क्या आप जानना चाहते हैं कि रामकृष्ण मिशन किस तरह समाज में बदलाव लाता है? सरल भाषा में: यह संगठन स्वामी विवेकानंद की सोच पर चलता है — ‘‘सेवा ही ईश्वर सेवा है।’’ 1897 में स्थापित यह मिशन आज शिक्षा, स्वास्थ्य और आपदा राहत जैसे कामों में सक्रिय है।
मिशन का काम दैनिक जीवन में साफ दिखता है — स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और ग्रामीण विकास परियोजनाएँ। इन प्रयासों का मकसद सिर्फ मदद देना नहीं, बल्कि लोगों को आत्मनिर्भर बनाना है। बच्चे पढ़ें, मरीजों को भरोसा मिले और कठिन समय में राहत पहुँच सके — यही प्राथमिकता रहती है।
रामकृष्ण मिशन आपातकालीन राहत में बहुत सक्रिय रहता है। बाढ़, चक्रवात या भूकंप के समय टीम तुरंत पहुँचकर बचाव, भोजन और इलाज का इंतज़ाम करती है। स्वास्थ्य क्षेत्र में मिशन के अस्पताल और क्लीनिक दूर-दराज के इलाकों में भी चिकित्सा सेवा देते हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में मिशन सरकारी और ग्रामीण स्कूल चलाता है, साथ ही तकनीकी और व्यावसायिक कोर्स भी मुहैया कराता है ताकि युवा काम सिखकर आत्मनिर्भर बन सकें। मिशन सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और वृद्धाश्रम जैसी सेवाओं पर भी काम करता है।
अगर आप मदद करना चाहते हैं तो विकल्प कई हैं। दान दें — आर्थिक सहयोग स्थायी और त्वरित असर देता है। वॉलेंटियर बनें — स्थानीय केंद्रों में पढ़ाने, स्वास्थ्य शिविरों या राहत कार्यों में हाथ बंटाया जा सकता है।
आपके समय, कोशिश या छोटे‑छोटे सामान (कपड़े, दवाइयाँ, किताबें) से भी फर्क पड़ता है। पहला कदम आसान है: अपने नज़दीकी रामकृष्ण मिशन केंद्र से संपर्क करें या आधिकारिक वेबसाइट देखें। ज्यादातर केंद्र स्वयंसेवकों का स्वागत करते हैं और काम का विवरण देते हैं।
मिशन की शिक्षा और स्वास्थ्य परियोजनाएँ पारदर्शी रहती हैं। अगर आप छात्र हैं, तो इंटर्नशिप और ट्रेनिंग के मौके मिल सकते हैं। संगठन अक्सर स्थानीय भाषाओं में कार्यक्रम चलाता है, इसलिए ग्रामीण इलाकों में भी भागीदारी संभव है।
अंत में, रामकृष्ण मिशन केवल धार्मिक संस्थान नहीं है — यह व्यावहारिक सेवा और आत्मिक विकास दोनों पर काम करता है। अगर आप सोच रहे हैं कि छोटा कदम क्या होगा — किसी स्कूल में किताब दान करना या एक दिन वॉलेंटियर बनकर समय देना, वह भी बड़ी मदद है।
यदि आप आगे जानकारी चाहते हैं तो बेलुर मठ (कोलकाता) या अपने नज़दीकी केंद्र की वेबसाइट देखें। वहां पर कार्यक्रम, दान के तरीके और वॉलंटियर रजिस्ट्रेशन की पूरी जानकारी मिल जाएगी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को रामकृष्ण मिशन पर अपने रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्हें संस्थान के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है, लेकिन उन्होंने कुछ विशिष्ट साधुओं की आलोचना की है जिन्होंने राज्य में सांप्रदायिक अशांति भड़काई है।