13 से 16 नवंबर 2025 तक, गंगटोक भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र का दिल बन जाएगा, जहां 13वां अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट आयोजित किया जाएगा। इस बड़े पैमाने के कार्यक्रम का उद्घाटन गजेन्द्र सिंह शेखावत, केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री करेंगे — एक ऐसा मौका जो सिर्फ एक पर्यटन बाजार नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर की पहचान को दुनिया के सामने रखने का अवसर है। यहां आएंगे न केवल राज्यों के मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री, बल्कि दुनिया भर के ट्रैवल ब्रोकर्स, होटल ऑपरेटर्स और एडवेंचर टूर ऑपरेटर्स। और ये सब इसलिए क्योंकि गंगटोक अब सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि एक विचार है — जीवंत संस्कृति, ईको-फ्रेंडली विकास और आध्यात्मिक शांति का प्रतीक।
क्यों गंगटोक? क्यों अब?
सिक्किम को भारत में सबसे स्वच्छ राज्य और जैविक खेती का आदर्श माना जाता है। यहां किसी भी राजमार्ग पर प्लास्टिक का टुकड़ा नहीं मिलता। किसान जिस चाय बेचते हैं, वो बिना कीमती रसायन के उगाई गई है। यही वजह है कि केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने इस बार गंगटोक को चुना — न कि बस इसकी सुंदरता के लिए, बल्कि इसकी नीतिगत दृढ़ता के लिए। यहां टूरिस्ट न सिर्फ पहाड़ देखेंगे, बल्कि सीखेंगे कि कैसे पर्यटन बिना प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बढ़ाया जा सकता है।
कौन कौन आएगा? और क्या होगा?
मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने अपने राज्य की तैयारी में अपनी पूरी ऊर्जा लगाई है। उनके साथ पेमा खांडू, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, जिन्होंने नामची में निर्माणाधीन रोपवे और स्काईवॉक का निरीक्षण किया — ये दोनों परियोजनाएं अब नए आकर्षण बनने वाली हैं। अरुणाचल के लोगों के लिए ये सिर्फ ट्रैकिंग रूट नहीं, बल्कि आर्थिक जीवन बदलने का रास्ता हैं।
कार्यक्रम के दौरान दर्शकों को असली अनुभव दिया जाएगा। गंगटोक के रुमटेक मठ के भित्ति चित्रों के नीचे बैठकर भक्ति संगीत सुनने का मौका मिलेगा। दो द्रुल चोर्टेन के घूंघट लहराते ध्वजों के नीचे टूरिस्ट तिब्बती बुद्धिजीवी विचारों को समझेंगे। और नामग्याल तिब्बती विज्ञान संस्थान का तकनीकी दौरा — जहां भारतीय वैज्ञानिक तिब्बती चिकित्सा के साथ आधुनिक विज्ञान को जोड़ रहे हैं — ये सब कुछ एक ही दिन में।
पर्यटन का नया नाम: 'ट्रैवल फॉर लाइफ'
केंद्रीय मंत्रालय की इस बार की पहल का नाम है — ‘ट्रैवल फॉर लाइफ’। ये नाम सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक विचार है। ये नहीं कहता कि ‘आओ देखो’, बल्कि कहता है — ‘आओ बदलो’। आओ वहां जाओ जहां आपकी जिंदगी का तरीका बदल जाए। यही कारण है कि यहां एडवेंचर टूरिज़्म के साथ-साथ वेलनेस टूरिज़्म पर भी जोर दिया जा रहा है। योग, मेडिटेशन, आयुर्वेदिक चिकित्सा — ये सब अब पर्यटन का हिस्सा हैं।
पेमा खांडू ने एक बात स्पष्ट कर दी — ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर ने पर्यटन क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है।’ और वो सच है। 2014 में उत्तर-पूर्व में 20 लाख पर्यटक आए थे। 2024 में ये संख्या 1.2 करोड़ हो गई। ये 600% की बढ़ोतरी है। और ये सिर्फ आंकड़े नहीं — ये गांवों के बच्चों की नौकरियां हैं, ये औरतों के लिए बुनाई का बाजार है, ये एक नए जीवन की शुरुआत है।
क्या बदलेगा अब?
