ओडिशा चुनाव 2024: बीजेडी और बीजेपी के बीच सियासी संग्राम
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक इस बार फिर से विधानसभा चुनावों में अपने पारंपरिक विधासभा सीट हिंजिली और नवनिर्वाचित कांटाबांजी से चुनाव लड़ रहे हैं। नवीन पटनायक भारत के दूसरे सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहने वाले नेता हैं और वे इस बार छठी बार सत्ता में आने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इस बार के एग्जिट पोल ने बीजेडी के लिए चिंताओं को उत्पन्न कर दिया है, जिससे बीजेपी की बढ़ती लोकप्रियता का संकेत मिल रहा है।
एग्जिट पोल और संभावित परिणाम
ओडिशा की 147 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनावों में किसी भी पार्टी को सत्ता पाने के लिए कम से कम 74 सीटें जीतनी होंगी। इस बार 412 'करोड़पति' उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इनमें 103 मौजूदा विधायक हैं, जिनमें 74 बीजेडी, 21 बीजेपी, पांच कांग्रेस, दो निर्दलीय और एक सीपीआई (एम) से हैं। लेकिन खास बात यह है कि इस बार केवल 178 महिला उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनका प्रतिशत कुल उम्मीदवारों का 14% है।
इस चुनाव में अपराधी मामलों के उम्मीदवारों की संख्या भी महत्वपूर्ण है। आंकड़ों के अनुसार, 348 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले हैं, जो कुल उम्मीदवारों का 27% है।
बीजेपी और बीजेडी की दावेदारी
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पूरा विश्वास जताया है कि बीजेपी इस बार न केवल राज्य की सभी 21 लोकसभा सीटें जीतेगी, बल्कि अगली सरकार भी बनाएगी। दूसरी ओर, सपा के वरिष्ठ नेता वी के पांडियन ने दावा किया कि बीजेडी 147 विधानसभा सीटों में से 115 से अधिक सीटें जीतेगी।
इस राजनीतिक माहौल में विभिन्न मीडिया आउटलेट्स ने भी एग्जिट पोल परिणाम घोषित करने की तैयारी की है। ये एग्जिट पोल नतीजे चुनाव परिणामों में काफी प्रभावशाली माने जा रहे हैं और ये देखना रोचक होगा कि वे कितने सटीक साबित होते हैं।
ओडिशा की जनता की भूमिका
ओडिशा की जनता का इस चुनाव में क्या रुख रहता है, यह भी काफी महत्वपूर्ण है। जनता का मिजाज और मतदान का सफर चुनाव परिणाम को काफी हद तक प्रभावित करेगा। इस बार के चुनाव में जनता के बीच चुनाव मुद्दों को लेकर उत्साह और जागरूकता देखी जा रही है। बीजेडी के कार्यकाल में राज्य में हुए विकास कार्यों एवं योजनाओं का जनता पर क्या प्रभाव हुआ है, यह चुनाव परिणाम से स्पष्ट हो जाएगा।
विकास, सुरक्षा और अन्य मुद्दे
इस बार के चुनाव में विकास, सुरक्षा और विभिन्न सामाजिक मुद्दे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ओडिशा के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा के मुद्दे प्रमुख रूप से सामने आ सकते हैं। इसके साथ ही शहरी क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण, परिवहन और आधारभूत संरचना के मुद्दे छाए रह सकते हैं।
बीजेडी ने अपनी सरकार के दौरान कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनमें किसान योजनाएं, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और आधारभूत संरचना के विकास शामिल हैं। लेकिन विपक्ष का कहना है कि इन योजनाओं का जमीनी स्तर पर प्रभाव नहीं है और आम जनता को महज वादों से संतोष नहीं होगा।
चुनावी मेंडेट की राह
ओडिशा में चुनाव का मेंडेट किस ओर जाएगा, इसका संपूर्ण ध्यान एग्जिट पोल पर होगा। हालांकि एग्जिट पोल केवल एक अनुमान होता है, लेकिन यह जनता के मूड का अनुमान लगाने में मददगार होता है। बीजेडी और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है और अब देखना यह होगा कि जनता किस ओर जाती है।
कुल मिलाकर, ओडिशा के इस चुनाव में कई नए रंग और रुझान देखने को मिल सकते हैं। प्रदेश की राजनीति में बदलाव की लहर है और यह देखना रोचक होगा कि किस पार्टी को जनता का समर्थन मिलता है।
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