मराठा साम्राज्य: शिवाजी, शौर्य और प्रशासन

मराठा साम्राज्य ने 17वीं सदी में देसी सत्ता की एक नई पहचान दी। कौन थे वे और क्यों आज भी उनकी बात लोग करते हैं? सबसे पहले नाम आता है शिवाजी महाराज का। उन्होंने किले, गुप्त रणनीति और लोक सहयोग से मुगलों और स्थानीय शासकों को चुनौती दी। 1674 में रायगड पर शिवाजी का राज्याभिषेक मराठा राजतन्त्र की ठोस शुरुआत माना जाता है।

मराठा साम्राज्य सिर्फ युद्धों का नाम नहीं था—यह प्रशासन, कर-व्यवस्था और स्थानीय स्वायत्तता का भी प्रतीक था। शिवाजी की संस्था 'अष्टप्रधानी' ने मंत्रालयी ढांचे का आधार रखा। किले और स्थानीय गणमान्य लोग राज्य के कामों में साझेदार बनाए गए। इस वजह से मराठाओं का आधार ग्रामीण और स्थानीय समर्थन पर मज़बूत रहा।

शिवाजी और शुरुआती विस्तार

शिवाजी की लड़ाईयों में सबसे खास थी उनकी पानी-पुकार जैसी टेक्टिक्स—घाटी के रास्तों और किलों का उपयोग करके छोटी-बड़ी टुकड़ियों से हमला और पीछे हटना। प्रेत्येक अभियान में तेज़ी, गुप्त पार्टी और किले का महत्व दिखा। प्रतापगढ़ और रायगढ जैसे किले रणनीतिक केंद्र बने। शिवाजी के बाद उनके पुत्र और उत्तराधिकारी—संभाजी और राजाराम—ने चुनौतियों का सामना किया, पर मराठा पहचान जिंदा रही।

18वीं सदी में पेशवाओं ने सत्ता संभाली और मराठा प्रभाव पूरे भारत में फैल गया। ब बलाजी विष्णोभार, बाजी राव प्रथम जैसे पेशवाओं ने प्रशासन और सैन्य विस्तार दोनों पर ज़ोर दिया। मराठा फौजें मध्य भारत, गुजरात और उत्तर भारत तक पहुँचीं और वे राजनीति का अहम खिलाड़ी बन गए।

सैन्य शैली, पतन और विरासत

मराठों की ताकत उनके मोबाइल हल्के घुड़सवार और स्थानीय गोरिल्ला-शैली के हमलों में थी। पर 1761 की पानीपत की लड़ाई में अहमद शाह अब्दाली के साथ सामना और भारी नुकसान ने मराठा शक्ति को कमजोर किया। बाद में अंग्रेजों से टकराव के बाद तीन आंग्ल-मराठा युद्धों के बाद 1818 में पेशवा की सत्ता समाप्त हो गई और ब्रिटिश शासन ठहर गया।

फिर भी मराठा विरासत कम नहीं हुई। मराठी भाषा और लोक संस्कृति, किले और युद्ध-कला, प्रशासनिक विचार और क्षेत्रीय पहचान आज भी ज़िंदा हैं। आपने किसी पुरानी मराठी गाथा या किले की दीवारों पर इतिहास पढ़ा होगा—वो सब इसी विरासत का हिस्सा है।

अगर आप मराठा साम्राज्य के बारे में और जानना चाहते हैं—किसी विशिष्ट शख्सियत, किले या लड़ाई पर विस्तृत लेख चाहिए तो बताइए। मैं ध्यान से स्रोत और तिथियाँ लेकर सरल भाषा में समझा दूँगा।

छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती 2025: जन्म, इतिहास, और महत्व

छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती 2025: जन्म, इतिहास, और महत्व

19 फ़र॰ 2025 द्वारा Hari Gupta

छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना की और मुगल शासन का विरोध किया। उनका राज्याभिषेक 1674 में हुआ, जो मराठा स्वतंत्रता का प्रतीक था। शिवाजी जयंती पर विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, जिसे लोकमान्य तिलक और ज्योतिराव फुले ने लोकप्रिय बनाया।