भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता: स्पिरिट्स और सेवा क्षेत्र के लिए नई उम्मीदें

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता: स्पिरिट्स और सेवा क्षेत्र के लिए नई उम्मीदें

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता: लंबा इंतजार, नया दौर

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को लेकर उठी-अटकी बातचीत आखिरकार फिर पटरी पर लौट आई। 24 फरवरी 2025 को दोनों देशों के दिग्गज मंत्री—ब्रिटेन के व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स और भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की मुलाकात में फिर ऊर्जा नजर आई। आठ महीने के ठहराव के बाद माहौल ही कुछ और था। पिछली बार चुनाव के कारण मामला फंसा था, लेकिन इस बार टेबल पर साफ समझ था—अब देर नहीं करनी।

जुलाई 2024 तक 13 चक्र की बातचीत हो चुकी थी, हर बार कहीं न कहीं फंसती रही। फिर ब्रिटेन में आम चुनाव, सरकार परेशान, चर्चा ठंडी पड़ी रही। लेकिन अब जब दोबारा बातचीत शुरू हुई, तो दोनों देशों की टीमों ने साफ किया कि अब पुराने अडचनों को दूर करना ही होगा।

कौन से सेक्टर उम्मीदों के केंद्र में?

कौन से सेक्टर उम्मीदों के केंद्र में?

इस भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता के तहत कुछ सेक्टरों को लेकर चर्चा जबरदस्त रही। खासकर स्पिरिट्स—जैसे व्हिस्की और जिन—के बाजार और टैक्स को लेकर ब्रिटेन के कारोबारी खासी उम्मीद लगा रहे थे। भारत इस समय ब्रिटिश स्पिरिट्स पर काफी ज्यादा सीमा शुल्क लगाता रहा है। समझौते के तहत इन पर ड्यूटी कम की जाएगी, जिससे ब्रिटिश व्हिस्की, जिन व अन्य ब्रांड भारतीय बाजार में आसानी से मिलेंगे और कीमत भी कम हो सकती है।

वहीं, भारत का फोकस सर्विस सेक्टर—जैसे आईटी, हेल्थकेयर, कंसल्टेंसी—के प्रोफेशनल्स को ब्रिटेन में एंट्री और वहां काम करने की शर्तें आसान करवाने पर था। इस बार की बातचीत में दोनों ही मुद्दों पर हस्रजनक तरीके से सहमति बनी।

मई 2025 में जब समझौते को औपचारिक मंजूरी मिली, तो इसमें दो खास फायदे दिखे: भारत ने ब्रिटिश स्पिरिट्स पर टैक्स घटा दिए और बदले में ब्रिटेन ने भारतीय सेवा पेशेवरों को ज्यादा मार्केट एक्सेस दिया। इसका मतलब, अब भारतीय स्पेशलिस्ट, डॉक्टर्स, इंजीनियर्स व दूसरे एक्सपर्ट्स को ब्रिटेन में काम करने के अधिक मौके मिलेंगे।

  • ब्रिटिश व्हिस्की, जिन और अन्य स्पिरिट्स के लिए भारतीय टैक्स में कटौती
  • भारतीय आईटी, चिकित्सा, फाइनेंस और शिक्षा पेशेवरों को ब्रिटिश बाजार में आसान मार्ग
  • दोनों ओर के निवेशकों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर, विनिर्माण और ई-काॅमर्स में ताजा मौका
  • रेगुलेट्री प्रक्रियाएं आसान होंगी, उत्पादों की स्वीकृति तेज होगी

इस समझौते के बाद दोनों देशों की कारोबारी दुनिया में नई उम्मीद जगी है। ब्रिटेन के पारंपरिक उत्पादों—जैसे कि स्काॅच और जिन—को भारतीय बाजार में बड़ा तगड़ा बाजार मिल सकता है। दूसरी ओर, भारत के तकनीकी, वित्तीय और हेल्थ सेवाओं के स्पेशलिस्ट को अब यूके के बाजार में बेहतर पहचान और अवसर मिलेंगे।

