जब ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री पश्चिम बंगाल ने कहा कि टूरिस्ट अब जहाँ हैं वहीं रहें, तो वह पुलिस सुरक्षित बहाली करेगी — ये शब्द सर्दी के बाद डार्जिलिंग में बाढ़‑भूस्खलन के बाद सुनाई दिए। यह घोषणा रविवार रात के अचानक आए तेज़ बारिश के बाद, जब द्रुत‑गति से ट्रैफ़िक सड़कों और पुलों पर आ रहा था, तब की गई।
परिस्थिति की पृष्ठभूमि
डार्जिलिंग, डार्जिलिंग जिला के साथ‑साथ मिरिक और कुर्सेऊँग पर भी लगातार भारी वर्षा बरस रही थी। दुर्गा पूजा के बाद की पर्यटन भीड़ ने इस क्षेत्र की भीड़बाड़ी को और तेज़ कर दिया था, जिससे कई लोग पहाड़ी झोपड़ी, होटल और कैंपिंग साइट पर फँस गए। मौसम विभाग ने डार्जिलिंग बाढ़ को लाल चेतावनी दी थी, लेकिन बरसात ने बताए गए आँकड़ों से दोगुना आँसू नहीं देखा।
घटनाक्रम और नुकसान
रविवार की रात 2:00 AM पर, असाधारण वर्षा ने दुधिया आयरन ब्रिज को भी धराशाई कर दिया। इस पुल को स्थानीय लोगों ने प्रमुख कनेक्शन माना था — इससे मिरिक, कुर्सेऊँग और अन्य पर्यटन स्थल सीधे जुड़े थे। इसके गिरने से एन एच‑55 व एन एच‑10 दोनों ही प्रमुख हाईवे बाधित हो गए, जिससे सिलिगुड़ी से कई दूरस्थ गांवों का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस आपदा में कम से कम 17‑20 लोगों की जान गई, जिसमें कई बच्चों की भी शोकांतिका थी।
सरकार की तत्काल कार्यवाही
भारी बारिश के बाद, मुख्यमंत्री ने तुरंत आपातकालीन नियंत्रण कक्ष स्थापित किया। उन्होंने कहा, “हमारी टीम 24 × 7 सक्रिय है, और आपातकालीन नंबरों को लगातार अपडेट किया जा रहा है। टूरिस्ट को घबराने की जरूरत नहीं, हम उनका बचाव करेंगे।” उन्होंने इस बात को दोहराया कि ‘राहत खर्चे राज्य व्यय में शामिल हैं।’ इस बीच, पुलिस ने टूरिस्ट को ड्राइविंग-हेल्पलाइन और व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से अपडेट देने की प्रक्रिया शुरू की।
- नाबन्ना राहत नियंत्रण कक्ष: +91 33 2214 3526, +91 33 2253 5185
- टोल‑फ्री हेल्पलाइन: +91 86979 81070, 1070
- डार्जिलिंग पुलिस कंट्रोल रूम: +91 91478 89078 (व्हाट्सएप उपलब्ध)
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह सोमवार को अपने मुख्य सचिव के साथ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगी, जहाँ वह खुद स्थिति का जायजा लेगी और राहत कार्यों की देखरेख करेंगी। इस दौरान, उन्होंने राष्ट्रीय और राज्य स्तर के अधिकारी, जैसे कि डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस और उत्तर बंगाल के जिलाधिकारी, को भी वीडियो कॉन्फ़्रेंस में शामिल किया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
विचारधारा के विभिन्न पहलुओं ने इस घटना पर तेज़ प्रतिक्रियाएँ दिखाई। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी ट्विटरहैंडल पर कहा, “डार्जिलिंग में बंधे लोगों के लिये गहरा शोक है। सरकार को पूरी सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता है।” इसी तरह, राष्ट्रपति दृुपदी मुर्मु ने भी अपने लेख में दुख व्यक्त किया और पीड़ितों के परिवारों को संवेदना प्रकट की।
वहीं, विपक्षी पार्टी ने इस पर तीखा हमला किया। समिक भट्टाचार्य, राज्य भाजपा अध्यक्ष, ने कहा, “ममता बनर्जी ने दुर्गा पूजा के कार्निवल में भाग लिया, जबकि बाढ़‑भूस्खलन से पीड़ित लोग मदद की प्रतीक्षा में हैं। इस आँख में आँसू के साथ भी वह जश्न मनाने की हिम्मत कर रही हैं।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछले 14 वर्षों में उत्तर बंगाल की जल निकासी प्रणाली में कोई सुधार नहीं हुआ है, जिससे ऐसी आपदाएँ बार‑बार होती रहती हैं।
