हिमाचल प्रदेश में भारी बादल फटने से तबाही: एक की मौत, 50 से अधिक लापता

हिमाचल प्रदेश में भारी बादल फटने से तबाही: एक की मौत, 50 से अधिक लापता

हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की घटनाओं से भारी तबाही

हिमाचल प्रदेश में इस बार की मानसून की बारिश ने कहर बरपा दिया है। रामपुर, मलाणा, कुल्लू और मंडी जिलों में हालिया बादल फटने की घटनाओं से प्रदेश में चीजें और सुत्ती हो गयी हैं। अब तक एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 50 से अधिक लोग अब भी लापता हैं। ऐसे भीषण हालत में, प्रदेश प्रशासन और राहत दल रात और दिन एक कर लगातार बचाव और राहत कार्यों में लगे हुए हैं।

कहाँ-कहाँ फटे बादल?

सबसे बड़ी तबाही रामपुर के झकड़ी क्षेत्र में देखी गई जहाँ बादल फटने से सेमज रवं में बाढ़ आ गई और 36 लोग लापता हो गए। प्रशासन ने एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि की है और लापता लोगों की सूची भी जारी कर दी गई है। इसके अलावा मलाणा गांव के पास एक डेम के टूट जाने से कई इमारतें बह गईं और नीचे स्थित बालाडी क्षेत्र में कई लोग फंस गए।

कुल्लू जिले में स्थिति और भी गंभीर हो गई जब सिंहगड़ क्षेत्र में बादल फटने से श्रीखंड महादेव यात्रा पर जा रहे लोगों के मार्ग में बाढ़ आ गई। बागीपुल, जाओ और सरघा क्षेत्रों में कई मकान बह गए और सात लोग अब भी लापता हैं। पधर, मंडी जिले में, आधी रात को बादल फटना से एक व्यक्ति का शव बरामद किया गया है जबकि नौ लोग लापता बताए जा रहे हैं।

राहत और बचाव कार्य

राहत और बचाव कार्यों में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की टीमों के साथ-साथ उपायुक्त अनुपम कश्यप और जिला पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी लगातार सुपरविजन कर रहे हैं। हालांकि कठिनाई यहीं खत्म नहीं होती, मनाली-लेह हाईवे को भारी बारिश और बाढ़ के कारण बंद कर दिया गया है, और ब्यास नदी ने कुल्लू और मनाली के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग के कई हिस्सों को बहा दिया है।

ब्यास नदी के पंडोह डेम के द्वार भी खोले गए हैं क्योंकि जल स्तर बहुत अधिक बढ़ गया है। यह स्थिति मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा जिलों में निवासियों के लिए अधिक जोखिमपूर्ण है और प्रशासन द्वारा सतर्क रहने की अपील की गई है।

पर्यावरणीय प्रभाव और विशेषज्ञों की चेतावनी

पर्यावरण विशेषज्ञों ने इन प्राकृतिक आपदाओं को पॉवर प्रोजेक्ट्स और वनों की कटाई जैसे कारकों से भी जोड़कर देखा है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने आधी रात से सुबह 6 बजे तक भारी बारिश की सूचना दी है, जिसमें सबसे ज्यादा बारिश पालमपुर, कांगड़ा जिले में दर्ज की गई है।

हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने तीन स्थानों पर बादल फटने की पुष्टि की है और भारी बारिश के कारण दस जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। कुल्लू जिले के प्रशासन ने स्कूलों में छुट्टी की घोषणा की है और निवासियों से नदियों और नालों से दूर रहने की अपील की है।

अब आगे क्या?

इस भयानक त्रासदी में प्रशासन और राहत टीमें दिन-रात एक करके लोगों को बचाने में लगी हुई हैं। यह स्थिति पूरे प्रदेश के लिए एक चेतावनी है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अधिक सतर्कता और तैयारी की आवश्यकता है।

टिप्पणि (19)

Jubin Kizhakkayil Kumaran

Jubin Kizhakkayil Kumaran

अगस्त 2 2024

सरकार की बेपरवाही ही इस तबाही की जड़ है

tej pratap singh

tej pratap singh

अगस्त 3 2024

हिमाचल में बादल फटना प्राकृतिक नहीं है यह एक बड़े प्रयोग का हिस्सा है। बड़े जलधाराओं के नियंत्रण के लिए गुप्त तकनीकें लागू की गई हैं। सरकार इनको जनता से छुपा रही है। फिर भी आपराधिक नीति जारी है। जनता को जागरूक होना चाहिए।

Chandra Deep

Chandra Deep

अगस्त 4 2024

बढ़ते मौसम बदलावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हमें स्थानीय जल निकायों की ठीक से जांच करनी चाहिए। आधुनिकीकरण कार्यक्रमों में पारिस्थितिक संतुलन को प्राथमिकता दें।

Mihir Choudhary

Mihir Choudhary

अगस्त 5 2024

हर साधन से बचाव कार्य में मदद करें। स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाएँ। बचाव दलों को भोजन और दवाइयाँ उपलब्ध कराएँ। आशा है जल्द ही सब ठीक हो जाएगा 😊

Tusar Nath Mohapatra

Tusar Nath Mohapatra

अगस्त 6 2024

ऐसे में आधे घंटे में ही सब ठीक हो जाएगा, बस सरकार की 'स्मार्ट' योजना चलाने दें। 😏

