विक्टिम शेमिंग का मतलब है किसी पीड़ित को उसके अनुभव के लिए दोष देना या शर्मिंदा करना। यह सिर्फ शब्दों का हमला नहीं, बल्कि ऐसे सवाल और टिप्पणी भी हैं जो पीड़ित को चुप कर देती हैं—"तुम्हें क्या चाहिए था?", "क्यों उस वक्त वहाँ गई?"। ये बातें अक्सर यौन हमले, घरेलू हिंसा, ऑनलाइन शोषण या साइबर बुलिंग के बाद सुनने को मिलती हैं।
समझिए कि दोषारोपण का असर किस तरह गहरा होता है: पीड़ित खुद को दोषी मानने लगता है, मदद मांगने से डरता है और न्याय मिलने की संभावना कम हो जाती है। इसलिए इसे हल्के में न लें — यह मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक भरोसे और कानूनी प्रक्रिया सभी को प्रभावित करता है।
अगर आप विक्टिम शेमिंग झेल रहे हैं, तो कुछ सरल लेकिन असरदार कदम तुरंत लें। पहले अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करें—अगर खतरा है तो सुरक्षित जगह पहुँचें और 112 (आपातकालीन नंबर) या स्थानीय पुलिस से संपर्क करें। किसी भी घटना का सबूत रखें: स्क्रीनशॉट, संदेश, तस्वीरें, तारीख‑वक्त नोट करें।
बड़ी घटनाओं में मेडिकल चेकअप कराना महत्वपूर्ण होता है क्योंकि चिकित्सीय रिपोर्ट आगे कानूनी मदद में काम आती है। किसी भरोसेमंद दोस्त, परिवार के सदस्य या संगठन से बात करें—अकेले खड़े होने की कोशिश न करें। कानूनी सलाह लें; स्थानीय विधिक सहायता, राज्य/राष्ट्रीय महिला आयोग या भरोसेमंद NGOs मदद कर सकते हैं।
ऑनलाइन शेमिंग के मामले में प्रोफाइल ब्लॉक करें, पोस्ट के स्क्रीनशॉट सुरक्षित रखें और प्लेटफ़ॉर्म पर रिपोर्ट करें। अगर जरूरी लगे तो पुलिस में FIR दर्ज कराएं और साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें।
अगर आप किसी को शेम होते देखते हैं तो सबसे पहले सुनें और विश्वास जताएँ। सवालों से बचें जो दोषी ठहराएं—जैसे "तुमने क्यों..."। ऑफर दें कि आप साथ चलेंगे, पुलिस या अस्पताल जाने में मदद करेंगे, या कानूनी और काउंसलिंग संसाधन तक पहुँच दिलवाएंगे।
हेल्पलाइन या स्थानीय समर्थन समूह का नाम बताइए और पीड़ित की सहमति के बिना उनकी जानकारी सार्वजनिक न करें। मीडिया में रिपोर्ट करते समय पहचान छुपाने की सलाह दें। छोटी‑छोटी बातें—एक मैसेज, एक फोन कॉल—कभी‑कभी बहुत मदद कर देती हैं।
संक्षेप में: विक्टिम शेमिंग को रोकने का मतलब है सुनना, समर्थन देना और सिस्टम तक पहुँच बनाने में मदद करना। अगर आप या कोई जानता है जिसे मदद चाहिए, तो स्थानीय पुलिस, 112 या नजदीकी महिला सहायता केंद्र से संपर्क करें। छोटा कदम कभी छोटा असर नहीं होता—समर्थन ही बदलाव की शुरुआत है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने EY चार्टर्ड एकाउंटेंट एना सेबास्टियन की मृत्यु पर अपने बयान का स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य विक्टिम शेमिंग करना नहीं था, बल्कि छात्रों में आंतरिक शक्ति का निर्माण करना था। शिव सेना MP प्रियंका चतुर्वेदी ने उनके बयान की आलोचना की थी।