नेट इनकम सीधे कहें तो आपकी जेब में बचने वाली कमाई है। सैलरी या बिज़नेस से जो कुल कमाते हैं उसमें से टैक्स, कटौतियाँ और खर्च निकालने के बाद जो राशि रहती है वही नेट इनकम है। ये जानना ज़रूरी है क्योंकि यही असलता बताती है कि आप हर महीने कितनी बचत कर सकते हैं या किस बजट में रह सकते हैं।
फॉर्मूला बहुत सीधा है — नेट इनकम = कुल आमदनी (Gross Income) − टैक्स और कटौतियाँ − व्यय। उदाहरण के लिए, अगर आपकी सालाना सैलरी ₹8,00,000 है, और कुल टैक्स व कटौतियाँ (TDS, EPF, स्वास्थ्य बीमा) ₹1,20,000 हैं, तो नेट इनकम = ₹8,00,000 − ₹1,20,000 = ₹6,80,000। इसका मासिक मान होगा करीब ₹56,667।
ध्यान रखें: बिज़नेस वालों के लिए नेट इनकम = कुल राजस्व − खर्चे (सप्लाई, वेतन, किराया, डिप्रीसिएशन आदि) − टैक्स। इसलिए नौकरी और बिज़नेस दोनों में घटक अलग हो सकते हैं।
बहुत लोग इन्हें ग़लत समझ लेते हैं। ग्रॉस इनकम वो राशि है जो आप ब्रूट रूप में पाते हैं। टैक्सेबल इनकम वह है जिस पर सरकार टैक्स लगाती है—इसमें कुछ कटौतियाँ और छूट लागू होती हैं। नेट इनकम वह हिस्सा है जो आपकी असल आय दिखाती है—यानी हाथ में आने वाला पैसा।
कुछ आम कटौतियाँ जो नेट इनकम घटाती हैं: TDS, प्रोफेशनल टैक्स, EPF/Provident Fund,LIC प्रीमियम, और स्वयं के किए गए निवेशों से पहले कटे हुए टैक्स। बिज़नेस में कच्चा माल, सैलरी, किराया और डेब्ट सर्विस शामिल होते हैं जो नेट को प्रभावित करते हैं।
क्या आप खुद नेट इनकम निकालना चाहते हैं? आसान तरीका: अपनी पे-ऑर्डर शीट और बैंक स्टेटमेंट लें। 6 महीने की आमदनी और नियमित खर्च जोड़ें। सालाना बेस पर कुल से कटौतियाँ घटाकर देखें।
नेट इनकम बढ़ाने के कुछ व्यवहारिक तरीके:
आम गलतियाँ जिनसे बचें: ग्रॉस को नेट समझ लेना, सिर्फ सैलरी पर फोकस करना, टैक्स छूटों को नजरअंदाज करना। छोटे-छोटे बदलाव साल में बड़ा फर्क ला सकते हैं।
अगर आप चाहें तो अपनी वर्तमान ग्रॉस सैलरी और कटौतियाँ बताइए — मैं एक सरल कैलकुलेशन करके बता दूँगा कि आपकी मासिक और सालाना नेट इनकम कितनी बनती है और कहाँ सुधार किया जा सकता है।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने चौथी तिमाही के लिए समेकित लाभ में 52.18% की वृद्धि की घोषणा की है, जिससे कंपनी के शेयरों में 9% का उछाल आया है। राज्य के स्वामित्व वाली रक्षा PSU ने मार्च तिमाही के लिए 4,308.68 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया है।