जब सामाजिक दूरी या जलवायु परिवर्तन की बात आती है, तो भूस्खलन पानी, मिट्टी और चट्टानों का अचानक ढहना, जो अक्सर तीव्र वर्षा या भूकंपीय गतिविधि से प्रेरित होता हैभूमि ढहना आपके स्थानीय समाचार फीड में अक्सर दिखाई देता है। भूस्खलन को समझना आसान नहीं, पर इसे सही जानकारी और सजग तैयारी से कंट्रोल किया जा सकता है।
भूस्खलन का सबसे बड़ा सहचर बाढ़ जमीन पर जल स्तर का अचानक वृद्धि, जो निचली सतह को ढहने पर मजबूर कर देती है है। जब बाढ़ आती है, तो मिट्टी में नमी चढ़ जाती है, जिससे उसकी स्थिरता घटती है और ढहने का जोखिम बढ़ जाता है। साथ ही, भारी बारिश लगातार और तीव्र वर्षा, जो जल संचयन को तेज़ कर देती है भी सीधे भूस्खलन को ट्रिगर कर सकती है। ये तीनों—भूस्खलन, बाढ़ और भारी बारिश—एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, और उनका संयुक्त प्रभाव अक्सर प्राकृतिक आपदा के रूप में सामने आता है।
इसी संदर्भ में प्राकृतिक आपदा भूस्खलन, बाढ़, भूकंप और जंगल की आग जैसी घटनाएँ, जो जीवन, संपत्ति और पर्यावरण को खतरे में डालती हैं की रोकथाम और प्रतिक्रिया के लिए एक प्रभावी चेतावनी प्रणाली सरकारी या निजी संस्थाओं द्वारा जारी किए गए अलर्ट, जो समय पर लोगों को खतरों से बचाने में मदद करते हैं जरूरी है। भारत में मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा जारी किए जाने वाले ऑरेंज और रेड अलर्ट, तुरंत लोगों को चेतावनी देते हैं कि भारी बारिश या बाढ़ के कारण भूस्खलन का जोखिम बढ़ रहा है। इस तरह की प्रणाली के बिना, कई बार लोग अप्रत्याशित ढहाव के शिकार हो जाते हैं, जैसा कि डार्जिलिंग बाढ़‑भूस्खलन और उत्तरकाशी आपदा में देखा गया।
अब आप सोच रहे होंगे कि इन घटनाओं से कैसे बचा जाए? सबसे पहले, स्थानीय चेतावनी को गंभीरता से लें और जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को जल्द से जल्द ऊँचे स्थान पर移 relocate करें। दूसरा, घर की आसपास की ढलानों में उचित जल निकासी व्यवस्था बनाकर मिट्टी की स्थिरता बनाए रखें। तृतीय, सरकारी एजेंसियों द्वारा जारी किए गए जोखिम मानचित्र को देखें और अपने क्षेत्र की भूस्खलन संवेदनशीलता को समझें। इस प्रकार के व्यावहारिक कदमों से न सिर्फ व्यक्तिगत सुरक्षा बढ़ती है, बल्कि समुदाय की सामूहिक जवाबदेही भी मजबूत होती है।
आगे पढ़ने पर आप पाएंगे कि हमारे संग्रह में किस तरह की खबरें और विश्लेषण शामिल हैं: डार्जिलिंग में बाढ़‑भूस्खलन की ताज़ा रिपोर्ट, हिमाचल में ऑरेंज अलर्ट की त्वरित अपडेट, तथा राष्ट्रीय स्तर पर चेतावनी प्रणाली की प्रभावशीलता पर विस्तृत जाँच। इन लेखों को पढ़कर आप न सिर्फ हाल की घटनाओं की पूरी तस्वीर देख पाएँगे, बल्कि भविष्य में ऐसे आपदाओं से बचने के लिए तैयार भी हो सकेंगे। अब नीचे दी गई सूची में उन सभी समाचारों और विश्लेषणों को देखिए जो भूस्खलन से जुड़े विभिन्न पहलुओं को कवर करती हैं।
दार्जिलिंग में 23 मौतों के साथ भूस्खलन, मैमाटा बनर्जी ने 24x7 नियंत्रण कक्ष स्थापित किया, जबकि NDRF और स्थानीय सरकार सहायता हेतु जुटी।