दंड – नवीनतम खबरें और विश्लेषण

जब हम दंड, किसी अपराध या नियम‑उल्लंघन के बाद राज्य या संस्था द्वारा लगाया गया आर्थिक या कारावास‑आधारित प्रतिबंध. Also known as सज़ा, it serves as deterrent and corrective measure. तो उसकी जड़ें क़ानून, वह सिस्टम जो अधिकार, दायित्व और दंड‑प्रक्रिया को निर्धारित करता है में मिलती हैं। आम तौर पर अपराध, ऐसी हर कार्रवाई जो सार्वजनिक या निजी नियम का उल्लंघन करती है के साथ जुड़ जाता है, जिससे जुर्माना, जेल या सामाजिक बहिष्कार जैसे दंड लागू होते हैं। भारत में दंड के रूप‑रंग विविध हैं – सरकारी फॉर्म से लेकर हाई‑कोर्ट के फ़ैसले तक, हर स्तर पर सबूत, सुनवाई और अपील का क्रम रहता है।

हमारी पोस्ट‑लिस्ट में हालिया दंड‑सम्बन्धी घटनाओं की भरमार है। उदाहरण के तौर पर, बिहार के टॉप‑10 अपराधी अरुण यादव की गिरफ्तारी ने दिखाया कि अपराधी को जल्दी‑जल्दी क़ानून के तहत जुर्माना या कारावास जैसा दंड मिल सकता है। इसी तरह, नोएडा में दशहरा ट्रैफिक डायवर्जन पर लगाए गए प्लास्टिक दंड और अलर्ट, तथा महाराष्ट्र में तेज़ बारिश के दौरान इमरजेंसी अलर्ट का पुनः‑जारी होना, यह सब दिखाते हैं कि दंड सिर्फ़ जेल‑भवन तक सीमित नहीं, बल्कि प्रशासनिक उपायों में भी परिलक्षित होता है।

दंड के प्रमुख पहलू और उनका असर

पहला पहलू है आर्थिक जुर्माना – जैसे कि ट्रैफिक उल्लंघन, पर्यावरण नियम या आयकर ऑडिट में देर से फाइलिंग के कारण लागू होने वाला दंड। हम देखेंगे कि CBDT, केंद्रीय आयकर बोर्ड जो आयकर ऑडिट रिपोर्ट की अंतिम तिथि तय करता है ने 2025 में रिपोर्ट दाखिल करने की सीमा बढ़ा दी, जिससे कई कंपनियों को अतिरिक्त जुर्माने से बचने का मौका मिला। दूसरा पहलू है सज़ा‑आधारित दंड – जैसे कि अपराधी को जेल या प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश से रोकना। जेनाब, बिहार पुलिस कॉन्स्टेबल परीक्षा में फ़ीस व समय‑सीमा की जानकारी से जुड़ी दंड‑रोकथाम भी इस श्रेणी में आती है। तीसरा है सामाजिक दंड – वायरल सोशल मीडिया पोस्ट या सार्वजनिक व्यक्तियों के खिलाफ सार्वजनिक नाराज़गी, जिसके परिणामस्वरूप इमेज़ी नुकसान या विज्ञापन बॉयकॉट हो सकता है। यह दिखाता है कि दंड का दायरा कानूनी, आर्थिक और सामाजिक सभी आयामों में फैला है।

इन विभिन्न पहलुओं को समझने के बाद, आप हमारी सूची में मौजूद हर लेख को एक स्पष्ट लेंस से देख पाएंगे। चाहे वह पेशेवर खिलाड़ियों के लिए दंड‑नीति हो, या छोटे‑छोटे व्यवसायों पर आयकर दंड का प्रभाव, या फिर ट्रैफिक उल्लंघन से जुड़े जुर्माने – सब कुछ यहाँ एक ही जगह जुड़ा हुआ है। आगे की सूची में आप पाएंगे कि किस तरह कोर्ट ने दंड कम किया, किन मामलों में दंड बढ़ा, और कौन‑सी नई नीतियों ने दंड‑प्रक्रिया को बदल दिया। यह ज्ञान न सिर्फ़ जानकारी देता है, बल्कि आपको अपने अधिकारों और दायित्वों को बेहतर समझने में मदद करेगा।

अब आप तैयार हैं उन लेखों को पढ़ने के लिए जो दंड के नियम, केस‑स्टडी और नवीनतम अपडेट को कवर करते हैं। नीचे की सूची में हर पोस्ट एक विशिष्ट दंड‑परिदृश्य को उजागर करती है, जिससे आप अपने सवालों के जवाब भी पा सकेंगे।

CBDT ने आयकर रिटर्न दाखिला अंतिम सीमा 16 सितंबर 2025 तक बढ़ाई

CBDT ने आयकर रिटर्न दाखिला अंतिम सीमा 16 सितंबर 2025 तक बढ़ाई

25 सित॰ 2025 द्वारा Hari Gupta

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर रिटर्न दाखिला की अंतिम सीमा को 15 से बढ़ाकर 16 सितंबर 2025 कर दी। यह AY 2025‑26 के लिए दी गई आखिरी लम्बाई है, जो मूल 31 जुलाई से बदल गई थी। नई फ़ॉर्म में बड़े बदलाव, TDS क्रेडिट की देर‑से‑दिखाई, तथा सोशल‑मीडिया पर फेक न्यूज़ को रोकने के लिए विभाग ने 24‑घंटे हेल्पडेस्क चलाया। देर‑से‑दाखिला करने वालों पर सेक्शन 234F के तहत ₹5,000 का जुर्माना लगेगा।