मुक्त व्यापार समझौता यानी FTA दो या अधिक देशों के बीच किया गया ऐसा समझौता है जिसमें कई उत्पादों और सेवाओं पर आयात‑निर्यात के कर (टैरिफ) घटाए या हटा दिए जाते हैं। सवाल यही है — इससे आपका बिजनेस, किसान या उपभोक्ता कैसे प्रभावित होगा? आसान भाषा में बताता हूँ, सीधा और उपयोगी।
पहला — एक्सपोर्ट के नए बाजार खुलते हैं। जब टैरिफ कम होते हैं तो भारतीय कंपनियों के लिए वहां के बाजारों में पहुंच सस्ता और आसान हो जाता है। दूसरा — उपभोक्ताओं को सस्ता माल मिलता है और प्रतिस्पर्धा बढ़ती है, जिससे गुणवत्ता भी सुधरती है। तीसरा — कंपनियाँ अपने आउटसोर्सिंग और सप्लाई चेन को बेहतर बनाकर लागत घटा सकती हैं।
इन फायदे सीधे नजर आते हैं, पर हर FTA हर सेक्टर के लिए अच्छा नहीं होता। कृषि, छोटे उद्योग या कुछ संवेदनशील सेक्टरों पर दबाव पड़ सकता है।
1) टैरिफ शेड्यूल देखें: नोट कर लें कि आपके उत्पाद पर कितने साल में कितनी छूट मिलेगी। कभी-कभी चरणबद्ध कटौती होती है।
2) नियम‑उत्पत्ति (Rules of Origin): यह सबसे अहम है। केवल वही माल लाभ पाता है जो समझौते की शर्तों के अनुसार "मेड इन" माना जाए।
3) सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन लें: व्यापार करते समय कस्टम्स में ये डॉक्युमेंट चाहिए होता है। बिना इसके प्रिफरेंशियल टैरिफ नहीं मिलेगा।
4) गुणवत्ता और मानक समझें: कई बाजार में मानक, सर्टिफिकेशन और लेबलिंग अनिवार्य होते हैं। पहले से सुधार कर लें।
5) पार्टनर चुनें: लोकल डिस्ट्रीब्यूटर या एजेंट के साथ मिलकर मार्केट एंट्री की रणनीति बनाएं। सरकार के एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल मदद कर सकते हैं।
6) लागत‑लाभ का हिसाब लगाएं: कभी-कभी टैरिफ छूट होती सही, पर लोकल लॉजिस्टिक्स या रिटर्न कस्टम्स खर्च से फायदा कम हो सकता है।
नुकसान भी समझें: घरेलू उद्योगों पर इम्पोर्ट प्रेशर, राजस्व में कमी और नौकरी पर असर कुछ सामान्य चिंताएँ हैं। इसलिए FTAs में सुरक्षात्मक क्लॉज, संक्रमणकालीन अवधि और सेवाओं पर अलग पॉलिसी रखी जाती है।
एक और जरूरी बात: FTA की शर्तें सिर्फ टैरिफ तक सीमित नहीं रहतीं — सर्विसेज, निवेश, सरकारी खरीद और बौद्धिक संपदा पर भी बिंदु होते हैं। पढ़ें या एक्सपर्ट से सलाह लें।
अंत में, यदि आप व्यापार करते हैं तो किसी भी FTA को अवसर के रूप में देखें, पर तैयारी ज़रूरी है। प्रोडक्ट‑लाइन, सप्लाई‑चेन और मार्केट‑रिसर्च से शुरुआत करें। सरकारी पोर्टल और एक्सपोर्ट काउंसिल आसानी से मदद देते हैं — उनसे संपर्क कर के आप फायदों को जल्दी पकड़ सकते हैं।
भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की बातचीत आठ महीने बाद फिर शुरू हुई। बातचीत में स्पिरिट्स, सेवाएं और पेशेवरों के लिए फायदों पर जोर रहा। १३ दौर की चर्चा के बाद इस ऐतिहासिक समझौते को अंतिम रूप दिया गया।