अगर आपने कभी पूछा है कि अनुच्छेद 370 क्या था और उसने जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ क्या बदल दिया — तो यह पेज उसी सवाल का सीधा-सादा जवाब देता है। मैं सीधे मुद्दे पर आता हूँ: अनुच्छेद 370 संविधान में एक अस्थाई प्रावधान था जो जम्मू-कश्मीर को सीमित स्वतन्त्रता देता था। उस दौरान केंद्र की कुछ ही शक्तियाँ वहाँ लागू होती थीं, बाकी राज्य की स्वायत्तता में आती थीं।
1947 में राज्य के सांविधानिक जुड़ने के समय जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया गया। अनुच्छेद 35A भी इसी क्रम की देन थी, जिसने राज्य सरकार को स्थानीय नीतियाँ तय करने का अधिकार दिया — जैसे जमीन खरीदने और सरकारी नौकरियाँ किसे मिलें। परिणाम यह हुआ कि कई केंद्रीय कानून सीधे वहां लागू नहीं होते थे।
लोग अक्सर पूछते हैं कि यह खास दर्जा क्यों दिया गया। कारण सरल था: उस समय के सियासी हालात और राज्य के विलय की शर्तें। पर सालों में यह विषय सकारात्मक विकास और विवाद, दोनों का हिस्सा बन गया।
5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 का प्रावधान हटाने का फैसला लिया। इसका सीधा नतीजा यह हुआ कि जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश बना और केंद्र के अधिक कानून वहां लागू होने लगे।
सबसे बड़ा बदलाव जमीन और नौकरी से जुड़ा। अब कोई अन्य भारतीय भी वहां जमीन खरीद सकता है और राज्य की नौकरियों के नियम बदले जा सकते हैं। इससे निवेश और विकास की नई बातें सामने आईं, पर साथ में स्थानीय लोगों की पहचान और संसाधनों के नियंत्रण को लेकर चिंता भी बढ़ी।
कानूनी स्तर पर कई चुनौतियाँ और केस कोर्ट में हैं। कुछ मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य के कदमों की समीक्षा की है और बहस जारी है। इसलिए भविष्य में और निर्णय संभव हैं।
एक और असर प्रशासनिक है: पहले जो विशेष दर्जा था, उसके हटने के बाद केंद्र के कई कल्याण और विकास कार्यक्रम सीधे लागू हुए। सुरक्षा की दृष्टि से भी नीतियाँ बदलीं क्योंकि राज्य का प्रशासनिक ढांचा बदल गया।
अगर आप नागरिक या वहां से जुड़े हुए हैं तो क्या करें? सरकारी नोटिफिकेशन्स और domicile नियम ध्यान से पढ़ें। जमीन खरीदने या नौकरी के नियमों पर स्थानीय प्रशासन से लिखित जानकारी लें। कानूनी मामलों के अपडेट के लिए भरोसेमंद खबरें और सरकारी वेबसाइटें देखें।
आख़िर में, यह विषय अभी भी संवेदनशील और विकसित हो रहा है। राजनीति, कानून और समाज में इसके प्रभाव अलग-अलग नजर आते हैं। मैं आपको सलाह दूँगा कि जब भी नई खबर या फैसला आए, सीधे आधिकारिक स्रोतों और भरोसेमंद मीडिया पर भरोसा करें, और यदि जरूरत हो तो कानूनी सलाह लें।
5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाने के छह साल पूरे होने से पहले मोदी और अमित शाह की मीटिंगों ने जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा या UCC लागू होने की अटकलें बढ़ा दी हैं। घाटी के नेता राज्य का दर्जा लौटाने की मांग पर दबाव बना रहे हैं। लेकिन सरकार ने अब तक अपने इरादे साफ नहीं किए हैं।