जब आप CBDT, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, जो आयकर नीति बनाता और लागू करता है. Also known as सेंटरल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज, it oversees सभी सीधे कर संबंधित प्रक्रियाओं को। CBDT का मुख्य लक्ष्य कर संग्रह को बढ़ाना और अनुपालन को आसान बनाना है, इसलिए यह हर साल नई गाइडलाइन जारी करता है।
सीधे कर का ढांचा आयकर अधिनियम, भारत का मुख्य टैक्स कानून जो आय पर कर लगाता है पर आधारित है। यह अधिनियम टैक्स नोटिस, कर्मचारी या कंपनी को कर संबंधी सूचना या निर्देश जारी करने के अधिकार देता है, जो असस्सेसमेंट प्रक्रिया को ट्रिगर करता है। असस्सेसमेंट, जिसका अर्थ है टैक्स असस्सेसमेंट, कर योग्य आय की गणना और कर राशि निर्धारित करना, सीधे नोटिस से जुड़ी होती है; नोटिस मिलने पर करदाता को अपना इनकम स्टेटमेंट प्रस्तुत करना पड़ता है। अंत में, सभी जानकारी कर रिटर्न, वर्ष भर की आय और कटौतियों का विवरण फॉर्म में जमा करना में संकलित होती है, जिससे अंतिम कर देयता तय होती है। इन सभी कड़ियों में टैक्स रिटर्न एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि सही रिटर्न दाखिल करना ही आयकर दायित्व को निपटाने का मूल तरीका है।
CBDT के काम को समझने के लिए तीन मुख्य संबंधों को याद रखें: 1) CBDT सीधे कर को नियंत्रित करता है, 2) सीधे कर को लागू करने के लिए आयकर अधिनियम की ज़रूरत होती है, और 3) टैक्स नोटिस असस्सेसमेंट को ट्रिगर करता है, जो अंततः कर रिटर्न में परिलक्षित होता है। यही कारण है कि जब भी नया फॉर्म या नया नियम बताया जाता है, वह अक्सर इन चार एंटिटीज़ के बीच के इंटरैक्शन को सरल बनाता है। इस पेज पर आप टैक्स नियमों में हुए अपडेट, नए फॉर्म, उधारी के दंड, और महत्वपूर्ण डेटेल्स वाले लेख पाएँगे—जिनमें CBDC, विशेष नोटिस, या रिफंड प्रक्रिया की विस्तार से चर्चा होगी। अब आप बस स्क्रॉल करके देखिए कि हमारे पास कौन‑सी ताज़ा जानकारी है, जिससे आपका टैक्स फाइलिंग अनुभव आसान हो सके।
CBDT ने FY 2024‑25 की आयकर ऑडिट रिपोर्ट का डेडलाइन 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दिया। यह कदम कई प्रोफेशनल संगठनों की दलीलों के बाद आया, जिनका कहना था कि बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं ने कामकाज में बाधा पाई। नई तिथि से व्यापारियों, पेशेवरों और प्री‑डिक्टिव टैक्स स्कीम के तहत आयनिकों को राहत मिलती है, जबकि ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल तकनीकी रूप से ठीक चल रहा है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर रिटर्न दाखिला की अंतिम सीमा को 15 से बढ़ाकर 16 सितंबर 2025 कर दी। यह AY 2025‑26 के लिए दी गई आखिरी लम्बाई है, जो मूल 31 जुलाई से बदल गई थी। नई फ़ॉर्म में बड़े बदलाव, TDS क्रेडिट की देर‑से‑दिखाई, तथा सोशल‑मीडिया पर फेक न्यूज़ को रोकने के लिए विभाग ने 24‑घंटे हेल्पडेस्क चलाया। देर‑से‑दाखिला करने वालों पर सेक्शन 234F के तहत ₹5,000 का जुर्माना लगेगा।