कभी सोचा है कि कोई आपकी जानबूझकर गलत शिकायत कर दे तो क्या होगा? झूठी शिकायत का मतलब है किसी के खिलाफ जानबूझकर गलत जानकारी देना ताकि उसे परेशान किया जा सके, जेल भिजवाया जा सके या बदनाम किया जा सके। यह सिर्फ मानसिक दबाव नहीं है — कानूनी परीणाम भी हो सकते हैं और आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी प्रभावित हो सकती है।
भारतीय दंड संहिता में झूठी शिकायत से जुड़े कुछ प्रावधान सीधे काम आते हैं। उदाहरण के लिए IPC की धारा 182 (सार्वजनिक अधिकारी को झूठी सूचना देना) और धारा 211 (न्यायिक कार्यवाही में झूठा आरोप लगाना) शामिल हैं। साथ ही अगर शिकायत के जरिये किसी की बदनामी हुई है तो मानहानि (defamation) की धाराएँ भी लागू हो सकती हैं। सज़ा में जुर्माना, जेल या दोनों हो सकते हैं — पर हर केस अलग होता है, इसलिए वकील से सलाह ज़रूरी है।
पहली बात: घबराना बंद करें। शांत रहकर काम लें — घबराहट में कोई गलत बयान दे देंगे तो मुश्किल बढ़ सकती है। नीचे आसान कदम हैं जो मदद करेंगे:
झूठी शिकायत से निपटना मुश्किल है पर मुमकिन भी है—सही समय पर सही कदम उठाए जाएं। सबसे बड़ी रक्षा आपकी सजगता और सबूत हैं। अगर तुरंत कदम उठाएंगे तो झूठ चमककर सामने आ सकता है और आपकी मजबूरियाँ कम होंगी। जरूरत पड़े तो कानूनी मदद लेने में देरी न करें।
मुंबई पुलिस ने स्पष्ट किया कि अभिनेता रवीना टंडन के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज की गई थी। इस शिकायत में आरोप लगाया गया था कि वह नशे में थीं, लापरवाही से गाड़ी चला रही थीं और मारपीट की घटना हुई। पुलिस के मुताबिक, घटना में कोई भी घायल नहीं हुआ और शिकायत बाद में वापस ले ली गई थी।