जब बात आती है प्रकाश मेहरा, भारतीय समाचार और राजनीतिक विश्लेषण के एक प्रमुख नाम की, तो आपके मन में एक सवाल उठता है — ये व्यक्ति केवल एक पत्रकार हैं या फिर एक ऐसा चेहरा जो देश की राजनीति को ढाल रहा है? प्रकाश मेहरा का नाम उन लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है जो भारत की राजनीति को गहराई से समझना चाहते हैं। वे सिर्फ खबरें नहीं लिखते, बल्कि उनके पीछे के कारण, राजनीतिक खेल और निर्णयों के असर को उजागर करते हैं। ये वही ताकत है जिसने उन्हें जुना महल समाचार जैसे प्लेटफॉर्म पर एक अलग पहचान दी है।
उनकी रिपोर्टिंग का फोकस अक्सर भारतीय राजनीति, देश के सरकारी निर्णयों, नेताओं की रणनीति और जनता की प्रतिक्रिया पर केंद्रित होता है। जब कोई मंत्री एक नया निर्णय लेता है, या कोई नेता अपने विरोधियों को घेरता है, तो प्रकाश मेहरा उसके पीछे के तार्किक आधार को उखाड़ फेंकते हैं। उनकी लेखन शैली भी अलग है — न तो वे बहुत ज्यादा भावुक होते हैं, न ही बहुत शास्त्रीय। वे वही बोलते हैं जो आम आदमी समझ सके। इसी वजह से उनके लेख उन लोगों के लिए बहुत ज्यादा पसंद किए जाते हैं जो सिर्फ खबर नहीं, बल्कि उसका मतलब जानना चाहते हैं।
उनके साथ जुड़ी खबरें अक्सर समाचार पत्रकार, जो राजनीति को सच्चाई के साथ दर्शाते हैं के रूप में भी उभरती हैं। वे किसी भी पार्टी के लिए नहीं लिखते, बल्कि उन तथ्यों को उजागर करते हैं जो अक्सर बाहरी नजरों से छिप जाते हैं। ये वही निष्पक्षता है जिसने उन्हें भरोसा और सम्मान दोनों दिलाया है। अगर आप भारत की राजनीति को समझना चाहते हैं, तो प्रकाश मेहरा के लेख आपके लिए एक अनिवार्य पढ़ाई हैं।
इस पेज पर आपको प्रकाश मेहरा से जुड़ी हर ताज़ा खबर, उनके लेखों के संदर्भ, और उनके विश्लेषण के असर को दर्शाते हुए लिखे गए लेख मिलेंगे। यहाँ आपको केवल खबरें नहीं, बल्कि उनके पीछे की वास्तविकता भी मिलेगी। चाहे वो एक बयान हो, एक राजनीतिक बदलाव हो, या फिर कोई बड़ी घटना — प्रकाश मेहरा के लिए कोई भी खबर बस खबर नहीं होती।
1970 के दशक में अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना के बीच बॉलीवुड की सबसे तीव्र प्रतिस्पर्धा थी, जिसे प्रकाश मेहरा की निर्देशन और एक ग्लास के घटनाक्रम ने अपरिवर्तनीय बना दिया।