अगर कभी पुलिस आपसे पूछताछ करे तो घबराने की जरूरत नहीं, पर समझदारी जरूरी है। पूछताछ का मतलब पूछ-ताछ हो सकता है या गिरफ्तार करना — दोनों अलग हैं। पहले जान लें कि आपकी क्या हदें और अधिकार हैं, फिर ही आप बेहतर फैसला कर पाएंगे।
सबसे पहले ये याद रखें: आप कानून के तहत कुछ स्पष्ट अधिकार रखते हैं। आप अपनी पहचान पूछ सकते हैं और पुलिसकर्मी का नाम-बैज नंबर माँग सकते हैं। अगर गिरफ्तार किया जाता है तो आपको तुरंत वकील बुलाने का हक़ है और किसी को बता सकने का अधिकार भी है कि आपको कहाँ रखा गया है।
कानूनी तौर पर पुलिस 24 घंटे से ज़्यादा बिना न्यायिक अनुमति हिरासत में नहीं रख सकती। आपको गलत तरीके से प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए; किसी भी चोट का मेडिकल रिकॉर्ड करवा लें। पुलिस के सामने खुद को गलत साबित करने या झूठ बोलने से बचें — ‘खामोशी’ भी आपका अधिकार है।
पहला काम शांत रहना है। तेज या गुस्से में जवाब देने से स्थिति बिगड़ सकती है। पूछताछ में हमेशा सच बताना जरूरी नहीं — आप स्वयं को प्रतिबंधित कर सकते हैं और वकील बुलाने की मांग कर सकते हैं।
क्या करना चाहिए:
क्या न करें:
यदि आप पत्रकार हैं या किसी घटना का गवाह—पहचान स्पष्ट रखें और अगर ज़रूरत हो तो अपने मीडिया आईडी या पहचान पेश करें। तथ्यों को लिख कर रखें: तारीख, समय, पूछताछ में मौजूद अधिकारी, और बोले गए मुख्य बिंदु। यह बाद में काम आएगा।
अगर आपको लगता है कि आपके अधिकारों का उल्लंघन हुआ है तो नजदीकी मजिस्ट्रेट, मानवाधिकार संगठन या वकील से तुरंत संपर्क करें। पुलिस पूछताछ डराने वाली हो सकती है, लेकिन सही जानकारी और संवैधानिक अधिकारों के साथ आप अपनी सुरक्षा और इज्जत दोनों बचा सकते हैं।
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कन्नड़ अभिनेता दर्शन को एक हत्या मामले में कथित भूमिका को लेकर पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया है। 47 वर्षीय अभिनेता को मैसूर में उनके फार्महाउस से उठाकर बेंगलुरु ले जाया गया। मृतक रेनुक स्वामी, जो एक फार्मेसी कंपनी में काम करता था, का शव 9 जून को एक नाले में मिला था। स्वामी ने दर्शन की पत्नी को 'अश्लील संदेश' भेजे थे। पुलिस मामले की जांच कर रही है।