एग्जिट पोल यानी चुनाव के बाद मतदान केंद्रों से निकलने वाले वोटर्स से तुरंत पूछना कि उन्होंने किसे वोट दिया। ये तुरंत मिले जवाबों का सार होता है ताकि चुनाव के रुझान का अंदाज़ा लगाया जा सके। पर क्या एग्जिट पोल हमेशा सही होते हैं? चलिए सरल भाषा में जानते हैं कि ये कैसे काम करते हैं और इन्हें पढ़ते वक्त क्या देखें।
पहला कदम होता है सर्वे योजना: किस इलाके में कितने मतदान केंद्र और कितने लोग पूछे जाएँ। सर्वे एजेंसी रैंडम तरीके से कुछ बूथ चुनती है और हर बूथ पर अलग-अलग समय पर लोगों से सवाल करती है। अक्सर एजेंसी वोटर की उम्र, लिंग और सामाजिक पृष्ठभूमि भी नोट करती है ताकि नमूना संतुलित रहे।
नमूना साइज और प्रतिनिधित्व सबसे बड़ी बात है। अगर सिर्फ कुछ ही बूथ चुने गए हों या शाम के समय ही सर्वे हुआ हो तो परिणाम भटक सकते हैं। इसी लिए अच्छे एग्जिट पोल में नमूना बड़ा और इलाके का प्रतिनिधित्व बराबर होता है।
1) एक ही एजेंसी पर भरोसा मत कीजिए: कई एजेंसियों के मिले-जुले रुझान देखें। अगर ज़्यादातर सर्वे एक जैसा दिखाएँ तो यह ज्यादा भरोसेमंद माना जा सकता है।
2) मार्जिन ऑफ एरर पर ध्यान दें: हर सर्वे में गलती की गुंजाइश होती है। यदि रिपोर्ट कहती है कि पार्टी A को 40% और पार्टी B को 38% मिलेगा, तो अंतर इतना छोटा है कि असल नतीजा उल्टा भी हो सकता है।
3) क्षेत्र और सीट-समूह देखें, केवल कुल प्रतिशत मत ही सब कुछ नहीं कहते। कुछ जगहों पर स्थानीय फैक्टर या उम्मीदवार की लोकप्रियता परिणाम पलट सकती है।
4) एग्जिट पोल को खबर समझिए, पक्की भविष्यवाणी नहीं। मतदान के बाद की आकलन रिपोर्टें वोटों के नमूने पर आधारित अनुमान हैं — असल काउंटिंग हमेशा निर्णायक होती है।
एग्जिट पोल का प्रभाव भी बड़ा होता है: मीडिया हेडलाइन, बाजार रिएक्शन और पार्टियों की रणनीति पर असर पड़ सकता है। पर याद रखिए कि कभी-कभी एजेंसियां पुराना डेटा या गलत नमूना इस्तेमाल कर गलत अनुमान दे देती हैं। इसलिए खबर पढ़ते समय स्रोत, नमूना साइज और methodology की छोटी-छोटी जानकारियाँ देखना जरूरी है।
अगर आप चुनाव को गंभीरता से देख रहे हैं तो एग्जिट पोल को संकेत के रूप में लें, अंतिम सत्य काउंटिंग ही बताएगी कि जनता ने क्या चुना। जुना महल समाचार पर हम एग्जिट पोल और असली वोट काउंट की ताज़ा रिपोर्ट लेकर आते हैं — सीधा और साफ-सुथरा कवरेज, बिना शोर-शराबे के।
एक आखिरी टिप: सोशल मीडिया पर छपी हर एग्जिट पोल रिपोर्ट को बिना स्रोत जांचे शेयर न करें। सटीक जानकारी के लिए आधिकारिक एजेंसियों और भरोसेमंद समाचार संगठनों की रिपोर्ट पर ध्यान दें।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक अपने पारंपरिक विधानसभा सीट हिंजिली और नवनिर्वाचित कांटाबांजी से पुन: निर्वाचित होने की कोशिश कर रहे हैं। इस बार एग्जिट पोल ने ओडिशा विधानसभा चुनावों के परिणाम की भविष्यवाणी की है, जिससे बीजेपी की जीत की उम्मीद जताई जा रही है। 147 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम 74 सीटें चाहिए।