द्वारा निर्मित फिल्म 'डबल आईस्मार्ट' की समीक्षा इस आर्टिकल में की गई है। यह फिल्म पिछली सफल फिल्म 'आईस्मार्ट शंकर' की सीक्वल है, लेकिन इसमें बहुत सी कमियां भी दिखती हैं। इस फिल्म में प्रमुख भूमिका में राम पोथिनेनी, संजय दत्त, काव्या थापर, बानी जे, अली, गेटअप श्रीनू, सायाजी शिंदे, मकरंद देशपांडे, प्रगति, झांसी, और टेम्पर वामसी हैं।

कहानी का सारांश

फिल्म की कहानी शुरू होती है दिल्ली से हैदराबाद आई जन्नत (काव्या थापर) से, जो अपने निजी कारणों से दिल्ली छोड़ चुकी है। वहीं, शंकर (राम पोथिनेनी) का लक्ष्य है अपनी माँ के मर्डर का बदला लेना, जो कि माफिया डॉन बिग बुल (संजय दत्त) से है। बिग बुल एक ब्रेन ट्यूमर से प्रभावित है और अपनी यादों को किसी और के दिमाग में ट्रांसफर करने की योजना बना रहा है ताकि वह अमर हो सके।

जन्नत की मुलाकात शंकर से होती है और धीरे-धीरे कहानी में ट्विस्ट आने लगते हैं। शंकर का चयन बिग बुल की यादों को ट्रांसफर करने के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार के रूप में किया जाता है। इस रोमांचक कहानी का मुख्य उद्देश्य यही है कि क्या शंकर बड़ा खतरा मोल लेते हुए बिग बुल से अपना बदला ले पाएगा या नहीं।

फिल्म की विशेषताएँ

राम पोथिनेनी का एनर्जेटिक प्रदर्शन फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण है। उनका स्टाइल और डायलॉग डिलीवरी पिछली फिल्म के मुकाबले और भी निखरा हुआ नज़र आता है। संजय दत्त, जिन्हें बिग बुल के रूप में कास्ट किया गया है, अपनी भूमिका में सहज प्रतीत होते हैं लेकिन उनके किरदार में त्रुटियाँ भी दिखती हैं।

कमज़ोर पक्ष

फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी कहानी है, जिसमें ताजगी और मौलिकता की कमी है। कहानी में कुछ ऐसे पुराने घटकों को शामिल किया गया है जो दर्शकों को बांधे रखने में असमर्थ हैं। कॉमेडी ट्रैक, जिसमें अली प्रमुख भूमिका में हैं, बेअसर और कहानी से कटौती महसूस होता है।

दर्शकों की प्रतिक्रिया

इस फिल्म को दर्शकों से मिश्रित प्रतिक्रिया मिली है। जहां राम के फैन्स उनकी प्रजेंस से प्रसन्न हैं, वहीं कई लोग कहानी की पुरानी सोच और 'मास्स मोमेंट्स' की कमी से निराश हैं।

निष्कर्ष

फिल्म 'डबल आईस्मार्ट' एक ऐसे सीक्वल के रूप में सामने आती है जो अपने पहले भाग की ऊँचाईयों को हासिल करने में असमर्थ रहती है। ताजगी और मौलिकता की कमी के चलते यह फिल्म दर्शकों को बांधने में नाकामयाब होती है। मूवी को 2.5/5 स्टार्स दी जाती हैं।

टिप्पणि (13)

Ayan Sarkar

Ayan Sarkar

अगस्त 15 2024

डबल आईस्मार्ट के नरेटिव स्ट्रक्चर में क्वांटम एंटैंगलमेंट मोड्यूल को हाइपरबोलिक रूप से इंटीग्रेट किया गया है जिससे प्लॉट कॉम्प्लेक्सिटी में अप्रत्याशित फेज शिफ्ट उत्पन्न होता है। इस सिनेमैटिक अर्नोल्डियन फ्रेमवर्क के अंदर ब्रेन ट्यूमर को डेटा पॉइंट के रूप में विज़ुअलाइज़ किया गया है जिससे दर्शक को साइको‑एडिटिव एम्बेडिंग के माध्यम से इन्फॉर्मेशन ओवरलोड का अनुभव होता है।

Amit Samant

Amit Samant

अगस्त 16 2024

यह समीक्षा फिल्म की ताकतों और कमजोरियों को संतुलित दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है। निर्देशक की दृष्टि स्पष्ट है और मुख्य अभिनेता ने ऊर्जा से भरपूर प्रदर्शन किया है। हालांकि कहानी में नई सोच की कमी महसूस होती है, फिर भी अभिनेता की कैरेक्टराइज़ेशन दर्शकों को कुछ हद तक जमे रखती है। कुल मिलाकर यह एक मध्यम स्तर की फिल्म है जिसके लिए दर्शकों को अपेक्षित मनोरंजन मिल सकता है।

Jubin Kizhakkayil Kumaran

Jubin Kizhakkayil Kumaran

अगस्त 17 2024

इंडियन सिनेमा को अब ऐसे विदेशी फ़ॉर्मूले से नहीं बचना चाहिए जहाँ बिग बुल जैसी क्लिच पात्रता को भारतीय पार्श्वभूमि में जबरन फिट किया जाता है। यह फिल्म केवल बॉक्स ऑफिस के लिए कॉपी‑पेस्ट नहीं बल्कि राष्ट्रीय पहचान के लिए भी धुंधली फासला बन गई है। हमें अपने किरदारों में असली भारतीय भावना और स्वाभाविक संघर्ष को देखना चाहिए न कि काल्पनिक ट्यूमर वाला परेड।

tej pratap singh

tej pratap singh

अगस्त 17 2024

कहानी में दोहराव बहुत अधिक है।

Chandra Deep

Chandra Deep

अगस्त 17 2024

फिल्म में ट्रांसफर टेक्नोलॉजी का प्रयोग दिलचस्प है लेकिन इसे और गहराई से एक्सप्लोर किया जा सकता था क्योंकि दर्शक इस कॉन्सेप्ट को समझना चाहेंगे शायद यह वैज्ञानिक बुनियाद के साथ तालमेल बिठाए तो बेहतर हो सकता है

