जब हम ITR दाखिला सीमा, वर्ष के अंत तक व्यक्तिगत या व्यापारिक आय के आधार पर आयकर रिटर्न फ़ाइल करने की अधिकतम आय की सीमा. इसे अक्सर टैक्स डेडलाइन लिमिट कहा जाता है, तो यह समझना ज़रूरी है कि यह सीमा किस पर निर्भर करती है। इस संदर्भ में CBDT, सेंटरल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज़, जो आयकर नियम बनाता और अपडेट करता है की भूमिका अहम है। साथ ही आयकर ऑडिट रिपोर्ट, वित्तीय वर्ष के अंत में आयकर विभाग द्वारा जांच के बाद दाखिल की जाने वाली रिपोर्ट और आयकर रिटर्न, वित्तीय वर्ष की आय की घोषणा करने वाला फॉर्म भी इस सीमा से जुड़े हैं। अंत में टैक्स रिटर्न डेडलाइन, रिटर्न दाखिल करने की नियत तिथि निर्धारित करती है कि कब‑कब फ़ाइल करना होगा।
पहला सत्य यह है कि ITR दाखिला सीमा केवल एक संख्या नहीं, बल्कि कई नियमों का संगम है। अगर आप वेतनभोगी हैं तो आपका फॉर्म 16 और अन्य आय के दस्तावेजों के आधार पर तय होता है, जबकि फ्रीलांसर या व्यापारिक व्यक्ति के लिए टर्नओवर, प्रोफ़िट और सेविंग्स का मिश्रण सीमा निर्धारित करता है। उदाहरण के तौर पर, 2024‑25 वित्तीय वर्ष में व्यक्तिगत टैक्सपेयर के लिए 7 लाख रुपये से ऊपर की आय पर ITR‑1 या ITR‑2 फ़ॉर्म बहु‑आय स्रोत वाले लोगों को भेदित करता है। इस कारण, बहुत से युवा करदाता सीमा को लेकर अनिश्चित होते हैं और देर‑से‑फ़ाइल करने की सुभावना में फँस जाते हैं।
सीबीडीटी ने 2025 में आयकर ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दी। यह बदलाव बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण कई व्यवसायियों को राहत देने के लिए किया गया था। अगर आप अपने व्यावसायिक खातों का ऑडिट कराते हैं, तो अब आपके पास अतिरिक्त एक महीना है ताकि आप सही‑सही आंकड़े दाखिल कर सकें। इसी तरह, आयकर रिटर्न की सामान्य डेडलाइन 31 जुलाई को अक्सर बढ़कर 30 सितंबर तक कर दी जाती है, विशेषकर जब COVID‑19 या प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों की बात आती है। यह लचीलापन छोटे‑बड़े दोनों करदाताओं को देर‑से‑फ़ाइल करने और पेनाल्टी से बचने में मदद करता है।
दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है टैक्स कटौती और छूट का ध्यान रखना। सेक्शन 80C, 80D, 80G जैसी छूटें आय को घटा देती हैं और बदले में ITR दाखिला सीमा भी घट जाती है। अगर आप पेंशन, प्रीमियम या हेल्थ इन्श्योरेंस में निवेश करते हैं, तो इनका सही‑सही उल्लेख आपके रिटर्न को कम कर सकता है और सीमा से नीचे रहना आसान बनाता है। लेकिन कई बार टैक्सपेयर्स इन कटौतियों को भूल जाते हैं, जिससे रिपोर्ट में गलती हो जाती है और बाद में एडजस्टमेंट या नोटिस का सामना करना पड़ता है।
