देवी दुर्गा: शक्ति, साहस और अडिग विश्वास की देवी

जब भारत में कोई त्यौहार आता है, तो सबसे पहले दिमाग में नवरात्रि और दुर्गा पूजा छूती है। दुर्गा माँ को महा शक्ति माना जाता है, जो बुराई पर जीत की प्रतीक है। इस लेख में हम दुर्गा के इतिहास, पूजा के तरीके और लोकप्रिय कहानियों को सरल भाषा में समझेंगे, ताकि आप भी इस खास त्योहार को सही ढंग से मना सकें।

दुर्गा पूजा का महत्व

नवरात्रि के नौ रातों में दुर्गा माँ के नौ रूपों को सम्मानित किया जाता है। हर रूप एक अलग गुण को दर्शाता है – शक्ति, ज्ञान, करुणा आदि। लोग इस समय घर को साफ‑सुथरा रखते हैं, रंग‑बिरंगे रोशनी लगाते हैं और माँ को माला, फूल और मिठाई से सम्मानित करते हैं। श्रावण, वसंत और दीपावली के बीच यह त्यौहार कई परिवारों के लिए आध्यात्मिक रीसेट जैसा होता है।

पूजा की मुख्य वस्तु ‘त्रिशूल’ और ‘शब्द’ होते हैं, जो बुराई को नष्ट करने की शक्ति का प्रतीक हैं। लोग दुर्गा माँ को ‘कीर्ति’ के साथ गाते हैं, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यदि आप पहली बार दुर्गा पूजा कर रहे हैं, तो बस एक साफ जगह चुनें, माँ की तस्वीर या प्रतिमा रखें, गुड़, नारियल, धूप और चंदन लगाएँ, फिर भजन गाकर मन की शांति लाएँ।

दुर्गा से जुड़ी प्रसिद्ध कहानियां

दुर्गा माँ की सबसे मशहूर कहानी ‘महिषासुर मर्दन’ है। महिषासुर नामक असुर ने सभी देवताओं को मार दिया था, पर माँ ने दसशत अड़े लड़ाई में उसे मारा। इस विजय के बाद नौ रातों तक माँ ने अपने दस रूप धारण किए, जिससे नवरात्रि की शुरुआत हुई। यह कहानी हमें सिखाती है कि चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति हो, सच्ची शक्ति और विश्वास से हर बुराई पर जीत संभव है।

एक और लोकप्रिय कथा ‘काली के रूप में दुर्गा’ है। जब असुरों ने फिर से धरती पर हंगामा किया, तो माँ ने काली का रूप धारण करके दंडित किया। यह रूप हमें दर्शाता है कि कभी‑कभी न्याय के लिए कठोर कदम उठाने पड़ते हैं। इन कहानियों को सुनकर बच्चे भी साहस सीखते हैं और बड़ों को आध्यात्मिक प्रेरणा मिलती है।

भारत में कई प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर हैं – जैसे कालीकट की माँ काली, त्रिपुरा के बर्मा देवी, पुदुचेरी का पिरावेश्वरम। इन स्थलों पर हर साल लाखों दर्शनकर्ता आते हैं, जहाँ विशेष ‘अर्घ्य’ और ‘भेड़’ के अनुष्ठान होते हैं। यदि आप यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो इन स्थानों को अपनी सूची में जोड़ें, क्योंकि वहाँ के माहौल से आप खुद को पुर्नजागरण महसूस करेंगे।

दुर्गा माँ का संदेश बहुत सरल है – आत्मविश्वास रखें, सच्चाई पर टिकें और बुराई से कभी हार न मानें। नवरात्रि के दौरान घर में छोटे‑छोटे कार्य करके आप भी इस ऊर्जा को अपने जीवन में ले सकते हैं। चाहे एक जड़ीय दीप जलाएँ या पड़ोसी को मिठाई बाँटे, हर छोटा कदम माँ की आशीर्वाद को आकर्षित करता है।

अगर आप दुर्गा माँ के बारे में और पढ़ना चाहते हैं, तो जुना महल समाचार पर रोज़ नई लेख, तस्वीरें और वीडियो मिलेंगे। यहाँ आप नवीनीकरण से जुड़ी विधियों, रीति‑रिवाज़ और विशेषज्ञों के टिप्स को भी पा सकते हैं। तो इस नवरात्रि को दुर्गा माँ की शक्ति से भरपूर बनाएं और अपने घर में सुख‑शांति का संचार करें।

Navratri 2025 के रंग: नौ दिनों में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की विशिष्ट रंगभूषा

Navratri 2025 के रंग: नौ दिनों में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की विशिष्ट रंगभूषा

23 सित॰ 2025 द्वारा Hari Gupta

Navratri 2025 में हर दिन एक अलग रंग पहनते हुए देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. रंग केवल फैशन नहीं, ये शक्ति, शांति, प्रेम आदि की आध्यात्मिक संदेश देते हैं. पहली तिथि के सप्ताह के अनुसार रंग घुंघराते हैं, जिससे हर घर में उत्सव का रंगीन असर मिलता है.