निर्मला सीतारमण का स्पष्टीकरण: विक्टिम शेमिंग का उद्देश्य नहीं
हाल ही में हुई EY चार्टर्ड एकाउंटेंट एना सेबास्टियन की दुखद मृत्यु के मामले में, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बयान का स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी भी तरह से विक्टिम शेमिंग करना नहीं था, बल्कि छात्रों को जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना था। उन्होंने शैक्षिक संस्थानों को तनाव प्रबंधन पाठ्यक्रम को शामिल करने का आग्रह किया था।
सीतारमण ने एक कार्यक्रम में कहा, “वहां एक महिला थी जिसने अच्छी तरह से CA पढ़ाई की थी, लेकिन काम के दबाव को सहन नहीं कर सकी। हमें दो-तीन दिन पहले खबर मिली - वह काम के दबाव को झेल नहीं पाई। उनके इस बयान के बाद शिव सेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने उन्हें आलोचना का निशाना बनाया। चतुर्वेदी ने कहा, “एना के पास आंतरिक शक्ति थी, जिसने उसे कठिन चार्टर्ड एकाउंटेंसी की पढ़ाई का तनाव सहन करने में सक्षम बनाया। यह विषाक्त कार्य संस्कृति और लंबे कार्य घंटों ने उसकी जान ली। हमें इस पर ध्यान देना चाहिए। विक्टिम शेमिंग बंद करें और थोड़ी संवेदनशीलता दिखाएं।”
सीतारमण का जवाब
वित्त मंत्री ने जवाब में कहा कि उन्होंने कभी भी विक्टिम शेमिंग का इरादा नहीं किया, बल्कि उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों और शिक्षकों के लिए ध्यान और पूजा स्थल स्थापित करने के संदर्भ में यह बात कही थी। सीतारमण ने कहा कि उन्होंने संस्थानों और परिवारों के समर्थन की आवश्यकता पर जोर दिया है, ताकि छात्रों को आंतरिक शक्ति मिल सके और वे जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकें।
यह घटना तब प्रकाश में आई, जब एना सेबास्टियन, जो 26 वर्षीया चार्टर्ड एकाउंटेंट थी, के दिल का दौरा पड़ने से जुलाई में निधन हो गया। उनके परिवार का दावा है कि काम के अत्यधिक दबाव के कारण वह ठीक से सो भी नहीं पाती थी और न ही सही तरीके से भोजन कर पाती थी। यह मामला तब ज्यादा चर्चा में आया, जब हाल ही में उनके माता-पिता ने उसके काम की कठिन परिस्थितियों पर खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि एना अपने काम के कारण अत्यधिक तनाव में रहती थी और उस पर लगातार काम का दबाव था।
कार्यस्थल पर तनाव के मामले में बदलाव की आवश्यकता
एना सेबास्टियन की मृत्यु ने कार्यस्थल पर तनाव और विषाक्त कार्य संस्कृति की गंभीरता को उजागर किया है। इस मामले ने यह सवाल उठाया है कि आखिर कब तक हम अपने युवाओं को इस प्रकार के तनावपूर्ण माहौल में काम करने के लिए मजबूर करते रहेंगे। यह वक्त है कि सभी को इस पर ध्यान देने की और समाधान खोजने की आवश्यकता है।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षा के साथ-साथ छात्रों में तनाव प्रबंधन और मानसिक स्वास्थ्य की जागरूकता को भी बढ़ावा देना चाहिए। ताकि वे भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकें।
इस मामले ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि छात्रों को केवल शैक्षिक सफलता के लिए नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी तैयार किया जाना चाहिए। काम के दबाव को सहन करने के लिए केवल शैक्षिक ज्ञान ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक समर्थन भी जरूरी है।
समापन सोचे
इसके अंतर्गत, यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना क्यों जरूरी है। संस्थानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके कर्मचारियों को एक स्वस्थ और सकारात्मक कार्य वातावरण मिले, जहां वे अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग कर सकें। यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम न केवल अपनी सफलता के लिए, बल्कि अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी जागरूक हों।
AEY चार्टर्ड एकाउंटेंट एना सेबास्टियन की दुखद मृत्यु निश्चित रूप से हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे कार्यस्थल और समाज में सुधार की कितनी आवश्यकता है।
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