सूध और नारायण मूर्ति की दिलचस्प कहानियाँ: द ग्रेट इंडियन कपिल शो में उनके अनुभव

सूध और नारायण मूर्ति की दिलचस्प कहानियाँ: द ग्रेट इंडियन कपिल शो में उनके अनुभव

द ग्रेट इंडियन कपिल शो में नारायण और सुधा मूर्ति की उपस्थिति

द ग्रेट इंडियन कपिल शो के हालिया एपिसोड ने इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी, सुधा मूर्ति के अद्वितीय अंदाज़ और चुटिल्हों के लिए दर्शकों के दिल का खास स्थान बनाया। यह शो सिर्फ हंसी-मजाक तक सीमित नहीं था, बल्कि इसने उनके व्यक्तिगत जीवन, मूल्य और अतीत के बारे में कुछ ज़िंदगी की कड़ियों का उजागर किया। खासतौर पर, उनकी प्रथम भेट के समय की कहानी में सुधा ने बताया कि कैसे नारायण के पहली बार उनके पिता से मिलने में देरी होने के कारण उन्हें अच्छी छवि बनाने में कठिनाई हुई। अब यह सुनने में मजेदार लगता है, लेकिन उस समय यह उनके लिए बड़ी बात थी।

पहली मुलाकात की कहानी

जब नारायण सुधा के पिता से मिलने गए, तो उन्होंने दो घंटों की देरी कर दी थी। इसकी वजह थी टैक्सी का खराब हो जाना। यह कोई सामान्य देरी नहीं थी, क्योंकि उन्होंने अपने आगमन से पहले अपनी योजनाओं के बारे में सोच रखा था, जैसे राजनिति में शामिल होना और एक अनाथालय खोलना। लेकिन इस परेशानी और देरी की वजह से वे अपनी योजनाओं के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सके। सुधा के पिता, उनके व्यापारी व्यवहार के कारण उन्ही के तरह के दीवाने और उनकी स्पष्ट दूरदर्शिता से प्रभावित नहीं हुए, क्योंकि सुधा अपने समय के लिए इंजीनियरिंग में पढ़ाई करने वाली कुछ महिला छात्रों में से थीं।

सुधा के बारे में नारायण के विचार और संबंध की शुरुआत

नारायण के लिए सुधा का मिलन जीवन में एक नई ऊर्जा था। सुधा के अनुभव और उनकी बात चीत की शैली ने नारायण को अपने शुरूआती दिनों की याद दिलाई, जब उनका उत्साह और जोश जीवन का अभिन्न अंग था। सुधा की चंचलता और उनकी प्रतिबद्धता भरी सोच नारायण के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनी रही। उनके बीच पैसे के खर्च के बारे में जो मतभेद थे, वह भी उनकी व्यावहारिक सोच की झलक दिखाते थे। जहां नारायण ने सुधा को आराम के लिए बिजनेस क्लास टिकट खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया, वहीं सुधा ने अपने दानशीलता के मार्ग को अपनाए रखा।

अनोखी घटनाएँ और यादें

शो में एक हास्यपूर्ण प्रसंग तब आया जब नारायण ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपनी शादी की पच्चीसवीं वर्षगांठ का दिन भूल गए थे। उनकी बेटी, जिसने उन्हें स्टैनफोर्ड से फोन कर याद दिलाया, ने उन्हें यह समझने में मदद की कि वे बैंगलोर लौटकर इस खास दिन को सुधा के साथ मनाएं। शो तब और मनोरंजक हो गया जब कपिल शर्मा ने सुधा के साथ छेड़खानी करने की कोशिश की और सुधा ने जवाब दिया, 'मेरे से पंगा नहीं लेना'। इस जवाब ने दर्शकों को हँसने पर मजबूर कर दिया और कपिल का यह प्रयास मज़ेदार बन गया।

जो बातें हम सबको सीखनी चाहिए

नारायण और सुधा के सफर की यह कहानियाँ उनके वैवाहिक जीवन और साझा मूल्यों की कई महत्वपूर्ण दृष्टिकोण देती हैं। उनकी तयशुदा लचीली सोच, जो उन्हें व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सफलता की ऊंचाइयों तक ले गई। दोनों ने खुलकर यह व्यक्त किया कि पैसा कैसे उनके लिए एक साधन हो सकता है, लेकिन उसकी अहमियत और सही इस्तेमाल एक महत्वपूर्ण भूमिका थी। सुधा ने यह पुष्टि की कि एक स्मार्ट और व्यावहारिक दृष्टिकोण से चीजें कैसे बेहतर हो सकती हैं। उनका दृष्टिकोण बिना किसी आडम्बर के समाज में सहानुभूति और समझ का प्रतीक है।

इस शो के माध्यम से नारायण और सुधा की जगह हम सभी के दिलों में और भी गहराई से बस गई है, उनकी कहानियाँ सुनकर हमें प्यार, समझ और जीवन के प्रति संवेदनशील बनने की प्रेरणा मिलती है। यह देख पाना कितना अद्वितीय है कि कैसे वे चमकदार करियर और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाए रखते हैं। उनके व्यक्तित्व और सरल जीवन के उदाहरण हमें सीखने का एक रास्ता और सकारात्मक दृष्टिकोण देते हैं। उनकी यात्रा, उन मूल्यों की रेखाखिंचाई करती है जो हमारे रिश्तों की मजबूरी को समर्पित करते हैं।

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