क्या आपने पाया है कि महीने दर महीने वही पैसे कम सामान खरीद पाते हैं? यही मुद्रास्फीति है — कीमतों के सामान्य तौर पर बढ़ने की प्रक्रिया। जब किराना, ईंधन, बिजली या सेवाओं की कीमतें बढ़ती हैं तो आपकी पर्स की खरीदने की शक्ति घट जाती है।
मुद्रास्फीति को आमतौर पर Consumer Price Index (CPI) और Wholesale Price Index (WPI) से मापा जाता है। CPI घरेलू उपभोक्ता स्तर पर असर दिखाता है और WPI थोक स्तर पर कीमतों की दिशा बताता है। केंद्रीय बैंक (RBI) इन्हीं संकेतों को देखकर नीतिगत दरें तय करता है।
कुछ सरल कारण जो आप रोज़मर्रा में महसूस कर सकते हैं:
- मांग बढ़ना: अगर लोगों की खरीदने की इच्छा और क्षमता बढ़े तो कीमतें ऊपर जाती हैं।
- आपूर्ति संकट: बुखार जैसे मौसम या सामान की कमी से कीमतें तेज़ी से बढ़ सकती हैं।
- इनपुट लागत का बढ़ना: बिजली, ईंधन या मजदूरी महँगी हुई तो उत्पादन लागत बढ़ती है और कीमतें बढ़ती हैं।
- मुद्रा आपूर्ति और नीति: जब बाजार में ज्यादा पैसा घूमता है और उत्पादन वही रहता है, तो भी महंगाई बढ़ती है।
असर साफ है — बचत की रियल वैल्यू घटती है। जो फिक्स्ड इनकम पर हैं (जैसे FD), उनकी खरीदने की शक्ति कम हो सकती है। पर कुछ आसान कदम हैं जिनसे आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं:
- बजट और खर्च पहचानें: हर महीने बड़े खर्चों और गैरज़रूरी खर्चों को अलग करें। छोटी-छोटी कटौती लम्बे समय में मदद करती हैं।
- emergency fund बनाएं: 3–6 महीने का खर्च नकद में या लिक्विड फंड में रखें ताकि अचानक कीमतों के झटकों से बचाव हो।
- निवेश विविधता (Diversify): इन्फ्लेशन के समय इक्विटी और रियल एसेट्स (जैसे मकान, जमीन) आम तौर पर बेहतर प्रदर्शन करते हैं। SIP से इक्विटी में नियमित निवेश करें।
- इन्फ्लेशन-लिंक्ड निवेश: अगर उपलब्ध हैं तो इन्फ्लेशन-लिंक्ड बॉन्ड या ऐसे म्युचुअल फंड चुनें जो मुद्रास्फीति को हेयर करते हैं।
- फिक्स्ड डिपॉज़िट सोच-समझकर: FD लें पर मंथली/क्वार्टरली रिव्यू करें; जरूरत पड़े तो छोटे टेन्योर वाले चुनें ताकि बढ़ती दरों का लाभ उठाया जा सके।
- खर्चों को लॉक करें: लंबी अवधि के लिए जरूरी सेवाओं की सब्सक्रिप्शन व जोड़ियों पर छूट या फ़िक्स्ड रेट वाले ओफ़र देखिए।
- कमाई बढ़ाइए: नई स्किल सीख कर सैलरी बढ़ाने या पार्ट-टाइम से अतिरिक्त आय जोड़ना मुद्रास्फीति से सबसे सीधा बचाव है।
मुद्रास्फीति रोज़मर्रा की जिंदगी को प्रभावित करती है, पर समझदारी से प्लान करने पर आप इसकी मार कम कर सकते हैं। जुना महल समाचार पर हम आर्थिक खबरों और नीतियों की ताज़ा जानकारी लाते हैं—रोज़ाना अपडेट के लिए हमारी साइट देखते रहें।
जून 12, 2023 को भारत में सोने की कीमतें जून कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) डेटा के रिलीज से पहले बढ़ गईं। यह डेटा सोने की कीमतों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा, क्योंकि यह ब्याज दरों और मुद्रास्फीति पर असर डालता है। निवेशकों को सोने में निवेश की रणनीति के बारे में सलाह दी जा रही है।