बहरहाल, ये समझौता सिर्फ कारोबार तक सीमित नहीं, इससे दोनों देशों के रिश्तों में भी मजबूती आई है, और उद्योग से लेकर आम लोगों तक इस बदलाव की झलक देखने को मिलेगी।

टिप्पणि (7)

Mihir Choudhary

Mihir Choudhary

मई 7 2025

वाह! भारत‑ब्रिटेन एफ़टीए से स्पिरिट्स की कीमत घटेगी और हमारे आईटी प्रोफेशनल्स को यूके में नई नौकरी के दरवाज़े खुलेंगे 🚀✨

Tusar Nath Mohapatra

Tusar Nath Mohapatra

मई 14 2025

सरकार ने अंत में बात कर ली, अब बस काग़ज़ी काम जल्दी‑जल्दी निपटाएँ। सेवा क्षेत्र के एक्सपर्ट्स को आसान वीज़ा मिलना चाहिए, नहीं तो फिर से वही पुरानी रुकावटें आएँगी। ब्रिटिश व्हिस्की के शौकीनों को अब सस्ती कीमत में स्वाद मिलेगा, तो कौन नहीं खुश होगा? फिर भी, सोचिए अगर यह समझौता किसी बड़ी रजिस्ट्री स्कैम के पीछे नहीं है तो…

Ramalingam Sadasivam Pillai

Ramalingam Sadasivam Pillai

मई 22 2025

व्यापार के ये समझौते केवल आर्थिक लेन‑देन नहीं, बल्कि दो राष्ट्रों के आत्म‑परिचय का दर्पण होते हैं। जब स्पिरिट्स कम टैक्स पर आती हैं, तो वह हमारी संस्कृति में एक नई परत जोड़ देती है। उसी तरह, सेवा विशेषज्ञों की गतिशीलता ज्ञान के प्रवाह को तेज़ करती है। परन्तु, प्रत्येक लेन‑देन के पीछे आध्यात्मिक संतुलन की आवश्यकता होती है, नहीं तो लाभ अस्थायी रहेगा। यदि हम इस वार्ता को केवल मुनाफ़े की राह नहीं देखेंगे, तो भविष्य में दोनो देशों की मित्रता प्रगाढ़ होगी। इस प्रकार, एफ़टीए का सच्चा सार केवल वस्तु‑सेवा का आदान‑प्रदान नहीं, बल्कि विचारों की सह-अस्तित्व है।

Ujala Sharma

Ujala Sharma

मई 29 2025

और तो क्या, अब हम सभी घर बैठे ही स्कॉच के साथ कोड करेंगे।

Vishnu Vijay

Vishnu Vijay

जून 5 2025

बिल्कुल, इस नई लहर में सभी को जगह है 😊। भारत और यूके के बीच सहयोग केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी बन जाएगा।

Aishwarya Raikar

Aishwarya Raikar

जून 12 2025

लेकिन याद रखें, हर बड़ा सौदा अक्सर पीछे से किसी छुपे एजेंट की कुंजी से चलता है। कुछ लोग कहते हैं कि यह एफ़टीए सिर्फ बड़े कॉरपोरेट्स को लाभ पहुँचाने के लिए तैयार किया गया था, जनते के लिए नहीं। यूके के पॉस्ट‑ब्रेक्स रणनीति में इस तरह के समझौते का उपयोग ताकतवर आर्थिक नेटवर्क बनाने के लिए किया जा सकता है। फिर भी, अगर हमें इस खेल में भाग लेना है, तो हमें अपनी नौकाओं को मजबूत बनाना पड़ेगा।

