बारिश में पानी भराव आम बात बन गई है। क्या आप जानते हैं अपने घर और मोहल्ले में पानी जमा होने से क्या-क्या खतरे होते हैं और तुरंत क्या करना चाहिए? नीचे सीधे, सरल और काम के आइडिया मिलेंगे जो आप अभी लागू कर सकते हैं।
सबसे पहले कारण समझ लें। अक्सर ड्रेनेज नाले जाम हो जाते हैं—पत्ते, प्लास्टिक, मिट्टी जमा होने से पानी निकलता ही नहीं। भारी-बारिश की तीव्रता बढ़ी है। शहरों में ठीक से प्लान न होने से खुले स्थान कम और कठोर सतहें ज़्यादा हैं, जिससे बारिश जमीन में नहीं समाती। निर्माण के कारण प्राकृतिक नालियाँ बदल जाती हैं। ये सारे कारण मिलकर घर और सड़कों पर पानी भर देते हैं।
जब पानी भराव हो जाए तो घबराएँ मत। सबसे पहले अपने और परिवार की सुरक्षा जरूरी है। अगर पानी घर में धीरे-धीरे बढ़ रहा है तो महत्वपूर्ण दस्तावेज, दवा और इलेक्ट्रॉनिक चीजें ऊँची जगह पर रखें। बिजली के स्विच और सॉकेट पानी के पास न रखें और बिजली सप्लाई बंद कर दें अगर पानी बिजली के निकट पहुंच रहा हो।
बाहर निकलना हो तो तेज धारा वाले पानी में पैदल या गाड़ी से न जाएँ। गुमराह करने वाली गहराई दिखाई नहीं देती—छेद या खुला मैनहोल हो सकता है। गाड़ियों को पानी में छोड़ने से पहले ही सुरक्षित जगह पर ले जाएँ।
यदि पानी कमरों में घुस गया है और नाली जाम है तो शीघ्र नाली खोलकर पत्ते और कचरा हटवाएँ। छोटे-छोटे पम्प या डीजल पम्प की व्यवस्था करके पानी निकालना तेज़ और असरदार होता है। मोहल्ले के लोगों से मिलकर नाली साफ करना सबसे अच्छा तरीका है।
बीमारी का खतरा भी बढ़ता है—स्टैग्नेंट पानी मच्छरों का घर बनता है। पानी हटने के बाद पानी जमा रहने वाली जगहों पर कीटनाशक का छिड़काव और साफ-सफाई जरूरी है।
दीर्घकालिक बचाव के उपाय भी अपनाएँ: बारिश के पानी का रेनवॉटर हार्वेस्टिंग, धरती पर मालवा/ग्रीन स्पेस बढ़ाना, नालियों का नियमित मेंटेनेंस और किचन व बगीचे से कचरा निकास नालियों में न फेंकना। स्थानीय निगम में ड्रेनेज की शिकायत उठाना और साथियों के साथ मिलकर सामुदायिक सफाई कैंप करना असरदार रहता है।
इमरजेंसी किट में फ्लैशलाइट, पावर बैंक, बेसिक दवाइयां, सूखा राशन, पॉलिथीन और जरूरी कागजात रखें। अगर पानी बहुत ज्यादा है और बचना मुश्किल हो तो नजदीकी ऊँची जगह या राहत केंद्र का रास्ता बनाते हुए स्थानीय आपदा कंट्रोल रूम को सूचित करें।
छोटी-छोटी तैयारियाँ बड़ा फर्क डालती हैं। अपने घर के आस-पास ड्रेनेज की निगरानी करें, पड़ोसियों को जागरूक करें और समाज के साथ मिलकर समाधान खोजें। इससे अगली बार पानी भरने पर आप बेहतर तरीके से तैयार होंगे।
दिल्ली में भारी बारिश के बाद हुए जलभराव के लिए पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने प्लास्टिक कचरे को जिम्मेदार ठहराया और दिल्ली सरकार की निष्क्रियता की आलोचना की। सफदरजंग वेधशाला ने 24 घंटों में सामान्य से तीन गुना अधिक बारिश दर्ज की। शहर में जलभराव, यातायात जाम और सड़कों पर गाड़ियों के फंसने की समस्या को लेकर नागरिकों में रोष है। यादव ने कहा कि व्यक्तिगत व्यवहार में बदलाव और स्थानीय शासन में इसे शामिल करना जरूरी है।