Ramalingam Sadasivam Pillai

Ramalingam Sadasivam Pillai

अगस्त 7 2024

प्रकृति का क्रोध हमें याद दिलाता है कि मानवता के पास सीमाएँ हैं। सम्मान के बिना हम नहीं आगे बढ़ सकते।

Ujala Sharma

Ujala Sharma

अगस्त 8 2024

बादल फटने की खबर सुनते ही सोशल मीडिया पर हर कोई मौन हो गया, वाह! बिल्कुल नई सोच।

Vishnu Vijay

Vishnu Vijay

अगस्त 10 2024

सभी को शांत रहकर मदद करनी चाहिए। एकता में शक्ति है। 🙌

Aishwarya Raikar

Aishwarya Raikar

अगस्त 11 2024

लगता है ये सब बड़े समूह की योजना है, लेकिन फिर भी हमें चुनौतियों का सामना करना चाहिए।

Arun Sai

Arun Sai

अगस्त 12 2024

वास्तविक डेटा विश्लेषण दर्शाता है कि इस तरह की घटनाएँ जलवायु मॉडल के विचलन नहीं हैं, बल्कि नियोजित जलस्थिरता सिम्युलेशन की विफलता है।

Manish kumar

Manish kumar

अगस्त 13 2024

बादल फटने से हुई क्षति को हम आंकड़ों में नहीं बदल सकते लेकिन मदद पहुंचा सकते हैं। सरकार को तुरंत राहत सामग्री भेजनी चाहिए। स्थानीय स्वयंसेवकों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

Divya Modi

Divya Modi

अगस्त 14 2024

हिमाचल की सुंदरता बची रहे, यही हमारी जिम्मेदारी है। 🌄

ashish das

ashish das

अगस्त 15 2024

आदरनीय सहयात्री जन, इस विपत्ति में प्रादेशिक प्रशासन के निरन्तर प्रयासों को सराहना योग्य माना जाता है; परन्तु भविष्य में समान घटनाओं से बचाव हेतु व्यावहारिक उपायों का अनुक्रम आवश्यक है।

vishal jaiswal

vishal jaiswal

अगस्त 17 2024

मैं मानता हूँ कि विशेषज्ञों की चेतावनी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।

Amit Bamzai

Amit Bamzai

अगस्त 18 2024

भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं को केवल एक आकस्मिक प्राकृतिक आपदा के रूप में देखना, असत्य है; यह संकेत करता है कि हम अपने पर्यावरणीय प्रबंधन में कई मूलभूत त्रुटियों को अति समय से नज़रअंदाज़ कर रहे हैं, और यह त्रुटियाँ, अक्सर, लुप्तप्राय वनस्पति कटाई और अनियंत्रित जल संरक्षण परियोजनाओं से उत्पन्न होती हैं, जो प्राकृतिक जल‑प्रवाह को बाधित करती हैं, जिससे जल‑संकट और बाढ़ की संभावना बढ़ती है, इस कारण से, स्थानीय प्रशासन को तुरंत वन पुनरुद्धार कार्यक्रम शुरू करना चाहिए, साथ ही जल‑संकट निवारण के लिए आधुनिक तकनीकी उपाय अपनाने चाहिए, जैसे कि रीयल‑टाइम जल‑स्तर मॉनिटरिंग, तथा बाढ़‑प्रभावी बुनियादी ढांचा निर्माण, यह सभी कदम, केवल तब ही प्रभावी होंगे जब समुदाय के सभी वर्गों को इस प्रक्रिया में भागीदारी के लिए प्रेरित किया जाए, क्योंकि सामाजिक जागरूकता, बिना इसे शामिल किए, किसी भी योजना की सफलता को सीमित कर देती है, इसके अतिरिक्त, विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नीतिगत बदलाव आवश्यक हैं, जिससे न केवल हिमाचल बल्कि सम्पूर्ण देश की सतत विकास लक्ष्यों को सुरक्षित किया जा सके, अंततः, हम सभी को यह समझना होगा कि प्रकृति के साथ संतुलन, हमारे भविष्य की सुरक्षा का मूल आधार है। सामाजिक संगठनों को इस दिशा में सहयोगी बनना चाहिए। वित्तीय सहायता के लिए निजी क्षेत्र से साझेदारी जरूरी है। शिक्षा संस्थानों को जल चेतना पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। स्थानीय मीडिया को सटीक जानकारी प्रसारित करनी चाहिए। रक्षा बलों को ट्रेनिंग देना अनिवार्य है।

ria hari

ria hari

अगस्त 19 2024

इस कठिन घड़ी में हम सब एक‑दूसरे का हाथ थामें, सब ठीक हो जाएगा।

Alok Kumar

Alok Kumar

अगस्त 20 2024

इतना सब कहते‑कहते, असली जमीन पर मदद नहीं पहुंच रही, बस शब्दों का खेल है।

Nitin Agarwal

Nitin Agarwal

अगस्त 21 2024

व्यवहारिक कदमों की कमी स्पष्ट है।

Ayan Sarkar

Ayan Sarkar

अगस्त 22 2024

वास्तव में यह सभी चीज़ें बड़े आर्थिक हितों की छुपी हुई रणनीति हैं, जनता को अनभिज्ञ रखा गया है।

एक टिप्पणी लिखें