Mihir Choudhary

Mihir Choudhary

अगस्त 17 2024

व्वा! राम की एनर्जेटिक एंट्री देख कर तो दिल धड़कने लगा 😍👏 फिल्म में एंट्री सीन वाकई में हट्टी है लेकिन बाकी हिस्से में थोड़ा सुधार की जरूरत है 🙃👍

Tusar Nath Mohapatra

Tusar Nath Mohapatra

अगस्त 18 2024

अरे भाई, ‘डबल आईस्मार्ट’ का मतलब दो बार दिमाग से काम लेना है, लेकिन फिल्म देखकर तो लगता है दिमाग दो बार ही फ़्लैट हो गया था।

Ramalingam Sadasivam Pillai

Ramalingam Sadasivam Pillai

अगस्त 18 2024

जब हम फिल्म को एक जीवन यात्रा समझते हैं तो किरदारों के चुनाव और उनके निर्णय हमारे अपने विकल्पों की परछाइयाँ बन जाते हैं। बिग बुल का सपना अमर होने का वास्तविकता में हमारे आत्मा की अनन्त खोज से जुड़ा है। इसलिए फिल्म की कमजोरियों को भी एक गहन मनन के रूप में देखना चाहिए।

Ujala Sharma

Ujala Sharma

अगस्त 18 2024

समीक्षा ठीक‑ठाक है, कुछ खास नहीं।

Vishnu Vijay

Vishnu Vijay

अगस्त 19 2024

सभी को नमस्ते 🙏 इस फ़िल्म को देख कर हमें कुछ नया नहीं मिला लेकिन एंटरटेनमेंट के लिए ठीक है 😎 चलिए मिलकर इसके पॉज़िटिव पॉइंट्स को सराहें और फीडबैक से आगे बढ़ें।

Aishwarya Raikar

Aishwarya Raikar

अगस्त 19 2024

बहुत लोग कहते हैं कि बिग बुल का प्लॉट कॉपी है, लेकिन अगर आप गुप्त सरकारी प्रयोगों की बात करें तो यह एक वैध मेइंग भी बन सकती है 🤔 शायद फिल्म बनाते समय उन्होंने कन्फिडेंशियल फ़ाइलें पढ़ी हों, लेकिन दर्शकों को थोड़ी सच्चाई दिखाने की ज़रूरत है। सच में, अगर आप इस फिल्म को बहुत गहराई से देखेंगे तो आप को पता चलेगा कि यह सिर्फ एक मूवी नहीं बल्कि एक सोशल एक्सपेरिमेंट भी हो सकता है।

Arun Sai

Arun Sai

अगस्त 19 2024

सामान्यत: लोग इस फिल्म को ‘डिसएपॉइंटिंग’ कहेंगे लेकिन अगर हम थ्योरी ऑफ रिवर्स इफेक्ट को अपनाएँ तो इसे एक आकस्मिक पोस्ट‑मॉडर्न पॉलिटिकल एलेमेंट माना जा सकता है जो दर्शक के अवचेतन को उलटने का प्रयास करता है। इसको नकारना वास्तव में एक बायस्ड प्रोसेस है।

Manish kumar

Manish kumar

अगस्त 21 2024

डबल आईस्मार्ट की कथा को कई स्तरों पर समझा जा सकता है। पहला स्तर वह सतही एक्शन है जहाँ शंकर का लक्ष्य बिग बुल से बदला लेना है। दूसरा स्तर में विज्ञान‑फ़िक्शन तत्व है जहाँ स्मृति ट्रांसफर की प्रक्रिया को दिखाया गया है। तीसरा स्तर में सामाजिक टिप्पणी निहित है जो शक्ति के दुरुपयोग को उजागर करती है। फिल्म में राम पोथिनेनी का जोश दर्शकों को ऊर्जा से भर देता है। संजय दत्त का बिग बुल किरदार थोड़ा अतिरंजित है परन्तु वह antagonist की भूमिका में प्रभावी रहता है। कहानी में कुछ क्लिच भी हैं जैसे बदला, स्मृति का नुकसान और अंत में मोड़। इन क्लिच को हटाने से कहानी अधिक ताज़ा और प्रामाणिक बन सकती थी। कॉमेडी ट्रैक में अली का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर लगा। यह भाग फिल्म के टेम्पो को धीमा कर देता है। लेकिन कुछ दृश्यों में सिनेमा टोन और संगीत का मिश्रण सराहनीय था। बैकग्राउंड स्कोर ने तनावपूर्ण क्षणों को बढ़ाया। सिनेमैटोग्राफी में शहर की लाइट्स और हाई‑टेक सेट्स को खूबसूरती से पेश किया गया है। हालांकि, सम्पूर्ण रूप से कहानी की गहराई में कमी महसूस हुई। दर्शकों को नई विचारधारा की अपेक्षा थी लेकिन वह नहीं मिली। कुल मिलाकर, फिल्म को 2.5 स्टार्स देना उचित लगता है।

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