हर घर स्वदेशी – Indian homes embracing Swadeshi

जब बात हर घर स्वदेशी, एक आंदोलन है जो भारतीय परिवारों को घरेलू स्तर पर स्वदेशी उत्पाद अपनाने के लिए प्रेरित करता है, स्वदेशी जीवनशैली की होती है, तो हमें समझना चाहिए कि यह सिर्फ खरीद‑दारी नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय योगदान का समुच्चय है। इसी संदर्भ में स्वदेशी उत्पाद, भारत में निर्मित कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य और घरेलू सामान की भूमिका अहम है; ये उत्पाद रोजगार सृजन (रोजगार, स्थानीय कार्यशालाओं और कारखानों में नई नौकरियां) और तकनीकी आत्मनिर्भरता को तेज़ करते हैं। साथ ही मेक इन इंडिया, सरकार की नीति जो घरेलू निर्माण को प्रोत्साहित करती है इस गति को नीति‑स्तर पर मजबूत बनाती है, और स्थानीय उत्पादन, निकटतम बाजारों में उपलब्ध वस्तुएँ उपभोक्ता को त्वरित पहुंच और कम कार्बन फुटप्रिंट प्रदान करती है। इन सभी तत्वों का सम्मिलित प्रभाव हमें यह समझाता है कि हर घर स्वदेशी एक सतत भविष्य की नींव कैसे रखता है।

स्वदेशी खरीदारी के ठोस फायदे

अभी के समय में खुदरा रैंकिंग दिखाती है कि भारतीय ब्रांडों की मांग हर साल दोगुनी हो रही है। क्रिकेट खिलाड़ी यशस्वी जैसवाल की पिच पर बने जर्सी, जो पूरी तरह भारतीय कपड़े से तैयार होते हैं, उन्होंने न केवल खेल के दर्शकों के दिल जीते, बल्कि ‘भारतीय बनाम विदेशी’ की नई कहानी लिखी। इसी तरह, हालिया बीएसपीएचसीएल की भर्ती विज्ञापन में बताई गई सॉफ़्टवेयर सिस्टम पूरी तरह भारत में विकसित हो रहे हैं, जिससे आईटी बुनियादी ढाँचा मजबूत हो रहा है। जब आप ऑरेंज अलर्ट जैसी मौसम चेतावनी ऐप्स को अपना मोबाइल पर देखते हैं, तो आप नहीं जानते कि बैक‑एंड सर्वर भारत में स्थित डेटासेंटर पर चलता है—यह भी स्वदेशी तकनीक का एक छोटा‑सा उदाहरण है। ये केस स्टडीज यह सिद्ध करती हैं कि स्वदेशी उत्पाद सिर्फ उपभोक्ता वस्तु नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, रोजगार और तकनीकी स्वतंत्रता का तत्र हैं। एक घर में अगर आप स्थानीय किसान का दाल, भारत में बने सैंट्रल एसी, और भारतीय निर्मित मोबाइल केस इस्तेमाल करें, तो आप रोज़मर्रा की लागत कम कर सकते हैं, साथ ही पर्यावरणीय प्रभाव घटा सकते हैं। इस तरह के छोटे‑छोटे कदमों से पूरे देश की आर्थिक ताने‑बाने में मजबूती आती है, और भारत को विश्व बाजार में एक भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित करता है।

अब सवाल यह उठता है—हर घर स्वदेशी को कैसे शुरू किया जाए? सबसे पहले, अपने दैनिक जरूरतों की सूची बनाएं और देखिए कि कौन‑सी वस्तुएँ स्थानीय मार्केट में उपलब्ध हैं। फिर, ‘मेक इन इंडिया’ लेबल वाले ब्रांडों को प्राथमिकता दें, क्योंकि उनका उत्पादन भारत में ही होता है और अक्सर वह अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करता है। दूसरा कदम—ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर ‘स्वदेशी’ टैग्ड प्रोडक्ट खोजें; कई ई‑कॉमर्स साइट्स अब फ़िल्टर विकल्प देते हैं जो सिर्फ भारतीय निर्माताओं को दिखाते हैं। तीसरा, सामुदायिक समूहों में जुड़ें—स्थानीय मॉनिटर्स, फेसबुक ग्रुप या व्हाट्सएप चैनल, जहाँ लोग अपने अनुभव साझा करते हैं और विश्वसनीय विक्रेताओं की सिफ़ारिश करते हैं। इन तीन आसान चरणों से घर में स्वदेशी की लहर शुरू हो जाती है, और आप देखेंगे कि खर्च घटता है, क्वालिटी बढ़ती है, और भारत की प्रगति में आपका योगदान भी। नीचे आप इस टैग से जुड़े विभिन्न लेखो‑समाचार देखेंगे, जिनमें खेल, राजनिति, तकनीक और प्राकृतिक आपदाओं से जुड़ी जानकारी मिलती है, जो सब ‘स्वदेशी’ की भूमिका को विभिन्न पहलुओं से उजागर करती है। पढ़ते रहिए और अपने घर को स्वदेशी बनाने के नए‑नए तरीकों को अपनाइए।

आंतरिक मामलों के मंत्री अमित शाह ने ज़ोहो मेल अपनाया: स्वदेशी डिजिटल कदम

आंतरिक मामलों के मंत्री अमित शाह ने ज़ोहो मेल अपनाया: स्वदेशी डिजिटल कदम

9 अक्तू॰ 2025 द्वारा Hari Gupta

अमित शाह ने ज़ोहो मेल अपनाया, जिससे डेटा सुरक्षा बढ़ेगी और हर घर स्वदेशी डिजिटल लक्ष्य तेज़ हो जाएगा।