पर्यटन विकास: भारत के टूरिस्ट गंतव्यों और स्थानीय अर्थव्यवस्था का भविष्य

जब बात आती है पर्यटन विकास, एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके यात्रियों के लिए सुविधाएँ बनाई जाती हैं और उनके माध्यम से आर्थिक विकास होता है. यह भी जाना जाता है टूरिस्ट इंडस्ट्री, यह सिर्फ होटल और बसों की बात नहीं, बल्कि एक ऐसा जीवन बनाने का संकल्प है जहाँ एक गाँव की बुढ़िया भी अपने हाथ से बुने हुए कपड़े बेचकर अपने बच्चों की पढ़ाई करा सके।

इसके लिए टूरिस्ट गंतव्य, वे स्थान जहाँ यात्री आते हैं—चाहे वो दार्जिलिंग की बर्फ़बारी हो या नागालैंड के जीवन शैली का अनुभव. यह भी जाना जाता है पर्यटन स्थल, जो बिना बुनियादी ढांचे के अधूरे हैं। अगर सड़क नहीं है, पानी नहीं है, या टूरिस्ट के लिए स्वच्छ शौचालय नहीं है, तो ये जगहें सिर्फ फोटो में ही खूबसूरत लगेंगी। यही कारण है कि राज्य सरकारें, जो पर्यटन को अपनी योजनाओं का हिस्सा बनाती हैं—जैसे पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग या बिहार का बिहार स्टेट टूरिज़म. यह भी जाना जाता है स्थानीय शासन, उनके फैसले ही ये तय करते हैं कि कोई गाँव आगे बढ़ेगा या भूल जायेगा।

और यहाँ एक बात जो लोग भूल जाते हैं—पर्यटन बुनियादी ढांचा, जिसमें सड़क, बिजली, इंटरनेट, और सुरक्षा शामिल हैं, ये सब वो चीज़ें हैं जो टूरिस्ट को लाती हैं और स्थानीय लोगों को रोजगार देती हैं. यह भी जाना जाता है आधारभूत सुविधाएँ, जो बिना इनके कोई भी टूरिस्ट गंतव्य जीवित नहीं रह सकता। दार्जिलिंग में बाढ़ के बाद जब टूरिस्ट नहीं आए, तो वहाँ के गाइड, होटल मालिक, और छोटे दुकानदार सब बेरोजगार हो गए। लेकिन जब राहत टीम आई और सड़कें ठीक हुईं, तो फिर से लोग आने लगे।

यही वजह है कि जुना महल समाचार पर आपको पर्यटन विकास के बारे में वो खबरें मिलेंगी जो आम तौर पर नहीं दिखतीं—जहाँ एक छोटे से गाँव के लोगों ने अपने घरों को बदलकर होमस्टे बना दिया, जहाँ एक बिहार की लड़की ने अपनी नानी के रेसिपी से टूरिस्ट को खिलाया, और जहाँ एक नागालैंड के गाँव ने अपनी पारंपरिक नृत्य प्रथाओं को बचाते हुए टूरिस्ट को आमंत्रित किया। ये सब कहानियाँ बताती हैं कि पर्यटन विकास का मतलब सिर्फ बड़े होटल या बड़े प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि छोटे-छोटे लोगों की जिंदगी बदलना है।

गंगटोक में 13वां अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट, उत्तर-पूर्व को 'भारत की अष्टलक्ष्मी' के रूप में प्रस्तुत करेगा

गंगटोक में 13वां अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट, उत्तर-पूर्व को 'भारत की अष्टलक्ष्मी' के रूप में प्रस्तुत करेगा

25 नव॰ 2025 द्वारा Hari Gupta

13वां अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट 13-16 नवंबर 2025 को गंगटोक में आयोजित होगा, जहां केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत उद्घाटन करेंगे। उत्तर-पूर्व को 'भारत की अष्टलक्ष्मी' के रूप में प्रस्तुत करने का यह अवसर ईको-टूरिज़्म और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देगा।