वेनेजुएला में अशांति
वेनेजुएला में हाल ही में संपन्न हुए राष्ट्रपति चुनाव के बाद स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण बनी हुई है। वर्तमान राष्ट्रपति निकोलस मदुरो ने चुनाव में अपनी जीत की घोषणा की है, परंतु इस जीत को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। चुनाव परिणामों की पारदर्शिता को लेकर वैश्विक नेताओं और विभिन्न चुनावी निरीक्षण एजेंसियों ने सवाल उठाए हैं।
वैश्विक नेता और चुनाव निरीक्षक
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस एवं कार्टर सेंटर जैसे संगठनों ने चुनाव परिणामों की पूर्ण पारदर्शिता की मांग की है। इन सभी ने वेनेजुएला में विस्तृत चुनाव परिणामों को पोलिंग स्टेशनों के आधार पर सार्वजनिक करने की अपील की है। वैश्विक समुदाय इस चुनाव में हो रही कथित गड़बड़ियों को लेकर गंभीरता से चिंतित है।
विरोध प्रदर्शन और असंतोष
जैसे ही निकोलस मदुरो ने चुनाव में जीत की घोषणा की, राजधानी काराकास सहित अन्य शहरों में भी बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। हजारों वेनेजुएलावासी सड़कों पर उतर कर चुनाव परिणामों के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। इन प्रदर्शनों में न केवल स्थानीय लोग भाग ले रहे हैं, बल्कि वेनेजुएला के विपक्षी नेता एडमुनडो गोंजालेज के समर्थक भी शामिल हैं।
आर्थिक संकट और पलायन
वेनेजुएला कई वर्षों से गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके कारण लाखों लोग देश छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। इस चुनाव ने नागरिकों के बीच राहत और उम्मीद की किरण जगाई थी, लेकिन विवादित परिणामों के कारण लोगों की आशाओं पर पानी फिर गया।
सरकार के आरोप
मदुरो सरकार ने विपक्षी नेताओं पर चुनावी प्रणाली पर साइबर हमले का आरोप लगाया है, हालांकि इसके संबंध में कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया है। इससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है, क्योंकि सरकार और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप से माहौल गरम हो गया है।
वेनेजुएला की राष्ट्रीय चुनाव परिषद (CNE), जो मदुरो समर्थकों से भरी हुई है, ने रिपोर्ट किया है कि मदुरो को 51% वोट मिले हैं। जबकि विपक्षी नेता एडमुनडो गोंजालेज ने अपनी विजय का दावा किया है और अपने अभियान प्रतिनिधियों के मतदान के आधार पर यह दावा किया है। इस स्थिति में मतदाताओं का असंतोष और बढ़ गया है।
आंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
ब्राज़ील और कोलंबिया जैसे क्षेत्रीय और वैश्विक नेता मदुरो को उनकी जीत पर बधाई देने के बजाय चुनाव परिणामों की स्पष्टता की मांग कर रहे हैं। इस विवादित चुनाव के परिणाम वेनेजुएला को और भी अंतरराष्ट्रीय निषेध में डाल सकते हैं। आर्थिक प्रतिबंधों के कारण पहले से ही अलग थलग पड़े देश में यह नया विवाद और कठिनाइयों को जन्म दे सकता है।
मतदाताओं, नेताओं, और वैश्विक समुदायों की निगाहें अब वेनेजुएला पर टिकी हैं। यह देखने का समय है कि क्या एक शांतिपूर्ण और पारदर्शी समाधान की ओर कदम बढ़ाए जाएंगे ताकि देश इस संकट से उबर सके।
Aishwarya Raikar
जुलाई 30 2024वेनेजुएला की हालिया चुनावी गड़बड़ी का तमाशा बिल्कुल वही है जो हम हमेशा देखते आए हैं – आधी रात को गुप्त तरीके से वोट गिनना, फिर वही नेता जो कभी नहीं गिरता, जीत का दावा करता है।
अब तक के सारे अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण एजेंसियों की रिपोर्ट बस एक ही चीज़ बताती है: चुनाव परिणाम में हेरफेर की संभावना ९९.९% है।
ऐसे में यह कहना बेवकूफ़ी नहीं होगी कि यह चुनाव एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है, जहाँ विदेशी शक्तियों ने अपनी सटीक योजना के तहत सब कुछ व्यवस्थित किया।
निकोला मदुरो की प्रो-डेमोक्रेसी का दावा सिर्फ एक धुंधला वादी है, जो सड़कों पर जलती टॉर्चों को देख कर भी नहीं टलता।
वास्तव में, इस तरह की स्थिति में आम लोगों की असहायता को शब्दों में बयां करना मुश्किल है।
जैसे ही लड़ाईबाज़ी की बात आती है, कई देशों की नीतियों में एक ही पैटर्न दिखता है: आर्थिक प्रतिबंधों के तहत खुद को सुरक्षित रखने की कोशिश।
उन्हें नहीं पता कि अपने ही पोटली में गंदगी को साफ़ करना ही सबसे बड़ा काम है।
यदि आप छोटे‑छोटे तथ्य देखेंगे, तो आप समझेंगे कि वोटिंग मशीनें भी कई बार रिवर्स हो सकती हैं।
ऐसे में, अपना दिमाग खोलकर देखना चाहिए कि कितनी बार ‘स्वतंत्र’ संस्थाएं भी दुष्ट प्रोजेक्ट्स के साथ हाथ मिलाती हैं।
यही कारण है कि मैं कहता हूँ कि यहाँ की लोकतांत्रिक प्रक्रिया सिर्फ एक फिल्म के सीन की तरह है, जहाँ स्क्रिप्ट पहले से तय हो चुकी है।
आगे बढ़ते हुए, हमें यह समझना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बडबड भी अक्सर अपने धंधे को बचाने के लिए ही होती है।
इन दिनों, ‘पारदर्शिता’ शब्द का इस्तेमाल वही लोग करते हैं जो अपनी खुद की अंधेरी गलियों को रोशन करना चाहते हैं।
सभी प्रमाण बताते हैं कि यहाँ के असली खेल में, वोटों की गिनती एक भ्रम है, और असली शक्ति तो एक अज्ञात हाथ में है।
यदि इस भ्रम को तोड़ना चाहते हैं तो हमें जड़ से ही समस्या को देखना पड़ेगा, न कि सतह पर चमकते जलते मोमबत्तियों को।
सारांश यह कि, वेनेजुएला का भविष्य तभी उज्ज्वल होगा जब इस झूठे लोकतांत्रिक पर्दे को गरदन से फाड़ दिया जाए।