इस मार्ट के बाद, उत्तर-पूर्व के राज्यों को एक नया रिपोर्ट करना होगा — कितने नए छोटे बिजनेस शुरू हुए? कितने स्थानीय कलाकारों को राष्ट्रीय मंच मिला? कितने गांवों में घरेलू आधार पर होटल बने? ये सवाल अब अधिकारियों के लिए जिम्मेदारी बन जाएंगे।
यहां कोई बड़ा रिजॉर्ट नहीं बन रहा। बल्कि एक नए प्रकार का पर्यटन बन रहा है — जहां आप एक गांव के घर में रहेंगे, एक महिला आपको चाय बनाएगी, और एक बूढ़ा भिक्षु आपको बताएगा कि जीवन क्यों बेकार नहीं है। ये पर्यटन नहीं, जीवन है।
भविष्य क्या लेकर आएगा?
अगले तीन साल में, उत्तर-पूर्व के लिए 12 नए एडवेंचर ट्रैक्स बनने की योजना है। जिसमें अरुणाचल के अनजान पहाड़, मणिपुर के झीलों के चारों ओर की ट्रैकिंग रूट्स और नागालैंड के गांवों के बीच के रास्ते शामिल हैं। इनके लिए फंडिंग का आवंटन भी हो चुका है।
और ये सिर्फ पर्यटकों के लिए नहीं है। ये एक नई पीढ़ी के लिए है — जो अपने घर के बाहर जाने की बजाय, अपने घर के अंदर ही दुनिया को देखना चाहती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
13वां अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट किसके लिए है?
यह कार्यक्रम ट्रैवल ब्रोकर्स, होटल ऑपरेटर्स, एडवेंचर टूर ऑपरेटर्स और स्थानीय कलाकारों के लिए है। यहां विदेशी और राष्ट्रीय निवेशक उत्तर-पूर्व के पर्यटन अवसरों को देखेंगे। साथ ही, स्थानीय समुदाय अपनी वस्तुओं और संस्कृति को प्रदर्शित करेंगे।
इस आयोजन से सिक्किम को क्या लाभ होगा?
सिक्किम को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर एक अलग पहचान मिलेगी — ईको-टूरिज़्म का आदर्श। यहां आए टूरिस्ट अब अपने देश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह के पर्यटन की मांग करेंगे। इससे रोजगार बढ़ेगा और स्थानीय उत्पादों की बिक्री बढ़ेगी।
अरुणाचल प्रदेश की रोपवे और स्काईवॉक परियोजनाएं क्यों महत्वपूर्ण हैं?
ये परियोजनाएं पहाड़ी इलाकों में पहुंच बढ़ाएंगी, जहां अब तक पहुंचना मुश्किल था। रोपवे से दूर गांवों को टूरिस्ट तक पहुंचाया जा सकेगा, जबकि स्काईवॉक एडवेंचर टूरिज़्म का नया आकर्षण बनेगा। ये निवेश भविष्य के लिए बुनियादी ढांचा बनाते हैं।
‘ट्रैवल फॉर लाइफ’ का मतलब क्या है?
यह एक नया पर्यटन दर्शन है — जहां यात्रा केवल देखने के लिए नहीं, बल्कि जीवन को बदलने के लिए होती है। योग, ध्यान, आयुर्वेद और सांस्कृतिक अनुभव इसके आधार हैं। ये पर्यटकों को शांति और आत्म-खोज का अनुभव देता है।
उत्तर-पूर्व के पर्यटन में पिछले 10 सालों में क्या बदलाव आया है?
2014 में यहां 20 लाख पर्यटक आए थे, जबकि 2024 में यह संख्या 1.2 करोड़ हो गई — लगभग 600% की बढ़ोतरी। ये बदलाव राज्यों के बेहतर बुनियादी ढांचे, सुरक्षा और डिजिटल प्रचार के कारण हुआ है। अब यहां टूरिस्ट आते हैं न केवल देखने, बल्कि रहने और अनुभव करने के लिए।
क्या स्थानीय समुदाय इस आयोजन से लाभान्वित होंगे?
हां, यही इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य है। स्थानीय कलाकार, होमस्टे मालिक, चाय बेचने वाले, बुनाई करने वाली महिलाएं — सभी के लिए एक बाजार बनेगा। यहां निवेश बड़े होटल्स में नहीं, बल्कि छोटे उद्यमों में होगा, जिससे धन का बंटवारा बेहतर होगा।
Vaneet Goyal
नवंबर 26 2025गंगटोक में ये मार्ट बस एक और टूरिस्ट फेयर नहीं है, ये एक नया दृष्टिकोण है। हमने अभी तक पर्यटन को सिर्फ देखने का जुनून समझा, लेकिन यहां ये जीवन बदलने का मौका बन रहा है। जब एक बूढ़े भिक्षु की बात सुनकर आपका दिमाग शांत हो जाए, तो वो कोई रिजॉर्ट का विज्ञापन नहीं होता।