बजट क्या है? सरकार की आय और खर्च का सालाना प्लान। भारत में हर वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) के लिए यह तय होता है कि कहाँ पैसा आएगा और कहाँ खर्च होगा। आप सोच रहे होंगे कि ये प्लान आखिर बनता कैसे है — नीचे सीधे और ठोस कदम दिए गए हैं।
1) तैयारी और दिशा-निर्देश: वित्त मंत्रालय विभागों से साल भर की जरूरतें मांगता है। हर मंत्रालय अपनी अनुमानित आय-खर्च और कार्यक्रम भेजता है। ये बजट रिक्वेस्ट फंडिंग की पहली आपूर्ति होती है।
2) सीमाएँ और समायोजन: वित्त मंत्रालय आवंटन तय करता है — कितने खर्च को मंजूरी मिलेगी और क्या कटौती जरूरी है। यहाँ प्राथमिकताएँ तय होती हैं: कर राजस्व, उधारी, लाभार्थी योजनाएँ और पूंजी निवेश (इन्फ्रास्ट्रक्चर) पर ध्यान।
3) कैबिनेट की मंजूरी: अंतिम संकेतों के साथ बजट ड्राफ्ट कैबिनेट को दिया जाता है। कैबिनेट इसे मंजूर करती है और वित्त मंत्री संसद में पेश करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
4) संसद में प्रस्तुति: वित्त मंत्री बजट भाषण देते हैं और साथ में Finance Bill (कर बदलाव) और Appropriation Bill (खर्च मंजूरी) पेश होते हैं। संसद में चर्चा, प्रश्नोत्तर और मत होने के बाद ये बिल पास होते हैं। चुनावी साल में 'इंटरिम बजट' या 'वोट ऑन अकाउंट' भी आता है।
5) लागू करना और निगरानी: पास होने के बाद साल भर सरकारी विभाग अपने-अपने खर्च करते हैं। साल के बीच जरूरत पर Supplementary बजट भी आ सकता है। लेखा-परिक्षण के बाद CAG (Controller and Auditor General) रिपोर्ट करता है।
• प्रमुख शब्द: राजस्व बनाम पूंजी, चालू खर्च बनाम विकास खर्च, कर राजस्व, घाटा (Fiscal Deficit) और ऋण। ये नंबर समझना जरूरी है।
• समयरेखा: तैयारी से लेकर संसद में प्रस्तुति तक महीनों का काम होता है। अक्सर अंतिम प्रस्ताव फरवरी में पेश कर दिया जाता है ताकि नया वित्त वर्ष अप्रैल में शुरू होते ही लागू हो सके।
• कौन शामिल है: मंत्रालय, विभाग, वित्त सचिव, आर्थिक सलाहकार, कैबिनेट और संसद। नागरिक और संस्थान भी प्री-बजट राय दे सकते हैं—NGO, उद्योग समूह और विशेषज्ञ अपनी मांग भेजते हैं।
• कैसे देखें और समझें: बजट हाइलाइट्स, एक्सेल टेबल और एम्प्लमेंटेशन स्कीम्स पढ़ें। खासकर ‘प्राथमिकता वाले सेक्टर’ और ‘कैपेक्स’ के नंबर पर ध्यान दें — यही असल में जमीन पर बदलाव लाते हैं।
क्या आप सीधे असर डाल सकते हैं? हाँ। अपने लोकप्रतिनिधि को लिखें, सार्वजनिक परामर्श में भाग लें, या पेटीशन और प्री-बजट सुझाव भेजें। बजट सिर्फ सरकारी दस्तावेज नहीं—यह लोगों की ज़िंदगी पर सीधा असर डालता है।
अगर आप रोज़मर्रा के लिए बजट समझना चाहते हैं तो: बजट का सार (हाइलाइट्स) और सेक्टर-वाइज आवंटन पढ़ें; तीन नंबर याद रखें — कुल राजस्व, कुल खर्च और फिस्कल डेफिसिट। इससे आपको पता लगेगा सरकार की प्राथमिकतियाँ कहाँ हैं।
अधिक जानकारी के लिए सरकारी बजट पोर्टल, वित्त मंत्रालय की वेबसाइट और भरोसेमंद मीडिया रिपोर्ट देखें। जुना महल समाचार पर भी बजट से जुड़ी ताजा खबरें और विश्लेषण मिलते रहते हैं।
केंद्रीय बजट 2024 एक महत्वपूर्ण वित्तीय दस्तावेज है, जो सरकार के वार्षिक व्यय और प्राप्तियों का विवरण प्रस्तुत करता है। बजट निर्माण प्रक्रिया छह महीने पहले शुरू होती है और इसमें विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के अधिकारियों, जनता और हितधारकों की भागीदारी होती है।