अनौपचारिक वनडे सीरीज़ एक अनौपचारिक वनडे सीरीज़, जो आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय मैचों के बाहर खेली जाने वाली वनडे श्रृंखला होती है, जिसका उद्देश्य टीम को नए खिलाड़ियों के साथ टेस्ट और टी20 के बीच की खाई को पार करने में मदद करना होता है। इसे कभी-कभी फील्डिंग ट्रेनिंग, फॉर्म चेक या चयनकर्ताओं के लिए एक लैब भी माना जाता है। ये मैच आमतौर पर ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका या न्यूजीलैंड जैसे देशों में खेले जाते हैं, जहाँ भारतीय टीम को अलग टर्फ और मौसम का सामना करना पड़ता है। इनमें कोई रैंकिंग नहीं होती, लेकिन इनका असर बहुत बड़ा होता है — खासकर जब टीम इंडिया को बड़े टूर्नामेंट से पहले एक अच्छा फ्लो चाहिए हो।
इन श्रृंखलाओं में हारिष राणा, एक ऐसा खिलाड़ी जिसकी बल्लेबाजी की तकनीक और तेज़ रन बनाने की क्षमता अनौपचारिक मैचों में बेहतरीन दिखती है। जैसे आपने देखा, क्रिस श्रीकंठ जैसे विश्लेषक इन्हें टीम इंडिया के स्थायी सदस्य के रूप में देखते हैं। ये वनडे उनके लिए एक फॉर्म चेक हैं, न कि बस एक अभ्यास। इसी तरह, क्रिस श्रीकंठ, एक पूर्व दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर और आज का प्रमुख कमेंटेटर, जो अनौपचारिक वनडे मैचों के महत्व को समझते हुए चयन प्रक्रिया पर अपनी राय रखते हैं। उनकी टिप्पणियाँ अक्सर चयन समिति के फैसलों को बदल देती हैं।
अनौपचारिक वनडे सीरीज़ के बिना, टीम इंडिया के लिए नए खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आने का एक सुरक्षित तरीका नहीं होता। ये मैच बिना दबाव के अपनी बात रखने का मौका देते हैं। क्या आपने कभी सोचा कि यशस्वी जैसवाल या शुबमन गिल भी किसी न किसी अनौपचारिक श्रृंखला में अपनी जगह बनाते हुए आए होंगे? ये श्रृंखलाएँ आधिकारिक टूर्नामेंट से कहीं ज़्यादा खिलाड़ियों की निर्माण करती हैं।
इस लिस्टिंग में आपको ऐसे ही मैचों, चयनों और उनके असर को दिखाने वाले लेख मिलेंगे — जहाँ खिलाड़ियों के नाम नहीं, बल्कि उनकी जीत और गलतियाँ बात करती हैं। आप देखेंगे कि कैसे एक अनौपचारिक वनडे ने एक खिलाड़ी के करियर को बदल दिया, और कैसे एक गलत टिप्पणी ने पूरी टीम की रणनीति को बदल दिया। ये सिर्फ़ क्रिकेट नहीं, ये भारतीय क्रिकेट की ज़िंदगी है।
भारत ए ने कानपुर में ऑस्ट्रेलिया ए को हराकर अनौपचारिक वनडे सीरीज 2-1 से जीत ली। प्रभसिमरन सिंह की शतक पारी और तिलक वर्मा की निराशाजनक 94 के बीच भारतीय युवा टीम का भविष्य चमक रहा है।