डिमर्जर (Demerger) क्या होता है और क्यों जरूरी है?

डिमर्जर का मतलब है किसी कंपनी का अपना एक या ज्यादा बिजनेस अलग कंपनी में बदलना — यानी कंपनी के एक हिस्से को अलग इकाई दे देना। यह खरीद-फरोख्त नहीं, बल्कि कानूनी और वित्तीय रूप से एक व्यवसाय को अलग करने की प्रक्रिया है। आमतौर पर शेयरधारकों को नई कंपनी के शेयर दिए जाते हैं या स्थिति के अनुसार संपत्ति व देनदारियाँ ट्रांसफर की जाती हैं।

कंपनियाँ डिमर्जर इसलिए करती हैं ताकि अलग-अलग बिजनेस पर अलग-अलग फोकस रखा जा सके, जोखिम को अलग किया जा सके, वैल्यू अनलॉक हो या नियामक आवश्यकताओं का पालन हो सके। कभी-कभी निवेशकों को स्पष्ट वैल्यू दिखाने के लिए भी डिमर्जर किया जाता है—कठोर और गैर-कठोर यूनिट्स अलग हों तो निवेशक बेहतर निर्णय ले पाते हैं।

डिमर्जर की सामान्य प्रक्रिया — आसान कदम

डिमर्जर की प्रक्रिया कंपनी और क्षेत्र के अनुसार बदलती है, पर सामान्यत: ये कदम शामिल होते हैं:

  • बोर्ड और मैनेजमेंट निर्णय: बोर्ड डिमर्जर का प्रस्ताव पास करता है।
  • वैल्यूएशन और स्कीम तैयार करना: स्वतंत्र वैल्यूएशन रिपोर्ट और डिमर्जर स्कीम बनाई जाती है।
  • शेयरधारक व लेनदार की मंजूरी: निर्धारित मीटिंग में मंजूरी ली जाती है।
  • नियामक मंजूरी: SEBI, स्टॉक एक्सचेंज या अन्य नियामक आवश्यकता के अनुसार अनुमति लेनी पड़ सकती है।
  • कानूनी/न्यायालय मंजूरी: जहाँ लागू हो, वहां कोर्ट या संबंधित प्राधिकरण से अनुमोदन लिया जाता है।
  • हस्तांतरण और रजिस्ट्रेशन: स्कीम लागू होने के बाद संपत्ति, कर्मचारी और देनदारियाँ नई कंपनी में ट्रांसफर हो जाती हैं।

निवेशक के लिए क्या देखें — छोटी पर प्रभावी चेकलिस्ट

अगर किसी सूचीबद्ध कंपनी में डिमर्जर की घोषणा होती है तो निवेशक इन बातों पर ध्यान दें:

  • शेयर स्वैप रेशियो: आपको नई कंपनी के कितने शेयर मिलेंगे — यह आपकी हिस्सेदारी पर असर डालता है।
  • कर्ज का आवंटन: किस इकाई पर कितना कर्ज रहेगा? कर्ज का भार नए बिजनेस की क्षमता बदल सकता है।
  • वैल्यूएशन रिपोर्ट: क्या वैल्यूएशन तर्कसंगत है या ओवर/अण्डर वैल्यू किया गया है।
  • प्रबंधन और गवर्नेंस: क्या नई कंपनी में मैनेजमेंट वही रहेगा या बदलाव है?
  • बिजनेस लॉजिक: डिमर्जर से कंपनी की वृद्धि और मुनाफाखोरी पर कैसे असर पड़ेगा?

टैक्स की बात करें तो कुछ शर्तें पूरी होने पर डिमर्जर टैक्स-न्यूट्रल हो सकता है, पर हर केस अलग होता है — इसलिए टैक्स सलाहकार से सलाह लेना जरूरी है।

अंत में, डिमर्जर आम तौर पर रणनीतिक कदम होते हैं — सही जानकारी, वैल्यूएशन और नियामक मंजूरी देखकर ही निवेश का फैसला लें। जुना महल समाचार पर ऐसे अपडेट और विश्लेषण मिलते रहते हैं, इसलिए अपडेट रहने के लिए साइट फॉलो करें।

आईटीसी होटल्स की एनएसई पर 31% छूट के साथ शेयरों की सूचीबद्धता, डिमर्जर के बाद स्टॉक का 180 रुपये पर पदार्पण

आईटीसी होटल्स की एनएसई पर 31% छूट के साथ शेयरों की सूचीबद्धता, डिमर्जर के बाद स्टॉक का 180 रुपये पर पदार्पण

30 जन॰ 2025 द्वारा Hari Gupta

आईटीसी होटल्स के शेयरों ने एनएसई पर 31% छूट के साथ 180 रुपये की खोज मूल्य पर सूचीबद्धता की है और बीएसई पर 188 रुपये पर। यह लिस्टिंग आईटीसी होटल्स के डिमर्जर के बाद हुई है, जो शेयरधारकों के लिए मूल्य अनलॉक करने के उद्देश्य से की गई थी। आईटीसी होटल्स का बाजार पूंजीकरण 37,461 करोड़ रुपये से अधिक है।