भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट
मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024 को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई, जिसने निवेशकों और व्यापारियों के बीच चिंता खड़ी कर दी। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 900 अंक से अधिक गिरकर 80,249 के स्तर पर आ गया, जबकि नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 310 अंकों की गिरावट के साथ 24,471 पर स्थिर हो गया। इस गिरावट के दौरान बाजार पूंजीकरण में लगभग 8.9 लाख करोड़ रुपये की हानि हुई, जिससे यह 444.66 लाख करोड़ रुपये हो गया।
मुख्य शेयर जिन्हें नुकसान हुआ
इस गिरावट का मुख्य कारण प्रमुख कंपनियों के शेयर की कीमतों में गिरावट होना था। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, एचडीएफसी बैंक लिमिटेड, महिंद्रा एंड महिंद्रा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एलएंडटी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा मोटर्स, एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और मारुति सुजुकी इंडिया जैसी अग्रणी कंपनियां इस गिरावट में प्रमुख भूमिका निभा रही थीं। इन कंपनियों के शेयरों में हुई भारी बिकवाली ने बाजार को नीचे धकेल दिया।
मुनाफावसूली और अर्थव्यवस्था के संकेत
विशेषज्ञों का कहना है कि हालिया तेजी के बाद शेयर बाजार में मुनाफावसूली देखने को मिली है। वेलनमिल्स सिक्योरिटीज के इक्विटी रणनीतिकार क्रांति बथिनी ने कहा कि घरेलू बाजार में मुनाफावसूली का यह दौर इस शानदार प्रदर्शन के बाद देखा जा रहा है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रमुख निवेश रणनीतिकार वीके विजय कुमार के अनुसार, जब बाजार में मूल्यांकन उच्च होता है, तब नकारात्मक सुधार की संभावना ज्यादा होती है, जो कि दीर्घकालिक औसत के साथ मेल खाता है।
विदेशी निवेशकों की भूमिका
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने अक्टूबर में रिकॉर्ड उच्च मात्रा का शेयर बेचा। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों के अनुसार, 21 अक्टूबर तक एफआईआई ने 88,244 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की थी। पिछले सत्र में एफआईआई ने 2,261.83 करोड़ रुपये के शेयर बिकवाली किए, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 3,225.91 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
वैश्विक बाजारों पर प्रभाव
वैश्विक स्तर पर भी अधिकतर एशियाई बाजारों ने गिरावट दर्ज की। जापान के निक्केई में 1.39% की गिरावट, दक्षिण कोरिया के कोस्पी इंडेक्स में 1.31% की गिरावट और हांगकांग का हैंग सेंग लगभग अपरिवर्तित रहा। हालाँकि, शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में 0.54% की वृद्धि देखी गई, जो इस गिरावट के बीच एक सकारात्मक संकेत था।
भविष्य की संभावनाएं
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय बाजार लंबी अवधि के दृष्टिकोण से 'खरीद-बाद-डुबाव' बाजार माना जाता है, जिसका अर्थ है कि नकारात्मक सुधार के समय मूल्यांकन अधिक उचित और दीर्घकालिक औसत के अनुरूप होते हैं। निवेशकों के लिए यह समय अपनी निवेश रणनीति को पुनः मूल्यांकित करने और दीर्घकालिक लाभ पर ध्यान केंद्रित करने का हो सकता है।
बाजार | गिरावट (%) |
---|---|
सेंसेक्स | 1.11% |
निफ्टी | 1.25% |
निक्केई | 1.39% |
कोस्पी इंडेक्स | 1.31% |
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