लोकसभा अध्यक्ष चुनाव: क्यों और कैसे होता है

लोकसभा अध्यक्ष (Speaker) का चुनाव नए सत्र की शुरुआत में या जब पद खाली होता है तभी कराना पड़ता है। यह चुनाव सीधे सांसद करते हैं और इसका असर सरकार और संसद के कामकाज पर सीधा होता है। स्पीकर का काम न सिर्फ सदन चलाना है बल्कि नियमों के अनुसार बहस और विधेयकों की रूपरेखा तय करना भी है।

चुनाव की प्रक्रिया

चुनाव संसद के नियमों और संविधान के प्रावधानों के तहत होता है। सामान्य तौर पर प्रक्रिया इस तरह चलती है: किसी सांसद द्वारा स्पीकर के लिए नामांकन प्रस्तावित किया जाता है और दूसरा सांसद उसे समर्थन देता है। अगर केवल एक नामांकन होता है तो वह निर्वाचित माना जाता है। कई उम्मीदवार हों तो सदन में मतदान से फैसला होता है और जो अधिकांश मत पाता है, वही स्पीकर बनता है।

यह ध्यान रखें कि स्पीकर नियमित वोटर की तरह वोट नहीं देते; वे सामान्य रूप से मतदान नहीं करते, सिवाय उस स्थिति के जब वोट बराबर हों — तब उनका कास्टिंग वोट निर्णायक होता है। स्पीकर का कार्यकाल उस लोकसभा के लगातार रहने तक रहता है जब तक वे इस्तीफा नहीं दे देते या सदन द्वारा हटाये नहीं जाते।

स्पीकर की जिम्मेदारियाँ और महत्व

स्पीकर सदन की कार्यवाही संचालित करते हैं: बोलने वालों को समय देना, नियमों का पालन कराना, प्रश्नकाल और विधेयक चर्चा का प्रबंधन। साथ ही स्पीकर ये तय करते हैं कि कौनसा बिल 'मनी बिल' है — और इस निर्णय का प्रभाव बहुत बड़ा होता है क्योंकि मनी बिल पर राज्यसभा का सीमित अधिकार होता है।

स्पीकर का रुख निष्पक्ष होना चाहिए। भले ही वे किसी पार्टी से चुनकर आते हैं, कामकाज में उन्हें तटस्थ बनना होता है। यह तटस्थता इसलिए जरूरी है ताकि विपक्ष और सरकार दोनों सदन की प्रक्रिया पर भरोसा रखें।

चुनाव से पहले पार्टियों के अंदर और गठबंधनों में बातचीत होती है — कौन नेता उम्मीदवारी देगा, क्या किसी विपक्षी से समझौता होगा, या क्या सदन में क्रॉस-वोटिंग के संकेत हैं। आम पढ़ने वाले के लिए खबरों में इन्हीं बिंदुओं पर ध्यान दें: उम्मीदवार का राजनीतिक असर, पार्टी की संख्या और किसी अप्रत्याशित समर्थन की खबरें।

अगर आप संसद की कार्यवाही पर नजर रखते हैं तो स्पीकर चुनाव एक संकेतक होता है कि आगे संसदीय कामकाज कैसे चलेगा — तेज़, विवादित या समन्वित। चुनाव के बाद स्पीकर की पहली प्राथमिकता नियमों के अनुसार सदन का शेड्यूल और महत्वपूर्ण समितियों की रूपरेखा तय करना होता है।

अगर चुनाव के दौरान या बाद में आप अपडेट चाहते हैं, तो लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट, प्रमुख समाचार चैनल और संसदीय रिपोर्ट देखें। वहां से आपको नामों, वोटिंग परिणाम और स्पीकर के पहले बयान जैसी अहम जानकारी मिल जाएगी।

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26 जून 2024 द्वारा Hari Gupta

एनडीए और विपक्षी इंडिया ब्लॉक ने लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं। एनडीए ने कोटा से तीन बार सांसद रह चुके ओम बिड़ला को नामित किया है, जबकि विपक्ष ने केरल से सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सांसद कोडिकुन्निल सुरेश को नामित किया है। चुनाव 26 जून को होगा और इसमें किसी भी उम्मीदवार को जीतने के लिए साधारण बहुमत की आवश्यकता है।