Arun Sai

Arun Sai

जून 19 2025

नया भारत‑ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता कई टैरिफ़ शेड्यूल और यूएसएमसी मानकों को सम्मिलित करता है, जिससे दोनों पक्षों को नॉन‑टैरिफ़ बाधाओं का पुनः मूल्यांकन करना पड़ेगा। इस एफ़टीए में रिसीवियर‑ऑरिजिन कॉडिशन (ROC) को स्पष्ट किया गया है, जिससे स्पिरिट्स की आयात‑निर्यात में सर्टिफ़िकेशन प्रक्रिया को कम समय में पूरा किया जा सकेगा। सेवा सेक्टर में, बाय‑इंडक्शन लिंकेज मॉडल को अपनाते हुए भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए वैध स्किल्स ट्रांसफर एग्रीमेंट (STA) स्थापित किया गया है। इसके अलावा, हेल्थकेयर एक्सपोर्ट को फुर्तीले रूप में वैधता प्राप्त करने के लिए क्लिनिकल ट्रायल डेटा मॉड्यूल (CTDM) को मान्यता दी गई है। वित्तीय सेवाओं में, दो देशों के बीच ड्यू अल्पेटिक रेज़ॉल्यूशन मेकेनिज़्म (DARM) को एकीकृत किया गया है, जिससे डिस्प्यूट सॉल्यूशन में औसत टर्नअराउंड समय को 30% तक घटाया जा सके। इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए, जॉइंट इन्वेस्टमेंट फंड (JIF) का गठन किया गया है, जो प्री‑फ़ैब्रिकेशन और ई‑कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म्स के स्केलेबिलिटी को बढ़ावा देगा। टैक्स एव्हेज़न स्ट्रक्चर को भी पुन:डिज़ाइन किया गया है, जिससे ड्युटी फ्रेमवर्क में ट्रीटमेंट ऑफ़ इंटरमीडिएट गुड्स (TIG) को अधिक लचीला बनाया गया है। इस समझौते के तहत कॉम्प्लायंस मॉनिटरिंग यूनिट (CMU) स्थापित होगी, जो दोनों देशों के नियामक बॉडीज़ के बीच रीयल‑टाइम डेटा शेयरिंग को सक्षम करेगी। वैकल्पिक रूप से, एऍडिशनल लाइसेंसिंग प्रोसेस (ALP) को डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से स्वचालित किया जाएगा, जिससे कस्टम क्लियरेंस में औसत दायरी को घटाया जा सकेगा। यह सभी उपाय न केवल व्यापारिक बाधाओं को कम करेंगे, बल्कि दोनों अर्थव्यवस्थाओं के इन्नोवेशन इकोसिस्टम को भी सुदृढ़ करेंगे। संक्षेप में, यह एफ़टीए बहु‑आयामी फ्रेमवर्क पेश करता है, जो टैरिफ़ रिडक्शन, रेगुलेटरी हार्मनी और टैक्नॉलॉजिकल इंटीग्रेशन को समेटे हुए है। इस प्रकार, अगर सभी स्टेकहोल्डर्स इस संरचना को अपनाते हैं, तो दीर्घकालिक ग्रोथ मैट्रिक्स में सकारात्मक बदलाव देखना संभव है। विचार किया जाए तो छोटे और मध्यम उद्यम (एसएमई) को इस एफ़टीए के तहत विशेष एक्सेस रिवॉर्ड प्रोग्राम (ERP) मिलेगा, जिससे उनकी एक्सपोर्ट क्षमता बढ़ेगी। साथ ही, पर्यावरणीय मानकों को पूरा करने वाले उत्पादों को ग्रीन टैरिफ़ बैन्फ़िट (GTB) प्रदान किया जाएगा, जो सतत विकास को प्रोत्साहित करेगा। डेटा प्राइवेसी के प्रश्नों को हल करने हेतु द्विपक्षीय सायबर‑सिक्योरिटी फ्रेमवर्क (CSF) स्थापित किया गया है, जो डिजिटल ट्रेड में भरोसे को बढ़ाएगा। अंततः, इस समझौते की सफलता का मापदंड प्रतिवर्ष द्विपक्षीय ट्रेड वैॉल्यूम में 5% की वृद्धि के रूप में तय किया गया है।

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