अमेरिकी चुनाव 2024: नए राष्ट्रपति की घोषणा कब होगी और कैसे होगी?

अमेरिकी चुनाव 2024: नए राष्ट्रपति की घोषणा कब होगी और कैसे होगी?

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024: क्या होगा परिणाम और कैसे होगा निर्णय

संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया हमेशा से जटिल रही है। इसका मुख्य कारण है देश का इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम। इस प्रणाली के तहत राष्ट्रपति का चयन सीधे जनता के वोट से नहीं होता, बल्कि राज्यों के प्रतिनिधियों के वोटों से होता है। इन्हें इलेक्टोरल वोट्स कहा जाता है। 538 इलेक्टोरल वोट्स में से कम से कम 270 वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित किया जाता है।

2024 का चुनाव भी इसी प्रणाली के तहत होगा। चुनाव 5 नवंबर को होंगे और परिणामों को लेकर उच्च स्तर की अनिश्चितता हो सकती है। डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। विशेष तौर पर बड़ा महत्व वाले राज्यों जैसे पेंसिल्वेनिया, नॉर्थ कैरोलाइना, जॉर्जिया, एरिज़ोना, नेवादा, विस्कॉन्सिन और मिशिगन में परिणाम महत्वपूर्ण माने जाएंगे।

महत्वपूर्ण राज्यों में निर्णायक भूमिका

ये राज्य इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यहाँ के लोगों के वोट से बड़ा फर्क पड़ता है। इन राज्यों में चयनित उम्मीदवार को जीतने के लिए परंपरागत रूप से लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती है। उदाहरण के लिए, पेंसिल्वेनिया में जो उम्मीदवार 0.4% की भी बढ़त बना लेगा, उसे निर्णायक बढ़त हासिल हो सकती है।

कानूनी चुनौतियों का सामना

रिपोर्ट्स के अनुसार, अगर परिणाम करीब आए, तो दोनों तरफ से कानूनी चुनौतियाँ दी जा सकती हैं। डोनाल्ड ट्रम्प और कमला हैरिस दोनों ही अपनी-अपनी कानूनी टीमों के साथ तैयार हैं। सिर्फ जनता की संभावित असुरक्षा से ही नहीं, बल्कि राजनीतिक उलझनों से भी निपटने के लिए ये तैयारियाँ की गई हैं।

कभी-कभी, यदि परिणाम काफी स्पष्ट होता है, तो हारने वाला उम्मीदवार औपचारिक घोषणा से पहले ही अपनी हार स्वीकार कर लेता है। लेकिन जब खेल में मार्जिन कम हो, तब यह स्थिति इतना सरल नहीं होता।

इलेक्टोरल कॉलेज प्रणाली के फायदे और नुकसान

इलेक्टोरल कॉलेज प्रणाली के अपने फायदे और नुकसान हैं। एक ओर, यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि बड़े और छोटे राज्यों की समान भागीदारी हो, वहीं दूसरी ओर, कई बार यह देखा गया है कि बहुसंख्यक जनता के वोटों के बावजूद कोई अन्य उम्मीदवार जीत सकता है। यह स्थिति 2016 के चुनाव में देखी गई थी जब हिलेरी क्लिंटन ने ज़्यादा पॉपुलर वोट्स प्राप्त किए थे, लेकिन ट्रम्प इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए राष्ट्रपति बने।

फ्यूचर की दिशा

जैसा कि अमेरिका इस बार के चुनाव में नए नेताओं को चुनेगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि किस सोच और दृष्टिकोण के साथ जनता सामने आती है। परिणाम के इंतजार में देश की सांसें थम जाएंगी। न्यूयॉर्क में आधी रात तक परिणाम स्पष्ट हो सकते हैं, बशर्ते बढ़त स्पष्ट हो। अन्यथा, अगर नतीजे टाइ सेट हो जाते हैं, तो राष्ट्रपति की घोषणा में लंबा समय लग सकता है।

खाते में लेकर देखें तो यह कहना गलत नहीं होगा कि अमेरिकी चुनाव एक अनोखी प्रक्रिया है जो विश्व राजनीति में अपना अलग योगदान देती है। इस चुनाव के परिणाम world politics की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं।

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