हर दिन हम सब प्लास्टिक के पैकेट, बोतल, सिंगल-यूज़ कप और सैचेट का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ये छोटी‑छोटी चीजें जमा होकर बड़ा प्लास्टिक कचरा बनाती हैं। इससे हमें और हमारे बच्चों के लिए हवा, पानी और जमीन दूषित होती है। इसलिए अब सिर्फ चिंता करने का समय नहीं — छोटे बदलाव आज लगेंगे तो कल फर्क दिखेगा।
प्लास्टिक सड़ता नहीं, कई सालों तक रहता है। जलाने पर खतरनाक गैसें निकलती हैं जो फेफड़ों और दिल के लिए हानिकारक हैं। समुद्र में जाने पर यह मछलियों और समुद्री जीवन को मारता है; प्लास्टिक में जमा रसायन खाने-पीने की चीजों में वापस आ सकते हैं। कुछ प्लास्टिक (PVC, PS, अन्य मिश्रित प्रकार) रीसायकल भी मुश्किल होते हैं — इन्हें गलत तरीके से फेंकना भविष्य के लिए बड़ा जोखिम है।
1) पहले घटाना: शॉपिंग पर कपड़े की थैली, स्टील/कांच की पानी की बोतल और टिफिन साथ रखें। सैचेट, पन्नी पैक और एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक से बचें। छोटे कदम, बड़ी बचत।
2) अलग करना: घर में कचरा दो डब्बों में रखें — गीला (बायोडिग्रेडेबल) और सूखा (रीसाइक्लेबल)। प्लास्टिक को साफ और सूखा रखकर अलग करें। गंदा प्लास्टिक रीसाइक्लिंग में नहीं जाता।
3) किस प्लास्टिक को रखें? PET (1), HDPE (2) और PP (5) सामान्यत: रीसायकल होते हैं। PVC (3), PS (6) और 'अन्य' (7) वाले पैकेट मुश्किल होते हैं — इन्हें अलग रखें और स्थानीय कलेक्शन पॉइंट पर दें।
4) न जलाएँ: प्लास्टिक जलाने से डाइऑक्सिन जैसे जहरीले गैस बनते हैं। घर पर या खुले में जलाना बिल्कुल बंद करें।
5) रीयूज़ के आइडियाज: पुरानी प्लास्टिक बोतलों को पॉट बनाने, स्टोरेज बॉक्स के रूप में, या दाना‑बीन के कंटेनर के रूप में इस्तेमाल करें। कपड़ों की दुकान से छोटी प्लास्टिक थैलियाँ सामान रखने के लिए रखें।
6) सही निपटान और रीसाइक्लिंग: स्थानीय पारितोषिक‑केंद्र, म्युनिसिपल कलेक्शन और निजी रीसाइक्लर्स के बारे में जानकारी लें। कुछ ब्रांड 'टेक‑बैक' स्कीम चलाते हैं — पुराने पैकेट वापस देने पर इनसे संपर्क करें (EPR)।
7) खरीदारी में सोचें: बड़े पैक लें, रिफिल विकल्प चुनें और प्लास्टिक‑मुक्त ब्रांड को प्रोत्साहित करें। छोटे दुकानदारों से बोलें कि प्लास्टिक की बजाय पेपर या कपड़े का विकल्प दें।
8) समुदाय में प्रभाव: नजदीकी स्कूल या कॉलोनी में क्लीन‑अप ड्राइव रखें, प्लास्टिक मुक्ति अभियान चलाएँ और मंडल स्तर पर अलग कलेक्शन की मांग करें। बदलाव तभी आएगा जब हम मिलकर काम करेंगे।
शुरुआत तीन आसान कदम से करें: अपनी बोतल साथ रखें, घर पर प्लास्टिक अलग करें, और सिंगल‑यूज़ प्लास्टिक कम करें। ये छोटे फैसले रोज़मर्रा में बड़ा फर्क लाते हैं। प्लास्टिक कम होगा, सफाई रहेगी और बाद की पीढ़ी के लिए जमीन भी बचेगी।
दिल्ली में भारी बारिश के बाद हुए जलभराव के लिए पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने प्लास्टिक कचरे को जिम्मेदार ठहराया और दिल्ली सरकार की निष्क्रियता की आलोचना की। सफदरजंग वेधशाला ने 24 घंटों में सामान्य से तीन गुना अधिक बारिश दर्ज की। शहर में जलभराव, यातायात जाम और सड़कों पर गाड़ियों के फंसने की समस्या को लेकर नागरिकों में रोष है। यादव ने कहा कि व्यक्तिगत व्यवहार में बदलाव और स्थानीय शासन में इसे शामिल करना जरूरी है।