तीसरा बिंदु है डिजिटल फाइलिंग का बढ़ता महत्व। ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल अब मोबाइल‑फ्रेंडली और यूज़र‑इंट्यूटिव है, जिससे आप आसानी से अपने आयकर रिटर्न को भर और जमा कर सकते हैं। अगर आप पहले फ़ॉर्म‑आधारित फ़ाइलिंग करते थे, तो अब आप सीधे पोर्टल पर सभी दस्तावेज़ अपलोड कर सकते हैं, और रीयल‑टाइम वैलिडेशन से त्रुटियों को कम किया जा सकता है। इस सुविधा ने कई बार देर‑से‑फ़ाइल करने वाले लोगों को समय पर रिटर्न जमा करने में मदद की है, खासकर जब डेडलाइन करीब आती है।
अब बात करते हैं कुछ आम गलतियों की, जिन्हें आप बच सकते हैं। सबसे बड़ी गलती होती है आय की अधूरा उल्लेख। अगर आपके पास किराये की आय, शेयरों से लाभ या फ्रीलांस बिलिंग है, तो इन्हें सभी फॉर्म में शामिल करना चाहिए। दूसरा, बैंक स्टेटमेंट में दिखने वाले साल‑अन्त के लेन‑देन को फ़ॉर्म में न डालना अक्सर परेशानी पैदा करता है। तीसरा, आयकर रिटर्न में गलत बैंक अकाउंट नंबर देना, जिससे रिफंड नहीं मिलता या रिफंड में देरी होती है। इन छोटी‑छोटी बातों को ध्यान में रखकर आप अपनी ITR दाखिला सीमा से जुड़ी समस्याओं से बच सकते हैं।
क्या आप जानते हैं कि कई बार आयकर विभाग केवल सीमा पार होने पर ही नहीं, बल्कि दस्तावेज़ में असंगतियों पर भी नोटिस भेजता है? इसलिए रिटर्न भरते समय सभी मूल दस्तावेज़ को पास रखिए और डिजिटल कॉपी को सुरक्षित फ़ोल्डर में रखें। अगर कोई चैक्का या डाटा मिसमैच दिखता है, तो तुरंत आयकर पोर्टल में सुधार का विकल्प चुनें। इस तरह आप बड़ा पेनाल्टी या केस से बच सकते हैं।
आजकल छोटे‑बड़े व्यापारियों के लिए ITR दाखिला सीमा का सही‑सही अंदाज़ा लगाना आवश्यक है, क्योंकि यह न केवल टैक्स की देनदारी तय करता है, बल्कि वित्तीय योजना और ऋण आवेदन में भी भूमिका निभाता है। बैंक अक्सर आपकी आयकर रिटर्न को लोन ऑफर करने के लिए देखते हैं, इसलिए साफ़‑सुथरा फ़ाइलिंग आपके वित्तीय भविष्य को मजबूत बनाता है।
भविष्य में अगर कोई नया कर नियम या सीमा परिवर्तन आता है, तो इसे जल्द‑से‑जल्द अपडेट करना ही बेहतर रहेगा। एक छोटा सा ट्रैकिंग शेड्यूल बनाइए, जिसमें ट्रेजेक्टरी डेट, आय स्रोत और छूट की सूची हो। इस तरह आप हर साल के लिए एक ही प्रक्रिया दोहराते हुए समय बचा सकते हैं और टैक्स पैकेज को बेहतर बना सकते हैं।
ऊपर बताए गए बिंदुओं को समझकर आप न केवल अपनी ITR दाखिला सीमा को सही तरह से निर्धारित कर पाएंगे, बल्कि आगामी वित्तीय वर्ष में आयकर रिटर्न फाइल करने की तैयारी भी आसान हो जाएगी। अब नीचे मिलेगा विभिन्न लेखों का एक संग्रह, जो सीमा, ऑडिट रिपोर्ट, डेडलाइन, और डिजिटल फ़ाइलिंग से जुड़ी विस्तृत जानकारी देता है। इन लेखों को पढ़कर आप अपनी टैक्स प्लानिंग को और भी सटीक बना सकते हैं।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर रिटर्न दाखिला की अंतिम सीमा को 15 से बढ़ाकर 16 सितंबर 2025 कर दी। यह AY 2025‑26 के लिए दी गई आखिरी लम्बाई है, जो मूल 31 जुलाई से बदल गई थी। नई फ़ॉर्म में बड़े बदलाव, TDS क्रेडिट की देर‑से‑दिखाई, तथा सोशल‑मीडिया पर फेक न्यूज़ को रोकने के लिए विभाग ने 24‑घंटे हेल्पडेस्क चलाया। देर‑से‑दाखिला करने वालों पर सेक्शन 234F के तहत ₹5,000 का जुर्माना लगेगा।