भाजपा के सांसद बिप्लब देब ने हिमाचली सिख (सिक्किम) के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तामांग से टूरिस्ट के सुरक्षित वापसी हेतु सहयोग मांगने की योजना बनाई। यह कदम दर्शाता है कि आपदा में राजनीतिक संगठनों के बीच भी सहयोग की संभावना बनी रहती है।
आगे की संभावनाएँ और राहत कार्य
अब तक, कई टूरिस्ट को सुरक्षित रूप से निकाला जा चुका है, पर अभी भी कई गाँव और छोटे hamlets कटे‑फटे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी तीव्र बारिशें भविष्य में बढ़ सकती हैं, इसलिए बुनियादी ढाँचा, विशेषकर पुल और जल निकासी प्रणाली, को तुरंत री‑इंजीनियर करना चाहिए। स्थानीय प्रशासन ने कहा कि अगले हफ्ते तक सभी प्रमुख सड़कों की सफ़ाई पूरी कर दी जाएगी, और लंबित निवासियों को अस्थायी शरणस्थली में स्थानांतरित किया जाएगा।
टूरिस्टों के बीच चल रही चिंता को कम करने के लिए, स्थानीय हेल्पलाइन रोज़ाना अपडेट जारी कर रही है, और कई एनजीओ भी राहत सामग्री वितरित करने में सक्रिय हैं। यह स्पष्ट है कि इस तरह की आपदा ने न केवल बुनियादी ढाँचे की कमी को उजागर किया, बल्कि राज्य सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया और राष्ट्रीय सहयोग की भी जरूरत को रेखांकित किया।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
डार्जिलिंग बाढ़ से प्रभावित टूरिस्टों को कौन‑सी मदद मिल रही है?
टूरिस्टों को तत्काल शरणस्थलों में रखा गया है, और उन्हें मुफ्त भोजन, उपचार और आवश्यक वस्तुएँ दी जा रही हैं। राज्य सरकार ने 24 × 7 हेल्पलाइन स्थापित की है जहाँ से वे सहायता मांग सकते हैं। इसके साथ ही, कई निजी होटल और एनजीओ ने भी राहत पैकेज प्रदान किए हैं।
मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने इस आपदा का सामना कैसे किया?
मुख्यमंत्री ने तुरंत आपातकालीन नियंत्रण कक्ष स्थापित किया, राहत कार्य के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर के अधिकारियों को बुलाया, और सोमवार को स्वयं प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने का ऐलान किया। उन्होंने यह भी कहा कि सभी राहत खर्चे राज्य के बंधन में आएँगे और टूरिस्ट को अतिरिक्त खर्च उठाने की जरूरत नहीं होगी।
बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग इस बाढ़ से कैसे मदद कर सकते हैं?
वित्तीय सहायता के लिये राज्य के निर्दिष्ट राहत निधियों में योगदान दिया जा सकता है, या स्थानीय एनजीओ के माध्यम से खाद्य सामग्री, कपड़े व चिकित्सा सहायता भेजी जा सकती है। कई राष्ट्रीय स्तर के दान प्लेटफ़ॉर्म भी इस आपदा के लिये विशेष पृष्ठ स्थापित कर चुके हैं।
भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?
बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण, विशेषकर जल निकासी प्रणाली और पुलों की मजबूती, महत्वपूर्ण होगा। साथ ही, मौसम विभाग को रीयल‑टाइम चेतावनी प्रणाली स्थापित करनी चाहिए, और पर्यटन प्रबंधन में सख्त नियम लागू करने से लोग जोखिम वाले क्षेत्रों में नहीं फँसेंगे।
vikas duhun
अक्तूबर 6 2025ममता जी का यह बयान बिल्कुल बिनासे बात है। टूरिस्टों को वहीं रेहने देना तो खुद ही बाढ़ के चक्र को आगे बढ़ाता है। पुलिस की मदद पर भरोसा करना, जबकि मूल कारण को सुधारा नहीं जा रहा, यह एक बड़ा खतरा है।