आयकर रिटर्न की पूरी जानकारी

जब आप आयकर रिटर्न, वर्ष भर की आय को सरकार के साथ साझा करने वाला आधिकारिक दस्तावेज़, भी कहा जाता है IT Return की बात करते हैं, तो दो चीज़ें साथ आती हैं – आयकर ऑडिट, रिटर्न की सत्यता जांचने की प्रक्रिया और CBDT, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज, जो नियम बनाता है। आयकर रिटर्न आयकर फाइलिंग को सरल बनाता है, ऑडिट रिटर्न की वैधता सुनिश्चित करता है, और CBDT पूरे सिस्टम को नियंत्रित करता है। यही तीन तत्व मिलकर टैक्सपेयर्स के लिये एक स्पष्ट राह तैयार करते हैं।

आयकर फाइलिंग और योजना की मुख्य बातें

एक बार जब आप आयकर रिटर्न भरते हैं, तो टैक्स फाइलिंग प्रक्रिया शुरू हो जाती है। फाइलिंग में टैक्स बचत, छूट और कटौतियों का इस्तेमाल प्रमुख भूमिका निभाते हैं। साथ ही आयकर योजना, जैसे लाडकी बहिन स्कीम या हाउसिंग लोन डिडक्शन आपके टैक्स बोझ को घटा सकती है। वित्तीय वर्ष (FY) की शुरुआत और अंत को समझना, आय स्रोतों को वर्गीकृत करना, और सही फॉर्म चुनना – ये सभी बातें फाइलिंग को सही बनाती हैं।

रिटर्न भरे जाने के बाद कई लोग रिफंड की उम्मीद रखते हैं। यहाँ आयकर रिफंड, अधिक टैक्स जमा करने पर सरकार द्वारा वापस किया गया पैसा एक महत्वपूर्ण लक्ष्य बन जाता है। रिफंड की गति मुख्य रूप से इ‑फ़ाइलिंग पोर्टल की कार्यक्षमता और डेडलाइन के पालन पर निर्भर करती है। यदि आप इस वर्ष की डेडलाइन से पहले रिटर्न जमा करते हैं, तो रिफंड मिलने में महीनों नहीं, बल्कि हफ्तों का इंतजार करना पड़ता है। इसलिए समय पर फाइलिंग को प्राथमिकता देना चाहिए।

तकनीकी उन्नयन ने आयकर रिटर्न को और आसान बना दिया है। ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल, ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करने का आधिकारिक मंच अब मोबाइल ऐप और यू‑टिप्स के साथ सुसज्जित है। आप डेस्कटॉप या स्मार्टफ़ोन से लॉगिन करके सभी आवश्यक फ़ॉर्म भर सकते हैं, ट्रीटमेंट ऑफ़ डेडलाइन अलर्ट सेट कर सकते हैं, और रिटर्न की स्टेटस तुरंत देख सकते हैं। डिजिटल सिग्नेचर और OTP सुरक्षा के साथ आपका डेटा सुरक्षित रहता है।

फाइलिंग में पेशेवर मदद लेना भी फायदेमंद हो सकता है। चार्टर्ड अकाउंटेंट, वित्तीय सलाह और टैक्स कंप्लायंस में विशेषज्ञ या टैक्स प्लानर, टैक्स रणनीति बनाने में मददगार प्रोफेशनल आपको उचित कटौतियों को पहचानने, आय को सही ढंग से वर्गीकृत करने और संभावित ऑडिट से बचाने में सहायता करेंगे। उनका अनुभव आपके रिटर्न को त्रुटिरहित बनाता है और भविष्य में संभावित दंड से बचाता है।

व्यवसायिक मालिकों के लिये आयकर रिटर्न की कुछ ख़ास बातें होती हैं। छोटे और मझोले उद्यम (SME) अक्सर व्यापारिक आय, उद्योग या सेवा से अर्जित आय को अलग से दिखाते हैं, साथ ही खर्चों को उचित रूप से डिडक्ट करते हैं। एक सही फ़ॉर्म (जैसे ITR‑3 या ITR‑4) चुनना और GST रजिस्ट्रेशन को रिटर्न में जोड़ना, टैक्स लायबिलिटी को संतुलित करने में मदद करता है।

व्यक्तिगत टैक्सदाताओं के लिये भी विशेष नियम हैं। वरिष्ठ नागरिकों को आयकर में अतिरिक्त छूट मिलती है, जबकि घर खरीदने वाले को हाउसिंग लोन डिडक्शन का फायदा होता है। यदि आपका निवेश म्यूचुअल फंड, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) या स्वास्थ्य बीमा में है, तो ये भी कटौती योग्य हैं। इन सबको रिटर्न में सही जगह पर डालना, टैक्स पेमेंट को कम करने का सबसे आसान तरीका है।

इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर आप अपने आयकर रिटर्न को सटीक, समय पर और लाभदायक बना सकते हैं। नीचे आप देखेंगे कि हमारे न्यूज़ फीचर में कौन‑कौन से लेख और गाइड इस विषय पर गहराई से चर्चा करते हैं – चाहे वह नई CBDT डेडलाइन हो, ऑडिट प्रक्रिया की विस्तृत समझ हो, या टैक्स बचत के व्यवहारिक उपाय। पढ़िए और तुरंत अपनी टैक्स फ़ाइलिंग को बेहतर बनाइए।

CBDT ने आयकर रिटर्न दाखिला अंतिम सीमा 16 सितंबर 2025 तक बढ़ाई

CBDT ने आयकर रिटर्न दाखिला अंतिम सीमा 16 सितंबर 2025 तक बढ़ाई

25 सित॰ 2025 द्वारा Hari Gupta

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर रिटर्न दाखिला की अंतिम सीमा को 15 से बढ़ाकर 16 सितंबर 2025 कर दी। यह AY 2025‑26 के लिए दी गई आखिरी लम्बाई है, जो मूल 31 जुलाई से बदल गई थी। नई फ़ॉर्म में बड़े बदलाव, TDS क्रेडिट की देर‑से‑दिखाई, तथा सोशल‑मीडिया पर फेक न्यूज़ को रोकने के लिए विभाग ने 24‑घंटे हेल्पडेस्क चलाया। देर‑से‑दाखिला करने वालों पर सेक्शन 234F के तहत ₹5,000 का जुर्माना लगेगा।